सपना यह संसार (पलटू वाणी पर प्रवचन) - The World is a Dream: Discourses on Saint Paltu

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Item Code: HAA303
Author: Osho Rajneesh
Publisher: OSHO MEDIA INTERNATIONAL
Language: Hindi
Edition: 2017
ISBN: 9788172612863
Pages: 572
Cover: Hardcover
Other Details 9.0 inch x6.0 inch
Weight 990 gm
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Book Description

पुस्तक परिचय

मैं जिसको जीवन कहता हूं, वह तुम्हारे मन का जीवन नहीं है। धन पद पाने का प्रतिष्ठा, यश, सम्मान सत्कार पाने का वह जो तुम्हारा मन का जाल है, वह तो पलटू ठी कहते हैं उसके संबंध में सपना यह संसार। वह संसार तो सपना है। क्योंकि तुम्हारे मन सपने के अतिरक्ति और क्या कर सकते हैं। लेकिन तुम्हारे सपने जब शून्य हो जाएंगे और मन में जब कोई विचार न होगा और जब मन कोई पाने की आकांक्षा न होगी, तब एक नया संसार तुम्हारी आंखों के सामने प्रकट होगा अपनी परम उज्ज्वलता में, अपने परम सौन्दर्य में वह परमात्मा का ही प्रकट रूप है। उसको पिलाने के लिए ही मैंने तुम्हें बुलाया है। उसे तुम पीओ! उसे तुम जीओं! मैं तुम्हें त्याग नहीं सिखाता, परम भोग सिखाता हूं।

 

पुस्तक के कुछ मुख्य विषय बिन्दु

संसार शब्द का क्या अर्थ है?

साक्षी में जीना क्या है?

प्रेम का जन्म और मन की मृत्यु?

क्या है अंतर्यात्रा का विज्ञान

 

इस जगत में दो जगत हैं। एक जगत उसका बनाया हुआ और एक जगत आदमी का अपना बनाया हुआ। जब पलटू जैसे संत कहते हैं सपना यह संसार, तो तुम यह मत समझना कि वे परमात्मा के संसार को सपना कह रहे हैं। परमात्मा का संसार तो कैसे सपना हो सकता है। स्रष्टा सत्य है तो उसकी सृष्टि कैसे स्वप्न हो सकती है? और जिसकी सृष्टि स्वप्न हो, वह स्रष्टा कैसे सत्य होगा? नहीं एक और संसार है जो हमने बना लिया है। फूल चांद तारे तो सच हैं, मगर नोट हमारी ईजाद हैं। झरने पहाड़ सागर तो सत्य हैं लेकिन पद और प्रतिष्ठाएं ये हमारी खोज हैं। एक संसार है जो आदमी ने बना लिया है, अपने चारों तर, जैसे मकड़ी जाला बुनती है, ऐसे आदमी एक संसार बुनता है वासनाओं का आकांक्षाओं का ऐषणाओं का इच्छाओं का भविष्य का आज तो नहीं है, कल कुछ मिलेगा लोभ का विस्तार वह संसार, काम का विस्तार है वह संसार । एक तो संसार है चहचहाते पक्षियों का खिलते फूलों का आकाश तारों से भरा एक तो संसार है जो परमात्मा के हस्ताक्षर लिए हुए है और एक संसार है जो आदमी ने बना लिया है। जब भी ज्ञानियों ने कहा है सपना यह संसार, तो तुम्हारे संसार के संबंध में कहा है, जो तुमने बना लिया है।

मगर आदमी बड़ा चालबाज है। वह अपने बनाए संसार को तो झूठा नहीं मानता, वह परमात्मा के बनाएं संसार को झूठा मान कर उका त्याग करने लगता है। धन छोड़ देता है, पद छोड़ देता है प्रतिष्ठा छोड़ देता है, दुकान छोड़ देता है बाजार छोड़ देता है घर द्वार छोड़ देता है भाग जाता है जंगल में । मगर यह त्याग भी तुम्हारा संसार है। यह संतत्व भी तुम्हारी ही ईजाद है। और वहां बैठ कर भी अहंकार ही निर्मित होता है। वही धन से निर्मित होता था वही त्याग से निर्मित होता है। वही भोग से निर्मित होता था, वही तपश्चर्चा से निर्मित होता है। तुमने ढंग तो बदल लिए मगर मूल आधार वही के वही हैं। तुमने पत्ते तो छांट दिए मगर जड़े वही की वही हैं, फिर पत्ते आ जाएंगे, फिर वही पत्ते आ जाएंगे नये रंग में मगर रसधार वही होगी।

जब तक तुम जाग कर यह न समझो कि आदमी का बनाया हुआ सब झूठा है, जब तक यह तुम्हारा अनुभव न हो जाए और यह मत सोचना कि मर कर पा लोगे। जीवन व्यर्थ जा रहा है तो मृत्यु भी व्यर्थ जाएगी क्योंकि मृत्यु तो जीवन की ही पराकाष्ठा है

 

अनुक्रम

1

उसका सहारा किनारा है

1

2

ससार एक उपाय है

29

3

झुकना समर्पण अजुली बनाना भजन न परमतृप्ति

57

4

मनुष्य जाति के बचने की सभावना किनसे ?

58

5

मिटे कि पाया

113

6

सुबह तक पहुंचना सुनिश्चित है

139

7

जीवित सदगुरु की तरंग में डूबो

167

8

बहार आई तो क्या करेगे!

193

9

हम चल पडे हैं राह को दुशवार देख कर

221

10

साक्षी में जीना बुद्धत्व में जीना है

249

11

झुकने से यात्रा का प्रारंभ है

279

12

होश और बेहोशी के पार है समाधि

311

13

राग का अंतिम चरण है वैराग्य

339

14

धर्म की भाषा है वर्तमान

373

15

करामाति यह खेल अत पछितायगा

401

16

गहन से भी गहन प्रेम है सत्सग

429

17

ज्ञानध्यान के पार ठिकाना मिलैगा

455

18

मुझे दोष मत देना ।

483

19

मुंह के कहे न मिलै, दिलै बिच हेरना

511

20

ज्ञान से शून्य होने मे शान से पूर्ण होना है

543

ओशो एक परिचय

569

ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट

570

ओशो का हिंदी साहित्य

572

अधिक जानकारी के लिए

577

 

 

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