सूफ़ी कवि बुल्लेशाह: Sufi Poet Bulleh Shah

Best Seller
FREE Delivery
Express Shipping
$29
Express Shipping
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: NZD270
Author: बख्शीश सिंह (Bakhshish Singh)
Publisher: SASTA SAHITYA MANDAL
Language: Hindi
Edition: 2014
ISBN: 9788173097102
Pages: 192
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 210 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description

पुस्तक के विषय में

सूफ़ियों के अनुसार ईश्वर, खुदा, रब एक ही है। उसी ने सृष्टि की रचना की है। वह सर्वव्यापक है। वह सभी के दिलों में बसता है। मनुष्य में इश्क या प्रेम खुदा ने जन्म से ही भर दिए हैं और इश्क के दो पहलू माने गए हैं । पहला मजाजी इश्क और दूसरा हकीकीया रूहानी । मजाजी इश्क ही रूहानी, हकीकी इश्क की सीढ़ी का पहला पायदान है। सूफ़ीवाद या मत की आधारशिला इस्लाम के महान पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहिब के चिंतन का फलसफ़ा है। आपका जन्म अरब देश में हुआ और उनका पूरा जीवन, शिक्षा, संदेश, उपदेश, लोगों को खुदा के व उसकी कायनात के बारे में जानने व समझाने में गुजरा । उनके विचार, चिंतन ही सूफ़ीमत के मूल आधार बने । सूफ़ीमत मध्य पूरबी देशों ईरान, सीरिया, मिश्र, इराक आदि में धीरे-धीरे विकसित हुआ । समय के साथ-साथ इस्लाम का संस्थायी रूप रूढिवादी होता गया और उसके विरोध में सूफ़ीमत पे और सुदृढ़ होता गया । सूफ़ीमत का केंद्रीय उद्देश्य इस्लाम की मूल मानववादी भावना को उभारकर हर तरह की कट्टरता से बचना था । सूफ़ीवाद ने कुरान के मूल आध्यात्मिक व रहस्यवादी मार्ग को दर्शाया है।

लेखक के विषय में

जन्म : 25 अप्रैल, न पथ, कोयटा, ब्लूनिस्तान (पाकिस्तान) प्रकाशित काव्य-संग्रह।

हिंदी : दरवाजे गिरवी रखे हैं, टुकड़ा-टुकड़ा ख़्याल, अपनी- अपनी ज़मीन पर, पहला-पहला दुःख।

पंजाबी : दस्तक, बदलां ते लिखी इबारत, रूदाद।

प्रकाशकीय

भारतीय साहित्य में सूफ़ी कवियों ने प्रेमतत्त्व का वर्णन करते हुए प्रेम-पंथ का प्रवर्जन किया । सूफ़ियों का विश्वास एकेश्वरवाद में है। यहाँ अस्तित्व केवल परमात्मा है। वह प्रत्येक वस्तु में व्याप्त है। सूफ़ी साधक का मुख्य कर्तव्य ध्यान और समाधि है, प्रार्थना और नामस्मरण है, फकीरी के फक्कड़पन में है। सभी तरह की धार्मिकता और नैतिकता का आधार प्रेम है। प्रेम के बिना धर्म और नीति निर्जीव हो जाते हैं । साधक यहाँ ईश्वर की कल्पना परमसुंदरी नारी के रूप में करता है। इस तरह सूफ़ीमत में ईश्वर साकार सौंदर्य है और साधक साकार प्रेम । विशेष बात यह है कि सूफ़ी संप्रदाय में राबिया जैसी साधिकाएँ भी हुई हैं जो ईश्वर को पति मानती हैं। इस तरह सूफ़ी-प्रेमपंथ में विचारों की स्वाधीनता है। सौंदर्य से प्रेम और प्रेम से मुक्ति, यह सूफ़ीमत के सिद्धांतों का सार सर्वस्व है। इसी प्रेम की प्राप्ति के लिए सूफ़ियों ने इश्क मजाजी (लौकिक प्रेम) तथा इश्क हकीकी (अलौकिक प्रेम) का दर्शन प्रस्तुत किया । 'बका' से 'फना' हो जाना ही 'मोक्ष' है।

सूफ़ीमत के उद्गम चाहे अन्य देशों में रहे हों किंतु संप्रदाय के रूप में उसका संगठन इस्लामी देशों में हुआ । अरब के नगरों में यहूदी, ईसाईयत, हिंदुत्व, बौद्धमत और इस्लाम इन सभी धर्मों का मिलन हुआ था । इस्लाम का संपर्क ईरान में जरथुस्त्रवाद से भी हुआ । सूफ़ीमत इनका योग तो नहीं है, किंतु उस पर इन सभी का प्रभाव है। सूफ़ीमत न तो क़ुरान की व्याख्या है न हदीस की । वह एक सांप्रदायिक मानव- धर्म है। सूफ़ी संत काजियों-मुल्लाओं की नजर में काफ़िर समझे जाते हैं और उन्हें प्राण-दंड तक दिए गए जैसे-सूफ़ी साधक मंसूर । भारत में सरमद नामक सूफ़ी को औरंगजेब ने मरवा दिया । तमाम तरह के उत्पीडनों से बचने के लिए अरब-ईरान के सूफ़ी भारत आते रहे । मुहम्मद गजनी के आक्रमण के बाद तो सूफ़ियों का आना आम बात हो गई । भारत में सूफ़ियों के चार संप्रदाय प्रसिद्ध हुए-1. सुहरावर्दी-संप्रदाय जिसके प्रवर्तक जियाउद्दीन (12वीं सदी) थे । 2. चिश्तिया-संप्रदाय जिसके प्रवर्तक अदब अब्दुल्ला चिश्ती थे। 3. कादरिया-संपद्राय इसके प्रवर्तक शेख अब्दुल कादिर जिलानी (13वीं शताब्दी) थे । 4. नक्शबंदी- संप्रदाय जिसके प्रवर्तक बहाउद्दीन नक्शबंद थे । शाहजहाँ का पुत्र दारा शिकोह कादरी संप्रदाय में दीक्षित था ।

भारत में सूफ़ी संतों-फकीरों ने तसव्वुफ़ की राह से हिंदुओं और मुसलमानों को समीप लाने का आदोलन चलाया । इसका प्रभाव जनता पर अच्छा पड़ा और उनके प्रेम-पंथ से रीझकर जनता उनका साथ देने लगी । सूफ़ियों से अलग एक तरह के फकीर होते थे जो कलंदर कहलाते थे । ये संप्रदाय न बनाकर मोक्ष की तलाश में घूमते थे। सूफ़ियों तथा कलंदरों के प्रभाव से भारत में इस्लाम का रूप बदल गया। इस्लाम कट्टर धर्म था। वह अब जटिल भक्ति मार्ग बन गया, उसमें योग, चमत्कार, भजन, कव्वाली, पीरों की पूजा और भारत की न जाने कितनी चीजों का प्रवेश हो गया। भारत में आकर गुरु परंपरा का जोर बढ़ा और दक्षिण से आया उत्तर भारत में भक्ति-आंदोलन भी इस्लाम और सूफ़ियों को बदलने लगा। मुस्लिम सूफ़ी संतों में शत्रुता का भाव नहीं, जैसे-संत फरीदी। हृदय में प्रेम की पीर जगाकर इन सूफ़ी कवियों ने मानवता का नया पथ ही जनता के लिए खोल दिया। सूफ़ी संत धर्म के आडंबरों-अनुष्ठानों की उपेक्षा करते थे। उनका सारा विद्रोही चिंतन प्रेम और परमात्मा की भक्ति पर था। इसलिए इस्लाम के मुल्ले उनके खिलाफ थे। इन सूफ़ी प्रेमपंथ से जनता की चित्तवृत्ति भेद से अभेद की ओर हो चली। मुसलमान हिंदुओं की रामकहानी सुनने को तैयार होने लगे और हिंदू मुसलमानों की दास्ताने-हमजा। हिंदुओं और मुसलमानों के बीच साधुता का सामान्य आदर्श प्रतिष्ठित हो गया। मुसलमान फकीर अहिंसा का सिद्धांत मानने लगे । अमीर खुसरो नई तरह का मसनवी में रचना कर उठे। इस तरह सूफ़ी-धर्म भारत में रोज़ा और नमाज़ में बँधकर चलनेवाला धर्म न रहा। संतों ने नया लोकधर्म स्थापित किया, जिसने पुरोहितों-मौलवियों को कबीर-स्वर में ललकारा। सामंती-वर्ग को कमजोर किया।

सूफ़ी कवि बुल्लेशाह को इसी लोक- धर्म की क्रांतिकारी चिंतनधारा में समझना होगा। सूफ़ी लोग सूफ (ऊन) की पोशाक धारण करते थे, यह सूफ़ी शब्द अरबी भाषा का है जिसका अर्थ है-ऊन। सूफ़ी संत बुल्लेशाह की काफ़ियाँ इकतारे पर गाई जाती है। यह सूफ़ी संगीत की दिव्यधारा है जो समस्त विकृतियों का नाश करती है। पंजाब की सूफ़ीसंत धारा शेख फरीदी (1173-1245), शाह हुसैन (1538-1600), शाहसरफ (1663-1724), अली हैदर (1101-1190), बुल्लेशाह ( 1680-1752), फरदफकीर (1720-1790), वारिश शाह (1735-1840), हाशिम शाह (1751-1827) आदि कवियों में तीन दशकों तक प्रवाहित रही । सूफ़ी प्रेम-तत्त्व का यह अमृत आपको उत्तर-आधुनिकता के बेचैन समय में चैन दे, यह सोचकर ही यह पुस्तक प्रकाशित की जा रही है। मुझे विश्वास है कि विशाल पाठक समुदाय इसका स्वागत करेगा । मानव जीवन के इस अमृत को छोड़ना कोई नहीं चाहेगा ।

विषय-सूची

 

1 दो शब्द 15
2 बुल्लेशाह : पंजाब का सूफ़ी कवि 17
3 जब की मैं हरि सिंउ प्रति लगाई वे 33
4 अब लगन लग्गी किह करीए 36
5 रब्बा वे मैं की करसां उठ चले गवाडों यार 38
6 ख़ाकी ख़ाक में रलि जाण। 39
7 मैं बे क़ैद, मैं बे क़ैद 41
8 आपणी किछु खबर न पईआं 42
9 मुरली बाज उठी अणघातां 43
10 मैनूं लगड़ा इश्क अव्वल दा 45
11 प्यारे! बिन मसल्हत उठ जाणा 47
12 अब हम गुम हुआ हम तुम 49
13 की करदा हुणि की करदा 51
14 मैनूं की होइआ मैथो 54
15 नी सईओ मेरी बुकल दे विचि चोर 56
16 ग़लबा होर किसे दा है 58
17 पिआरिआ संभलके निहुं लाइ 60
18 हिजाब करे दरवेशी थो 63
19 तुसी करो असाडी कारी 66
20 मैं चूहड़ेटड़ीआं 69
21 अबि तो तूं जाग सउदागरि पिआरे 70
22 साईं छपि तमासे आइआ 72
23 की जाणा मैं कोई वे अड़िआ की जाणा मैं कोई 74
24 मउला आदमी बणिआ 77
25 इको रूँ इक वाई दा 79
26 कैंथी आप छपाई दा 80
27 पाइआ है किछु पाइआ है 82
28 माटी कुदमु करेंदी यार 84
29 उलटे होर ज़माने आए 85
30 जिधर रब दी रजाइ 87
31 नी मिल लउ सहेलड़ीओ 88
32 हुण मैंथो राजी रहिणा 90
33 बसि कर जी हुणि बसि करि जी 92
34 घड़िआली देह निकाल 94
35 बुल्ला की जाणा मैं कौण 96
36 मैं उडीकां कर रही 98
37 नी सईओ, मैं गई गवाची 100
38 मक्के गिआं गल मुकदी नाहीं 101
39 बुले नूं लोक मती देंदे 102
40 वत्त ना करसां माण 103
41 इश्क दी नवीओं नवीं बहार 105
42 हीर रांझण दे हो गए मेले 107
43 देखो नी की कर गिआ माही 109
44 मुँह आई बात न रहदीं ए 111
45 ऐथे लेखा पाओ पसारा ए 113
46 जे ज़ाहर करां इसरार ताई 115
47 मेरे नौशहु दा कित मोल 116
48 मैं वैसा जोगी दे नाल 117
49 माही नाहीं कोई नूर इलाही 119
50 दिल लोचे माही यार नूं 121
51 इक नुक़ते विच गल्ल मुकदी ए 123
52 इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए 125
53 मैनूं छड गए आप लद गए 127
54 कत्त कुड़े ना वत्त कुड़े 128
55 रांझा रांझा करदी हुण मैं 131
56 इश्क असां नाल केही कीती लोक मरेंदे ताअने 133
57 मैं पुछा शहु दीआं वाटां नी 136
58 रोज़े हज निमाज़ नी माए 138
59 जुमे दी हीरे होर बहार 139
60 मैं गल्ल ओथे दी करदा हां 141
61 मैं पापडिआं तों नस्सना हां 144
62 मैं किउं कर जावां काअबे नूं 145
63 मेरा रांझण हुण कोई होर 147
64 मैनूं दरद अव्वलड़े दी पीड़ 148
65 साडे वल मुखड़ा मोड़ वे पिआरिया 149
66 दोहरे 151
67 अठवारा 158
68 बारां माह 167
69 सीहरफ़ीआं 181

 

Sample Pages








Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories