अनुभूत चिकित्सा योग: Home Remedies

$15
Express Shipping
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: HAA150
Author: डॉ गणेश नारायण चौहान और डॉ पीयूष त्रिवेदी: (Dr. Ganesh Narayan chauhan and Piyush Trivedi)
Publisher: Popular Book Depot
Language: Hindi
Edition: 2011
ISBN: 9788186098929
Pages: 143
Cover: Paperback
Other Details 9.0 inch x 6.0 inch
Weight 200 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description

प्रकाशकीय 

डॉ पीयूष त्रिवेदी देश के प्रतिष्ठित आयुर्वेद, एक्यूप्रेशर, चुम्बक, योग आदि वैकल्पिक चिकित्साओं के परामर्शदाता हैं । डॉ त्रिवेदी का जन्म जुलाई, 1970 को राजस्थान प्रान्त के सवाई माधोपुर जिले के ग्राम कुण्डेरा में एक पाण्डित्यपूर्ण एवं चिकित्सकीय परिवार में हुआ । इस परिवार से पुष्पित पल्लवित होकर डॉ पीयूष सन् 1995 में आयुर्वेद विषय में स्नातक उपाधिधारी हुए । आपने अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आयुर्वेद शिक्षण केन्द्र राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में शिक्षा ग्रहण की । आप एक्यूप्रेशर विज्ञान में मास्टर डिग्री ऑफ अल्टरनेटिव थैरेपी, सुजोक थैरेपी इन मास्को, डिप्लोमा इन योगा एव गोल्ड मेडलिस्ट इन एक्यूप्रेशर थैरेपी आदि उपाधि से विभूषित हैं ।

आप द्वारा 300 से अधिक चिकित्सा शिविरों के माध्यम से आज प्रचलित रोगों जैसे स्लिप डिस्क, स्पोण्डिलाइटिस, जोड़ों का दर्द, नये एव पुराने दर्द, हट्टी रोग, सभी शारीरिक एव मानसिक रोग से ग्रसित रोगियों को लाभ मिला है ।

विभिन्न राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित ज्ञानवर्धक लेखों के धनी डॉ त्रिवेदी ने स्वामी रामदेव योगाचार्य स्वीकृत योगासन एव प्राणायाम, चुम्बकीय चिकित्सा, एक्यूप्रेशर आदि पुस्तकें लिखी हैं ।

आप राज्यपाल द्वारा सम्मान प्राप्त चिकित्सक हैं । जयपुर समारोह मिलेनियम 2000 नागरिक सम्मान गुणीजन 2000 सम्मान एव विभिन्न सामाजिक संगठनों एव प्रतिष्ठित संस्थाओं से प्राप्त पुरस्कारों एव सम्मानों से आप अलंकृत हैं ।

वर्तमान में डॉ त्रिवेदी एक्यूप्रेशर विभाग के अध्यक्ष के रूप में श्री धन्वन्तरि औषधालय, जौहरी बाजार एव रविन्द्र पाटनी चैरिटेबल ट्रस्ट, श्री टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, बापूनगर में अपनी निःशुल्क सेवाएँ विगत 12 वर्षों से दे रहे हैं ।

डॉ त्रिवेदी राजस्थान प्रान्त की राज्यपाल श्रीमती प्रतिभा पाटील और गुजरात के राज्यपाल पण्डित नवल किशोर शर्मा द्वारा सम्मानित हैं । इन महामहिमों द्वारा सन् 2006 में डॉ त्रिवेदी द्वारा लिखी पुस्तकों का विमोचन किया गया है ।

 

लेखक की कलम से

वर्तमान में सारी दुनिया में एलोपैथी का कितना जोर है, यह किसी से छुपा नहीं है । इस पद्धति से इलाज कराने पर रोग तेजी से मिट जाते हैं, यह तथ्य बिल्कुल सही है, लेकिन इसके अपने दुष्प्रभाव भी हैं जो चिन्ता का विषय है । सभी चिकित्साशास्त्री एलोपैथी के खोजे गये साइड इफेक्ट्स से चिन्तित हैं और इस कारण वे अब आयुर्वेद तथा वैकल्पिक चिकित्साओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं । आयुर्वेद हमारी हजारों वर्ष पुरानी सम्पदा है, जबकि एलोपैथी का इतिहास करीब 250 वर्ष ही पुराना है, लेकिन जिस तरह अंग्रेजों व अन्य विकसित देशों ने इसको प्रचारित किया, उससे हम भारतीय अपनी पुरानी चिकित्सा पद्धति को हीन समझने लगे और भूलते गये ।

आज जरूरत इस बात की है कि हम सब मिलकर इस तथ्य को समझें और प्रचारित करें कि आयुर्वेदिक औषधियाँ अंग्रेजी दवाइयों से कहीं ज्यादा कारगर हैं । जो लोग हमारी इस बात को पूर्वाग्रह से ग्रस्त तथा सत्य से परे समझते हैं उन्हें इस बात को गंभीरता से समझना चाहिए कि यदि आयुर्वेदिक चिकित्सा में दम नहीं होता तो अमेरिका सहित पाश्चात्य देशों में नीम, हल्दी, करेला, अदरक को पेटेन्ट कराने की होड़ क्यों मचती? हमें मालूम होना चाहिए कि आज सम्पूर्ण विश्व के सभी विकसित देशों में आयुर्वेदिक चिकित्सा के योगों पर, घरेलू गुस्सों पर अनेकानेक शोध चल रहे हैं और चिकित्सा वैज्ञानिक एव शोधकर्ता इन योगों के प्रभावों से चमत्कृत एव अचंभित हैं ।

इतिहास साक्षी है कि जब से विदेशियों ने हमारे भारत देश पर शासन किया तब से अब तक हमने बहुत कुछ खोया है । आजादी के बाद भी अगर हम अपने पूर्वजों के ज्ञान की विरासत को सहेजने और सँवारने के काम में जुट जाते तो हो चुके नुकसान की किसी सीमा तक भरपाई कर लेते । विदेशियों के प्रचार तथा उनके व्यापारिक उद्देश्यों की चाल को हम समझ ही नहीं पाये और उनके बहकावे में आकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चलाते रहे । यदि हम चाहते तो प्रकृति और ज्ञान की सम्पदा से मालामाल हम अपनी इस सम्पदा के बलबूते आर्थिक रूप से भी अत्यन्त सम्पन्न होते, लेकिन इसे विडम्बना ही कहना चाहिए कि आज तक हम अच्छी चीज़ को अच्छा कहने में संकोच कर रहे हैं ।

देश के कर्णधार और बुद्धिजीवी अब इस बात का अहसास करने लगे हैं कि चिकित्सा के क्षेत्र में अब तक जो हुआ, वह ठीक नहीं था और अब वास्तविकता के आईने में सत्यता को देखने की आवश्यकता है । केन्द्र सरकार ने हाल ही में इस दिशा में कुछ ऐसे बदलाव करने के संकेत दिये हैं जिससे हमारी जैसी सोच वालों को अवश्य प्रसन्नता होगी । केन्द्र सरकार की भावी नीति के अनुसार अब एमबीबीएस के नये पाठयक्रम में आयुर्वेद, योग तथा अन्य परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों को जोड़ा जायेगा । यह प्रयास निश्चित ही सराहनीय है और अब यह आशा बलवती होती है कि जितनी उपेक्षा हमारे ज्ञान विज्ञान की हुई है, अब आगे न होगी । वह दिन दूर नहीं जब भारत अपने ज्ञान की विरासत के बलबूते दुनिया का सिरमौर बनेगा । क्या बादल कभी सूर्य के अस्तित्व को मिटा पाया है? यह कटुसत्य वचन है ।

बीमारी छोटी हो या बड़ी, समय रहते उपचार न करने पर वह भंयकर हो जाती है । आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में परीक्षण और दवा का सिलसिला चलते रहने से आमदनी का एक बड़ा हिस्सा इलाज पर खर्च हो रहा है । आज आवश्यकता है हमें एक ऐसे तरीके की जिससे हम स्वय ही, बिना किसी खर्च के घर बैठे अपना उपचार कर सकें । प्रस्तुत पुस्तक इसी दिशा में एक नवीन प्रयास है । रोजमर्रा की बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए इसमें ऐसे नुस्खे दिये हैं जिनका सामान्यत कोई दुष्प्रभाव नहीं है और आवश्यक सामग्री भी घर की रसोई में अथवा पंसारी की दुकान पर आसानी से मिल जाती है । आवश्यक नहीं कि कोई दवा प्रत्येक रोगी पर समान रूप से असरदार हो, रोग के लक्षण और रोगी की प्रकृति भिन्न होने पर परिणाम भी भिन्न हो सकते हैं । यदि एक नुस्सा लाभकारी सिद्ध न हो तो उसका विकल्प अपनाया जा सकता है ।

पाठकों से निवेदन है कि इस पुस्तक से प्राप्त ज्ञान का सर्वत्र प्रचार करें ताकि अधिकाधिक लोग यह ज्ञान प्राप्त कर लाभान्वित हो सकें ।

हम कृतज्ञ हैं, नारायण प्रकाशन के जिन्होंने हमें पुस्तक लेखन के लिए प्रेरित किया जिससे पुस्तक की गुणवत्ता बड़ी एव इसकी छपाई एवं कवर पृष्ठ आकर्षण का केन्द्र बन सका ।

 

विषय सूची

स्वास्थ्य के नियम

xx

सावधानियाँ

xxii

उदर रोग

1

वातजन्य रोग

7

आँख के रोग

13

नाक के रोग

16

कान के रोग

19

दंत रोग

22

हृदय रोग और रक्तचाप

40

विभिन्न प्रकार के ज्वर

46

लीवर एवं तिल्ली के रोग

51

चर्म विकार

55

मूत्र विकार

66

बालों के रोग

74

मानसिक रोग

80

पुरुषों में होने वाले गुप्त रोग

90

स्त्री रोग

97

बच्चों को होने वाली बीमारियाँ

109

आकस्मिक रोगों की घरेलू चिकित्सा

117

 

 

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories