निवेदन
जो हमसे कभी अलग न हो सके और हम जिससे कभी अलग न हो सकें, वह तत्व क्या है, उस तच्चका अनुभव कैसे हो, उसके अनुभवमें जो बाधाएँ हैं, उनका निवारण कैसे हो -यह विषय परमश्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराज अपने प्रवचनोंमें बड़ी सरलतापूर्वक अनेक प्रकारसे समझाया करते हैं । ऐसे कुछ विशेष प्रवचनोंका संग्रह आवश्यक संशोधनके साथ ' नित्ययोगकी प्राप्ति ' पुस्तकके रूपमें साधकोंकी सेवामें प्रस्तुत है । इन प्रवचनोंमें साधकोंको साधन तथा साध्यके विषयमें अनेक प्रेरणाप्रद विलक्षण बातें मिलेंगी । साधकोंसे प्रार्थना है कि वे गम्भीरतापूर्वक इस पुस्तकका अध्ययन करके लाभान्वित हों ।
विषय-सूची |
||
विषय |
पृं.सं |
|
1 |
नित्ययोगकी प्राप्ति |
1 |
2 |
सत्स्वरूपका अनुभव |
11 |
3 |
मुक्ति सहज है |
23 |
4 |
मुक्तिका सरल उपाय |
34 |
5 |
प्राप्त जानकारीके सदुपयोगसे कल्याण |
44 |
6 |
करण-निरपेक्ष परमात्मतत्त्व |
50 |
7 |
स्वत:सिद्ध तत्त्व |
58 |
8 |
जीवकृत सृष्टिसे बन्धन |
62 |
9 |
दुःखका कारण -संकल्प |
69 |
10 |
दुःखनाशका उपाय |
76 |
11 |
अनित्य सुखकी रुचि मिटानेकी आवश्यकता |
85 |
12 |
राग-द्वेषसे रहित स्वरूप |
91 |
13 |
काम-क्रोधसे छूटनेका उपाय |
101 |
14 |
विकारोंसे छूटनेका उपाय |
109 |
15 |
सत्-असत्का विवेक |
116 |
निवेदन
जो हमसे कभी अलग न हो सके और हम जिससे कभी अलग न हो सकें, वह तत्व क्या है, उस तच्चका अनुभव कैसे हो, उसके अनुभवमें जो बाधाएँ हैं, उनका निवारण कैसे हो -यह विषय परमश्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराज अपने प्रवचनोंमें बड़ी सरलतापूर्वक अनेक प्रकारसे समझाया करते हैं । ऐसे कुछ विशेष प्रवचनोंका संग्रह आवश्यक संशोधनके साथ ' नित्ययोगकी प्राप्ति ' पुस्तकके रूपमें साधकोंकी सेवामें प्रस्तुत है । इन प्रवचनोंमें साधकोंको साधन तथा साध्यके विषयमें अनेक प्रेरणाप्रद विलक्षण बातें मिलेंगी । साधकोंसे प्रार्थना है कि वे गम्भीरतापूर्वक इस पुस्तकका अध्ययन करके लाभान्वित हों ।
विषय-सूची |
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विषय |
पृं.सं |
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1 |
नित्ययोगकी प्राप्ति |
1 |
2 |
सत्स्वरूपका अनुभव |
11 |
3 |
मुक्ति सहज है |
23 |
4 |
मुक्तिका सरल उपाय |
34 |
5 |
प्राप्त जानकारीके सदुपयोगसे कल्याण |
44 |
6 |
करण-निरपेक्ष परमात्मतत्त्व |
50 |
7 |
स्वत:सिद्ध तत्त्व |
58 |
8 |
जीवकृत सृष्टिसे बन्धन |
62 |
9 |
दुःखका कारण -संकल्प |
69 |
10 |
दुःखनाशका उपाय |
76 |
11 |
अनित्य सुखकी रुचि मिटानेकी आवश्यकता |
85 |
12 |
राग-द्वेषसे रहित स्वरूप |
91 |
13 |
काम-क्रोधसे छूटनेका उपाय |
101 |
14 |
विकारोंसे छूटनेका उपाय |
109 |
15 |
सत्-असत्का विवेक |
116 |