पौराणिक कहानियाँ: Stories From The Puranas

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Item Code: GPA080
Publisher: Gita Press, Gorakhpur
Language: Hindi
Edition: 2011
ISBN: 9788129314000
Pages: 122
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch x 5.5 inch
Weight 110 gm
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Book Description
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नम्र-निवेदन

 

भारतीय संस्कृतिमें वेदोंके बाद पुराणोंका महत्त्वपूर्ण स्थान है । वेदोंके विषय गूढ़ होनेके कारण जन-सामान्यके लिये कठिन हैं, किन्तु भक्तिरससे ओतप्रोत पुराणोंकी मङ्गलमयी एवं ज्ञानप्रदायिनी कथाओंके श्रवण-मनन और पठन-पाठनके द्वारा साधारण मनुष्य भी भक्तितत्त्वका अनुपम रहस्य जानकर सहज ही अपना आत्मकल्याण कर सकता है । पुराणोंकी पवित्र कहानियोंके स्वाध्यायसे अध्यात्मकी दिशामें अग्रसर होनेवाले साधकोंको तत्त्वबोधकी प्राप्ति होती है तथा भगवान्के पुनीत चरणोंमें सहज अनुराग होता है । पौराणिक कहानियोंके द्वारा धर्म-अधर्मका ज्ञान होता है, सदाचारमें प्रवृत्ति होती है तथा भगवान्में भक्ति बढ़ती है । इन कथारूप उपदेशोंको सुनते-सुनते मानवका मन निर्मल होता है, जीवन सुधरता है तथा इहलोक और परलोक-दोनोंमें सुख और शान्ति मिलती है ।

प्रस्तुत पुस्तक कल्याण (वर्ष ६३, सन् १९८९ ई० )-में प्रकाशितपुराण-कथाङ्क से चयनित कहानियोंका अनुपम संग्रह है । इसमें शिवभक्त नन्दभद्र, नारायण-मन्त्रकी महिमा, कीर्तनका फल, सत्यकी महिमा, दानका स्वरूप, चोरीकी चोरी आदि ३६ उपयोगी एवं सन्मार्गकी प्रेरक कहानियाँ संकलित हैं । पुराणोंसे संकलित सुहत् सम्मत उपदेशपरक इन कहानियोंका स्वाध्याय सबके लिये कल्याणकारी है । इनके अध्ययन और मननसे प्रेरणा लेकर हम सबको सन्मार्ग और भगवद्धक्तिके पथपर आगे बढ़ना चाहिये ।

 

विषय-सूची

1

शिवभक्त नन्दभद्र

5

2

भक्त विष्णुदास और चक्रवर्ती सम्राट- चोल

12

3

नारायण-मन्त्रकी महिमा

16

4

कर्मरहस्य

20

5

कीर्तनका फल

23

6

भक्ति बड़ी है या शक्ति

26

7

सुदर्शनचक्र-प्राप्तिकी कथा

28

8

आसक्तिसे विजेता भी पराजित

31

9

जयध्वजकी विष्णुभक्ति

34

10

अविमुक्त-क्षेत्रमें शिवार्चन से यक्षको गणेशत्व-प्राप्ति

36

11

बिना दान दिये परलोकमें भोजन नहीं मिलता

39

12

सोमपुत्री जाम्बवती

41

13

और्ध्वदेहिक दानका महत्त्व

44

14

चोरीकी चोरी

47

15

आदिशक्ति ललिताम्बा

50

16

पाँच महातीर्थ

55

17

जगन्नाथधाम

61

18

सदाचारसे कल्याण

64

19

ब्रह्माजीका दर्पभंग

68

20

भक्तिके वश भगवान्

70

21

 भगवद्गानमें विघ्न न डालें

72

22

दानका स्वरूप

75

23

सत्यकी महिमा

81

24

परलोकको न बिगड़ने दें

85

25

संतसे वार्तालापकी महिमा

87

26

भगवान् आश्रितोंकी देखभाल करते हैं

90

27

पातिव्रत-धर्मका महत्त्व

94

28

पाँच पितृभक्त पुत्र

97

29

स्त्री, शूद्र और कलियुगकी महत्ता

107

30

धन्य कौन?

108

31

नारदजीका कामविजय- विषयक अभिमानभंग

112

32

किरातवेषधारी शिवजी की अर्जुनपर कृपा

116

33

महान् तीर्थ-माता-पिता

119

34

द्रौपदीकी क्षमाशीलता

122

35

कुसंग परमार्थका बाधक

125

36

दुख-दर्दकी माँग

127

 

 







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