पुस्तक परिचय
शमशेर बहादुर सिंह (1911 1992) आधुनिक हिन्दी कविता के अग्रणी कवियों में है । उनका सौन्दर्य और इन्द्रिय बोध अत्यन्त तीव्र सघन भार गहन है । उनके काव्य शिल्प, भाषा बिम्ब, सबमें अनोखी ताजगी और टटकापन है । शमशेर की कविता पंखुड़ियों की तरह खुलती और मन की परतों को आहिस्ता आहिस्ता खोलती है। निजी अनुभूति से सम्पूक्त उनकी कविता सामाजिक ओंर मानवीय उदात्तताओं के शीर्ष छूती है । उनका सामाजिक चिन्तन मार्क्सवाद से अनुप्राणित है जो कविता में एक अलग क़िस्म की उदात्तता का रूप लेता है । शमशेर ने भारतीय काव्य परंपरा के साथ उर्दू और अंग्रेज़ी काव्य परंपरा को भी आत्मसात किया है, फिर भी अपनी मालिक अद्वितीयता को बनाए रखा है ठीक वैसे ही जैसे जीवन संघर्ष के कठिन दौरों में भी उन्होंने अपने स्वाभिमान और जीवट को अक्षुण्ण रखा है ।
अपने महत्वपूर्ण कविता संग्रह चुका भी हूँ नहीं मैं के लिए कवियों के कवि शमशेर को साहित्य अकादेमी ने वर्ष 1977 में श्रेष्ठ हिन्दी काव्य कृति के नाते अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया था । शमशेर के आलोचनात्मक, वैचारिक और आत्मान्वेषी निबन्ध. उनकी कहानियाँ और डायरी हिन्दी गद्य की सर्जनात्मक शक्ति का उदाहरण हैं ।
लेखक परिचय
डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ और दृष्टिसम्पन्न आलोचक हैं । उनकी कोई डेढ़ दर्जन पुस्तकें, परम्परा से अत्याधुनिक कविता तक की आलोचनात्मक यात्रा का महत्वपूर्ण साक्ष्य है । कविता की तीसरी आँख, रचना एक यातना है, मेघदूत एक अन्तर्यात्रा और संवाद उनकी उल्लेख्य कृतियाँ हैं । उन्होंने शमशेर के व्यक्ति और कवि की सभी विशेषताओं का इस विनिबंध में गहराई और बारीकी से मूल्यांकन किया है ।
अनुक्रम |
||
1 |
जीवन यात्रा |
7 |
कवि |
||
2 |
शमशेर को समझना |
25 |
3 |
संवेदना |
37 |
4 |
शिल्प |
55 |
5 |
एक सम्पूर्ण कवि |
74 |
गद्यकार |
||
6 |
शमशेर का गद्य |
83 |
7 |
अंतिम पाठ |
101 |
परिशिष्ट |
108 |
|
एक शमशेर का पत्र लेखक के नाम |
||
दो पुस्तक में संदर्भित कविता राग |
||
तीन जीवन रेखा और रचनाएँ |
पुस्तक परिचय
शमशेर बहादुर सिंह (1911 1992) आधुनिक हिन्दी कविता के अग्रणी कवियों में है । उनका सौन्दर्य और इन्द्रिय बोध अत्यन्त तीव्र सघन भार गहन है । उनके काव्य शिल्प, भाषा बिम्ब, सबमें अनोखी ताजगी और टटकापन है । शमशेर की कविता पंखुड़ियों की तरह खुलती और मन की परतों को आहिस्ता आहिस्ता खोलती है। निजी अनुभूति से सम्पूक्त उनकी कविता सामाजिक ओंर मानवीय उदात्तताओं के शीर्ष छूती है । उनका सामाजिक चिन्तन मार्क्सवाद से अनुप्राणित है जो कविता में एक अलग क़िस्म की उदात्तता का रूप लेता है । शमशेर ने भारतीय काव्य परंपरा के साथ उर्दू और अंग्रेज़ी काव्य परंपरा को भी आत्मसात किया है, फिर भी अपनी मालिक अद्वितीयता को बनाए रखा है ठीक वैसे ही जैसे जीवन संघर्ष के कठिन दौरों में भी उन्होंने अपने स्वाभिमान और जीवट को अक्षुण्ण रखा है ।
अपने महत्वपूर्ण कविता संग्रह चुका भी हूँ नहीं मैं के लिए कवियों के कवि शमशेर को साहित्य अकादेमी ने वर्ष 1977 में श्रेष्ठ हिन्दी काव्य कृति के नाते अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया था । शमशेर के आलोचनात्मक, वैचारिक और आत्मान्वेषी निबन्ध. उनकी कहानियाँ और डायरी हिन्दी गद्य की सर्जनात्मक शक्ति का उदाहरण हैं ।
लेखक परिचय
डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ और दृष्टिसम्पन्न आलोचक हैं । उनकी कोई डेढ़ दर्जन पुस्तकें, परम्परा से अत्याधुनिक कविता तक की आलोचनात्मक यात्रा का महत्वपूर्ण साक्ष्य है । कविता की तीसरी आँख, रचना एक यातना है, मेघदूत एक अन्तर्यात्रा और संवाद उनकी उल्लेख्य कृतियाँ हैं । उन्होंने शमशेर के व्यक्ति और कवि की सभी विशेषताओं का इस विनिबंध में गहराई और बारीकी से मूल्यांकन किया है ।
अनुक्रम |
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1 |
जीवन यात्रा |
7 |
कवि |
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2 |
शमशेर को समझना |
25 |
3 |
संवेदना |
37 |
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शिल्प |
55 |
5 |
एक सम्पूर्ण कवि |
74 |
गद्यकार |
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6 |
शमशेर का गद्य |
83 |
7 |
अंतिम पाठ |
101 |
परिशिष्ट |
108 |
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एक शमशेर का पत्र लेखक के नाम |
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दो पुस्तक में संदर्भित कविता राग |
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तीन जीवन रेखा और रचनाएँ |