पुस्तक के विषय में
योग का उदेश्य मानव के शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक पहलुओ में सांमजस्य उत्पन्न करना है | दिन के चौबीस घण्टे जिया जाने वाला यह एक सतर्वधिक वैज्ञानिक ढंग है |
योगासनो की विलक्षणता, उनका अन्तःस्त्रावी प्रणाली जैसे अवटु (थायरायड), पीयूष (पिट्यूटरी) तथा शंकरूप (पायनीइल) ग्रंथियों (ग्लैंड्स) पर पड़ने वाला प्रभाव है | कई आसन एकाग्रता की शक्ति तथा स्मरण शक्ति का विकास करते है |
यह पुस्तक शरीर और मन को शक्ति प्रदान करने एवं स्वस्थ रखने के लिए योगासनो का, चित्रो सहित विस्तृत वर्णन करती है | इसमें पूर्णकालिक आध्यात्मिक साधक तथा गृहस्थ दोनों ही के लिए उपयोगी योग साधना सम्बन्धी बहुमूल्य जानकारी एवं निर्देशन है | इस पुस्तक में वर्णित योगासनो का थोड़ा सा भी किया जाने वाला अभ्यास, जिज्ञासु साधको को प्रयाप्त आंतरिक शक्ति प्रदान करता है | योगासनो के उदहारण प्रस्तुत करने तथा ध्यान की विधि के व्यवहारिक निर्देश देने के लिए श्रद्धेय श्री स्वामी चिंदानन्द जी महाराज ने स्वयं आसन एवं मुद्राएँ दिखने का कष्ट किया है | इस पुस्तक का भलीभाँति अध्ययन करने से तथा इसमें दिए गए महत्वपूर्ण निर्देशनो को ध्यानपूर्वक देखने से व्यक्ति बिना किसी ब्राह्य सहायता के ही योगासनो का अभ्यास कर सकता है |
योगासनो करने वाले सभी साधको को भगवन स्वास्थय, बल एवं सफलता प्रदान करें |
पुस्तक के विषय में
योग का उदेश्य मानव के शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक पहलुओ में सांमजस्य उत्पन्न करना है | दिन के चौबीस घण्टे जिया जाने वाला यह एक सतर्वधिक वैज्ञानिक ढंग है |
योगासनो की विलक्षणता, उनका अन्तःस्त्रावी प्रणाली जैसे अवटु (थायरायड), पीयूष (पिट्यूटरी) तथा शंकरूप (पायनीइल) ग्रंथियों (ग्लैंड्स) पर पड़ने वाला प्रभाव है | कई आसन एकाग्रता की शक्ति तथा स्मरण शक्ति का विकास करते है |
यह पुस्तक शरीर और मन को शक्ति प्रदान करने एवं स्वस्थ रखने के लिए योगासनो का, चित्रो सहित विस्तृत वर्णन करती है | इसमें पूर्णकालिक आध्यात्मिक साधक तथा गृहस्थ दोनों ही के लिए उपयोगी योग साधना सम्बन्धी बहुमूल्य जानकारी एवं निर्देशन है | इस पुस्तक में वर्णित योगासनो का थोड़ा सा भी किया जाने वाला अभ्यास, जिज्ञासु साधको को प्रयाप्त आंतरिक शक्ति प्रदान करता है | योगासनो के उदहारण प्रस्तुत करने तथा ध्यान की विधि के व्यवहारिक निर्देश देने के लिए श्रद्धेय श्री स्वामी चिंदानन्द जी महाराज ने स्वयं आसन एवं मुद्राएँ दिखने का कष्ट किया है | इस पुस्तक का भलीभाँति अध्ययन करने से तथा इसमें दिए गए महत्वपूर्ण निर्देशनो को ध्यानपूर्वक देखने से व्यक्ति बिना किसी ब्राह्य सहायता के ही योगासनो का अभ्यास कर सकता है |
योगासनो करने वाले सभी साधको को भगवन स्वास्थय, बल एवं सफलता प्रदान करें |