पुस्तक परिचय
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय (मार्च 7,1911 अप्रैल 4,1987) का जन्म कसिया, जिला देवरिया में हुआ । पिता पं. हीरानन्द शास्त्री पुरातत्व विभाग के उच्च अधिकारी थे । अज्ञेय ने आरंभिक शिक्षा घर पर ही पायी । बाद में देश के विभिन्न शहरों मे उन्होंने अपनी पढाई जारी रखी । बी एस सी के बाद एमए (अंग्रेजी) मे दाखिला लिया लेकिन तभी एक गुप्त क्रांतिकारी संगठन से जुड़ गए और 1930 मे बम बनाने के आरोप मे उन्हें जेल जाना पडा । इस बीच साहित्य सृजन चलता रहा और चिन्ता की कविताओं के साथ शेखर उपन्यास का अधिकाश भाग लिखा गया ।
अज्ञेय न केवल हिन्दी में आधुनिक भावबोध के प्रवर्तक कवि के रूप मे प्रतिष्ठित हुए बल्कि लगभग आधी सदी तक अपनी और परवर्ती पीढी के लिए प्ररेणा और चुनौती भी बने रहे । किसी भी भाषा के साहित्य मे अज्ञेय जैसे ऐसे बहुत कम लेखक होते है जो अपने जीवन और लेखन दोनों में ऐक अत्युच्च मानदंड के आग्रह और उसके समुचित निर्वाह रवे परिचालित रहे हों । काव्य चिन्तन मे ही नही, उनके जीवन व्यापी साहित्य आयोजनों और कर्म चेष्टाओं में भी सास्कृतिक अस्मिता का यह आग्रह निरंतर प्रतिफलित होते देखा जा सकता है ।
सेनिक विशाल भारत प्रतीक दिनमान नवभारत टाइम्स शक (अंग्रेजी) तथा नया प्रतीक के सम्पादन द्वारा जहाँ अज्ञेय ने पत्रकारिता के क्षेत्र मे नये प्रतिमान स्थापित किये वहाँ एक यायावर लेखक के रूप में और विजिटिग प्रोफेसर की हैसियत से भी उन्होने देश विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयो में कार्य किया । वे अपनी काव्य कृति आँगन के पार द्वार (1961) के लिए साहित्य अकादेमी द्वारा, कितनी नावों में कितनी बार (1967) के लिए भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा तथा सम्पूर्ण रचनाधर्मिता के लिए उत्तर प्रदेश शासन द्वारा भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित भी किए गये ।
हिन्दी के सुपरिचित लेखक, कवि और आलोचक रमेशचन्द्र शाह ने इस विनिबंध में राजनाधर्मिता लिए के रचनाकर्म का सक्षिप्त आकलन और मूल्यांकन प्रस्तुत किया है ।
अनुक्रम |
||
1 |
जीवन वृत्त |
7 |
2 |
चिन्ता की पहली रेखा |
13 |
3 |
शेखर एक जीवनी |
20 |
4 |
इत्यलम् तक |
27 |
5 |
शक्ति संचय |
33 |
6 |
कहानीकार अज्ञेय |
39 |
7 |
नदी के द्वीप |
42 |
8 |
यात्रावृत्त. निबन्ध अन्तःप्रक्रियाएँ |
47 |
9 |
अपने अपने अजनबी |
54 |
10 |
आँगन के पार द्वार और उसके बाद |
58 |
11 |
युग बोध |
63 |
12 |
भारतीय आधुनिकता उपसंहार |
70 |
परिशिष्ट |
||
1 |
अज्ञेय का प्रकाशित कृतित्व |
79 |
2 |
सहायक सामग्री |
83 |
पुस्तक परिचय
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय (मार्च 7,1911 अप्रैल 4,1987) का जन्म कसिया, जिला देवरिया में हुआ । पिता पं. हीरानन्द शास्त्री पुरातत्व विभाग के उच्च अधिकारी थे । अज्ञेय ने आरंभिक शिक्षा घर पर ही पायी । बाद में देश के विभिन्न शहरों मे उन्होंने अपनी पढाई जारी रखी । बी एस सी के बाद एमए (अंग्रेजी) मे दाखिला लिया लेकिन तभी एक गुप्त क्रांतिकारी संगठन से जुड़ गए और 1930 मे बम बनाने के आरोप मे उन्हें जेल जाना पडा । इस बीच साहित्य सृजन चलता रहा और चिन्ता की कविताओं के साथ शेखर उपन्यास का अधिकाश भाग लिखा गया ।
अज्ञेय न केवल हिन्दी में आधुनिक भावबोध के प्रवर्तक कवि के रूप मे प्रतिष्ठित हुए बल्कि लगभग आधी सदी तक अपनी और परवर्ती पीढी के लिए प्ररेणा और चुनौती भी बने रहे । किसी भी भाषा के साहित्य मे अज्ञेय जैसे ऐसे बहुत कम लेखक होते है जो अपने जीवन और लेखन दोनों में ऐक अत्युच्च मानदंड के आग्रह और उसके समुचित निर्वाह रवे परिचालित रहे हों । काव्य चिन्तन मे ही नही, उनके जीवन व्यापी साहित्य आयोजनों और कर्म चेष्टाओं में भी सास्कृतिक अस्मिता का यह आग्रह निरंतर प्रतिफलित होते देखा जा सकता है ।
सेनिक विशाल भारत प्रतीक दिनमान नवभारत टाइम्स शक (अंग्रेजी) तथा नया प्रतीक के सम्पादन द्वारा जहाँ अज्ञेय ने पत्रकारिता के क्षेत्र मे नये प्रतिमान स्थापित किये वहाँ एक यायावर लेखक के रूप में और विजिटिग प्रोफेसर की हैसियत से भी उन्होने देश विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयो में कार्य किया । वे अपनी काव्य कृति आँगन के पार द्वार (1961) के लिए साहित्य अकादेमी द्वारा, कितनी नावों में कितनी बार (1967) के लिए भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा तथा सम्पूर्ण रचनाधर्मिता के लिए उत्तर प्रदेश शासन द्वारा भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित भी किए गये ।
हिन्दी के सुपरिचित लेखक, कवि और आलोचक रमेशचन्द्र शाह ने इस विनिबंध में राजनाधर्मिता लिए के रचनाकर्म का सक्षिप्त आकलन और मूल्यांकन प्रस्तुत किया है ।
अनुक्रम |
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1 |
जीवन वृत्त |
7 |
2 |
चिन्ता की पहली रेखा |
13 |
3 |
शेखर एक जीवनी |
20 |
4 |
इत्यलम् तक |
27 |
5 |
शक्ति संचय |
33 |
6 |
कहानीकार अज्ञेय |
39 |
7 |
नदी के द्वीप |
42 |
8 |
यात्रावृत्त. निबन्ध अन्तःप्रक्रियाएँ |
47 |
9 |
अपने अपने अजनबी |
54 |
10 |
आँगन के पार द्वार और उसके बाद |
58 |
11 |
युग बोध |
63 |
12 |
भारतीय आधुनिकता उपसंहार |
70 |
परिशिष्ट |
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1 |
अज्ञेय का प्रकाशित कृतित्व |
79 |
2 |
सहायक सामग्री |
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