पुस्तक के बारे में
प्रस्तुति
संसार में डॉक्टरों की कमी नहीं है, किन्तु मरीजों के मर्ज के साथ अपने को आत्मसात कर उनके दुःख-दर्द को दूर करने वाले डॉक्टर मुश्किल से मिलते हैं । डॉ. विष्णु जैन एक ऐसे ही आदर के योग्य विश्रुत डॉक्टर हैं जो मरीजों के हृदय में पैठकर, उनके कष्ट को अच्छी तरह समझ कर उनके उपचार का प्रयास करते हैं! साधारण से साधारण दवा, साधारण से साधारण उपचार! मरीज की आर्थिक स्थिति का विचार करते हुए उसके लिए उपयुक्त इलाज, इनकी विशेषता है । यह पुस्तक उनकी ऐसी ही सुव्यवस्था का नमूना है।
हमारी दिनचर्या कैसी हो, हम डॉक्टर के पास जाने के पहले क्या-क्या एहतियात बरतें, क्या-क्या रिपोर्ट दिखायें, क्या-क्या करें, यह आम आदमी को जानना चाहिए । हम क्या खायें, कैसे खायें अपने को स्वस्थ रखने के लिए क्या-क्या करें, क्या-क्या नहीं करें, यह सब यह पुस्तक बतलायेगी । ऐसी पुस्तक मुझ जैसे जिज्ञासु को भी पिछले पचासों वर्षों में देखने को नहीं मिली है ।
पुस्तक हाथ में आते ही मैं चौंक गया और वेदों में डूबे रहने पर भी, लाख । दूसरा काम रहने पर भी उसे बिना समाप्त किये नहीं उठा । इच्छा हुई, वांछित पृष्ठों की नकल कराकर तुरत रख लूँ, इसके छपने तक इतजार न करूँ ।
दुनिया आज नाना प्रकार के छोटेबडे रोगों से पीड़ित है, परन्तु हमें अपने । शरीर का रचमात्र भी ज्ञान नहीं है और एक छोटीसी बीमारी को लेकर भी हमें । बेचैन हो जाना पडता है । डॉक्टर ऐसे हैं कि उनके पारा जाने में डर लगता है! न मालूम क्या-क्या दवा लिख देंगे, क्या-क्या उपचार बतलायेंगे, कितना खर्च होगा, घरजमीन तो नहीं बेचना पडेगा, बरसों का नाहक चक्कर तो नहीं लगेगा इत्यादि विचार उद्वेलित करने लगते हैं । बीमारी बढ़ती जाती है ओर जब तक हम डॉक्टर के पास ले जाये जाते हैं अपने स्वस्थ होने की आशा निर्मूल होती जाती है । पैसा बेशुमार खर्च होने लगता है फिर भी अच्छा होने की आकाक्षा । सुनिश्चित नहीं होती ।
इस पुस्तक के पठन से, इन परिस्थितियों से हमारी पूर्ण सुरक्षा होगी, हम निर्भीकतापूर्वक डॉक्टर के पास जायेंगे और निशंक अपना इलाज करायेंगे । न समय की बर्बादी, न पैसों की और न ठगे जाने का ही डर! डॉक्टर हमें दूसरे-दूसरे डॉक्टर के पास भैज-भेज कर हमें परेशान नही कर सकेंगे । आज की दुनिया में कितनी बडी सहायता होगी हमारी । लगता है इराकी हजारों हजार कॉपियाँ छाप कर गांवगाव मे उपलब्ध करा दी जायँ । सरकार को स्वयं इस पुस्तक की प्रतियाँप्रत्येक ब्लॉक में, प्रत्येक हेल्थसेंटर में, प्रत्येक ग्राम पंचायत में पहुँचवा देनीचाहिए । पुस्तक के प्रकाशक धन्य हैं जिन्होंने इस पुस्तक को प्रकाशन के लिए चुना और इतनी सहज व्यवस्था से देश के दुःख को दूर करने में सहयोगी हुए ।पुस्तक की विषयसूची ही इतनी उपयोगी है कि साधारण से साधारण पढ़ा-लिखा आदमी भी अपना कल्याण आसानी से कर लेगा ।
भाषा इतनी सरल चुस्त और चुटीली है कि पढ़ने में आनंद आ जाये ।'बीमारियों के हवाई हमले, जल और स्थल की मारक स्थितियाँ और उनसे लडनेवाली अंतरमिसाइलें और फिर डॉक्टरी! कही तक कहा जाये? हार्ट महाशय का कहना कि 'मुझे पर्याप्त भोजन दो, काम कम लो' वर्ना मैं छुट्टी ले लूँगा ये सब डॉक्टर साहेब की लेखनी का जादू प्रस्तुत करते हैं ।
'मैं चाहता हूँ कि प्रकाशक इसके मील को समझे और पहली ही बार में, बीसों हजार प्रतियाँ छाप कर अच्छी तरह ऐडवरटाइज कर अखबार टी. वी. सिनेमा क्लाइडों के जरिये इराका प्रचार करें ग्रामीणों के लिए इसे सुलभ बनायें और धड़ाधड़ बिक्री कर पुन: पुन: हजार की प्रतियाँ छाप कर डॉक्टर साहब के साथसाथ अपने लिए भी अमरत्व हासिल करें ।
बस! और कुछ भी कहना थोडा है ।
विषय-सूची हृदय रोग और उनसे छुटकारा |
|||
1 |
|
1-3 |
|
2 |
हृदय गति बनाम जीवन संगीत |
3-6 |
|
3 |
हृदय रोग के लक्षण, जिन्हें आप पहचान सकते हैं |
6-9 |
|
4 |
हृदय रोग में साँस फूलना |
10-17 |
|
5 |
हृदय रोग से सम्बन्धित जाँच-पड़ताल |
17-20 |
|
6 |
हृदय रोग के निदान में विशेष जाँच की जरूरत |
20-23 |
|
7 |
सीने का दर्द: हृदय रोग जरूरी नहीं |
24-27 |
|
8 |
वर्ना में छुट्टी चला जाऊँगा-ऐन्जाइना बनाम कौरोनरी आर्टरी डिजीज |
28-30 |
|
9 |
लकवा की बीमारी का सबसे प्रमुख कारण-हाई ब्लड प्रेशर |
30-33 |
|
10 |
पेस मेकर या 'पीस' मेकर |
33-37 |
|
11 |
बच्चों में हृदय रोग |
37-43 |
|
12 |
रिमूमेटिक हृदय रोग जिसका बचाव संभव है |
44-46 |
|
13 |
हृदय की शल्य चिकित्सा |
47-50 |
|
II बुखार एक अन्य समस्या |
|||
1 |
'जो गर्म, सो शुद्ध' |
51-54 |
|
2 |
बुखार शरीर की कुशल प्रतिरक्षा का सूचक |
54-57 |
|
3 |
बुखार की तेजी कैसे कम करें |
57-60 |
|
4 |
टॉसिल-गला खराब: बुखार का एक आम कारण |
60-64 |
|
5 |
पन्द्रह दिन से अधिक रहने वाला बुखार |
64-69 |
|
6 |
लगातार बुखार: इलाज से पहले जाँच जरूरी |
69-73 |
|
7 |
फेफड़े में पानी:टी.बी. का दूसरा रूप |
73-77 |
|
8 |
बुखार: वे कारण जो आम नहीं हैं |
77-80 |
|
9 |
वायरस इन्फेक्शन और बुखार |
80-84 |
|
10 |
मेनिनजाइटिस: बुखार का एक जानलेवा रूप |
84-88 |
|
11 |
इंकिफेलाइटिस: बुखार का एक जानलेवा कारण |
88-91 |
|
III. बच्चों की महत्वपूर्ण समस्यायें और उनसे मुक्ति |
|||
1 |
जन्म से वयस्क होने तक |
92-95 |
|
2 |
बच्चों की जानलेवा बीमारी का आसान बचाव |
95-98 |
|
3 |
बच्चों में सूखा रोग दस्त और उल्टी का ही नतीजा |
98-101 |
|
4 |
बच्चों में जन्म से बनावट की खराबियाँ |
102-106 |
|
5 |
मंदबुद्धि बच्चे में धैर्य और निष्ठा का महत्त्व |
106-109 |
|
6 |
फड़का, कन्वल्जन से घबराना गैर-जरूरी और बेकार |
110-113 |
|
7 |
जोंक या किरमी: बच्चों की आम समस्या |
113-117 |
|
8 |
पीलिया या जौण्डिस का सफल बचाव अपने घर में |
117-121 |
|
9 |
बचाव के टीके न लगवाना रोगों को बुलावा देना है |
121-125 |
|
10 |
जानलेवा बीमारी टिटेनस से बचाव के लिए टीके कब और क्यों ? |
125-128 |
|
11 |
खसरा: बच्चों की बड़ी बीमारी का आसान बचाव |
128-133 |
|
12 |
जोड़ों का दर्द बच्चों में खतरनाक बीमारी |
133-136 |
|
IV. रोज दिन की विभिन्न परेशानियाँ और उनसे बचाव |
|||
1 |
बुढ़ापे में रोग क्यों? |
137-140 |
|
2 |
खून की कमी: बीमारी एक कारण अनेक |
140-145 |
|
3 |
खँखार में खून |
145-149 |
|
4 |
उल्टी में खून खतरनाक हो सकता है |
149-152 |
|
5 |
खून चढ़ाना-ब्लड ट्रांसफ्यूजन- बुझते दिये में तेल |
152-156 |
|
6 |
पेट दर्द की समस्या सभी उम्र में (महत्वपूर्ण) होने वाला कष्ट |
156-160 |
|
7 |
पेट दर्द-अपेण्डिक्स और पित्त की थैली की सूजन |
160-164 |
|
8 |
पेट दर्द: गुर्दे (किडनी) में पथरी |
164-168 |
|
9 |
मोटापा- आपके शरीर की 'छोटी बचत योजना' का नतीजा |
168-172 |
|
10 |
मोटापा-खाने-खाने में भेद न कर पाने का नतीजा |
173-177 |
|
11 |
सावधानी हटी-दुर्घटना घटी |
177-181 |
|
12 |
डाइबिटीज, मधुमेह या चीनी की बीमारी |
181-185 |
|
13 |
मधुमेह का इलाज आसान, परन्तु लगातार का |
185-190 |
|
V. बीमारी और इलाज से जुड़ी छोटी-बड़ी समस्यायें |
|||
1 |
महत्त्वपूर्ण और महत्वहीन तकलीफें |
191-194 |
|
2 |
धड़कन, कमजोरी और घबराहट-मनोदशा की सूचक |
194-197 |
|
3 |
बेहोशी नौजवानों में कोई सीरियल बीमारी नहीं |
198-201 |
|
4 |
शरीर पर सूजन बड़ी बीमारी संकेत |
201-205 |
|
5 |
बड़ी बीमारी : कैंसर या ट्यूमर |
205-207 |
|
6 |
वयस्कों में जोड़ दर्द बुढ़ापे का एक लक्षण |
207-211 |
|
7 |
दवा और दवा में भी भेद समझना सबके हित की बात |
211-215 |
|
8 |
जाँच का खर्चा कैसे कम करें |
216-220 |
|
VI नजला, सर्दी, खाँसी, साँस की तकलीफें और उनका निदान |
|||
1 |
वंशानुगत बीमारियों से बचने के नुस्खे |
221-223 |
|
2 |
इस्नोफीलिया के अनेक रूप |
224-228 |
|
3 |
समस्या साँस की |
228-230 |
पुस्तक के बारे में
प्रस्तुति
संसार में डॉक्टरों की कमी नहीं है, किन्तु मरीजों के मर्ज के साथ अपने को आत्मसात कर उनके दुःख-दर्द को दूर करने वाले डॉक्टर मुश्किल से मिलते हैं । डॉ. विष्णु जैन एक ऐसे ही आदर के योग्य विश्रुत डॉक्टर हैं जो मरीजों के हृदय में पैठकर, उनके कष्ट को अच्छी तरह समझ कर उनके उपचार का प्रयास करते हैं! साधारण से साधारण दवा, साधारण से साधारण उपचार! मरीज की आर्थिक स्थिति का विचार करते हुए उसके लिए उपयुक्त इलाज, इनकी विशेषता है । यह पुस्तक उनकी ऐसी ही सुव्यवस्था का नमूना है।
हमारी दिनचर्या कैसी हो, हम डॉक्टर के पास जाने के पहले क्या-क्या एहतियात बरतें, क्या-क्या रिपोर्ट दिखायें, क्या-क्या करें, यह आम आदमी को जानना चाहिए । हम क्या खायें, कैसे खायें अपने को स्वस्थ रखने के लिए क्या-क्या करें, क्या-क्या नहीं करें, यह सब यह पुस्तक बतलायेगी । ऐसी पुस्तक मुझ जैसे जिज्ञासु को भी पिछले पचासों वर्षों में देखने को नहीं मिली है ।
पुस्तक हाथ में आते ही मैं चौंक गया और वेदों में डूबे रहने पर भी, लाख । दूसरा काम रहने पर भी उसे बिना समाप्त किये नहीं उठा । इच्छा हुई, वांछित पृष्ठों की नकल कराकर तुरत रख लूँ, इसके छपने तक इतजार न करूँ ।
दुनिया आज नाना प्रकार के छोटेबडे रोगों से पीड़ित है, परन्तु हमें अपने । शरीर का रचमात्र भी ज्ञान नहीं है और एक छोटीसी बीमारी को लेकर भी हमें । बेचैन हो जाना पडता है । डॉक्टर ऐसे हैं कि उनके पारा जाने में डर लगता है! न मालूम क्या-क्या दवा लिख देंगे, क्या-क्या उपचार बतलायेंगे, कितना खर्च होगा, घरजमीन तो नहीं बेचना पडेगा, बरसों का नाहक चक्कर तो नहीं लगेगा इत्यादि विचार उद्वेलित करने लगते हैं । बीमारी बढ़ती जाती है ओर जब तक हम डॉक्टर के पास ले जाये जाते हैं अपने स्वस्थ होने की आशा निर्मूल होती जाती है । पैसा बेशुमार खर्च होने लगता है फिर भी अच्छा होने की आकाक्षा । सुनिश्चित नहीं होती ।
इस पुस्तक के पठन से, इन परिस्थितियों से हमारी पूर्ण सुरक्षा होगी, हम निर्भीकतापूर्वक डॉक्टर के पास जायेंगे और निशंक अपना इलाज करायेंगे । न समय की बर्बादी, न पैसों की और न ठगे जाने का ही डर! डॉक्टर हमें दूसरे-दूसरे डॉक्टर के पास भैज-भेज कर हमें परेशान नही कर सकेंगे । आज की दुनिया में कितनी बडी सहायता होगी हमारी । लगता है इराकी हजारों हजार कॉपियाँ छाप कर गांवगाव मे उपलब्ध करा दी जायँ । सरकार को स्वयं इस पुस्तक की प्रतियाँप्रत्येक ब्लॉक में, प्रत्येक हेल्थसेंटर में, प्रत्येक ग्राम पंचायत में पहुँचवा देनीचाहिए । पुस्तक के प्रकाशक धन्य हैं जिन्होंने इस पुस्तक को प्रकाशन के लिए चुना और इतनी सहज व्यवस्था से देश के दुःख को दूर करने में सहयोगी हुए ।पुस्तक की विषयसूची ही इतनी उपयोगी है कि साधारण से साधारण पढ़ा-लिखा आदमी भी अपना कल्याण आसानी से कर लेगा ।
भाषा इतनी सरल चुस्त और चुटीली है कि पढ़ने में आनंद आ जाये ।'बीमारियों के हवाई हमले, जल और स्थल की मारक स्थितियाँ और उनसे लडनेवाली अंतरमिसाइलें और फिर डॉक्टरी! कही तक कहा जाये? हार्ट महाशय का कहना कि 'मुझे पर्याप्त भोजन दो, काम कम लो' वर्ना मैं छुट्टी ले लूँगा ये सब डॉक्टर साहेब की लेखनी का जादू प्रस्तुत करते हैं ।
'मैं चाहता हूँ कि प्रकाशक इसके मील को समझे और पहली ही बार में, बीसों हजार प्रतियाँ छाप कर अच्छी तरह ऐडवरटाइज कर अखबार टी. वी. सिनेमा क्लाइडों के जरिये इराका प्रचार करें ग्रामीणों के लिए इसे सुलभ बनायें और धड़ाधड़ बिक्री कर पुन: पुन: हजार की प्रतियाँ छाप कर डॉक्टर साहब के साथसाथ अपने लिए भी अमरत्व हासिल करें ।
बस! और कुछ भी कहना थोडा है ।
विषय-सूची हृदय रोग और उनसे छुटकारा |
|||
1 |
|
1-3 |
|
2 |
हृदय गति बनाम जीवन संगीत |
3-6 |
|
3 |
हृदय रोग के लक्षण, जिन्हें आप पहचान सकते हैं |
6-9 |
|
4 |
हृदय रोग में साँस फूलना |
10-17 |
|
5 |
हृदय रोग से सम्बन्धित जाँच-पड़ताल |
17-20 |
|
6 |
हृदय रोग के निदान में विशेष जाँच की जरूरत |
20-23 |
|
7 |
सीने का दर्द: हृदय रोग जरूरी नहीं |
24-27 |
|
8 |
वर्ना में छुट्टी चला जाऊँगा-ऐन्जाइना बनाम कौरोनरी आर्टरी डिजीज |
28-30 |
|
9 |
लकवा की बीमारी का सबसे प्रमुख कारण-हाई ब्लड प्रेशर |
30-33 |
|
10 |
पेस मेकर या 'पीस' मेकर |
33-37 |
|
11 |
बच्चों में हृदय रोग |
37-43 |
|
12 |
रिमूमेटिक हृदय रोग जिसका बचाव संभव है |
44-46 |
|
13 |
हृदय की शल्य चिकित्सा |
47-50 |
|
II बुखार एक अन्य समस्या |
|||
1 |
'जो गर्म, सो शुद्ध' |
51-54 |
|
2 |
बुखार शरीर की कुशल प्रतिरक्षा का सूचक |
54-57 |
|
3 |
बुखार की तेजी कैसे कम करें |
57-60 |
|
4 |
टॉसिल-गला खराब: बुखार का एक आम कारण |
60-64 |
|
5 |
पन्द्रह दिन से अधिक रहने वाला बुखार |
64-69 |
|
6 |
लगातार बुखार: इलाज से पहले जाँच जरूरी |
69-73 |
|
7 |
फेफड़े में पानी:टी.बी. का दूसरा रूप |
73-77 |
|
8 |
बुखार: वे कारण जो आम नहीं हैं |
77-80 |
|
9 |
वायरस इन्फेक्शन और बुखार |
80-84 |
|
10 |
मेनिनजाइटिस: बुखार का एक जानलेवा रूप |
84-88 |
|
11 |
इंकिफेलाइटिस: बुखार का एक जानलेवा कारण |
88-91 |
|
III. बच्चों की महत्वपूर्ण समस्यायें और उनसे मुक्ति |
|||
1 |
जन्म से वयस्क होने तक |
92-95 |
|
2 |
बच्चों की जानलेवा बीमारी का आसान बचाव |
95-98 |
|
3 |
बच्चों में सूखा रोग दस्त और उल्टी का ही नतीजा |
98-101 |
|
4 |
बच्चों में जन्म से बनावट की खराबियाँ |
102-106 |
|
5 |
मंदबुद्धि बच्चे में धैर्य और निष्ठा का महत्त्व |
106-109 |
|
6 |
फड़का, कन्वल्जन से घबराना गैर-जरूरी और बेकार |
110-113 |
|
7 |
जोंक या किरमी: बच्चों की आम समस्या |
113-117 |
|
8 |
पीलिया या जौण्डिस का सफल बचाव अपने घर में |
117-121 |
|
9 |
बचाव के टीके न लगवाना रोगों को बुलावा देना है |
121-125 |
|
10 |
जानलेवा बीमारी टिटेनस से बचाव के लिए टीके कब और क्यों ? |
125-128 |
|
11 |
खसरा: बच्चों की बड़ी बीमारी का आसान बचाव |
128-133 |
|
12 |
जोड़ों का दर्द बच्चों में खतरनाक बीमारी |
133-136 |
|
IV. रोज दिन की विभिन्न परेशानियाँ और उनसे बचाव |
|||
1 |
बुढ़ापे में रोग क्यों? |
137-140 |
|
2 |
खून की कमी: बीमारी एक कारण अनेक |
140-145 |
|
3 |
खँखार में खून |
145-149 |
|
4 |
उल्टी में खून खतरनाक हो सकता है |
149-152 |
|
5 |
खून चढ़ाना-ब्लड ट्रांसफ्यूजन- बुझते दिये में तेल |
152-156 |
|
6 |
पेट दर्द की समस्या सभी उम्र में (महत्वपूर्ण) होने वाला कष्ट |
156-160 |
|
7 |
पेट दर्द-अपेण्डिक्स और पित्त की थैली की सूजन |
160-164 |
|
8 |
पेट दर्द: गुर्दे (किडनी) में पथरी |
164-168 |
|
9 |
मोटापा- आपके शरीर की 'छोटी बचत योजना' का नतीजा |
168-172 |
|
10 |
मोटापा-खाने-खाने में भेद न कर पाने का नतीजा |
173-177 |
|
11 |
सावधानी हटी-दुर्घटना घटी |
177-181 |
|
12 |
डाइबिटीज, मधुमेह या चीनी की बीमारी |
181-185 |
|
13 |
मधुमेह का इलाज आसान, परन्तु लगातार का |
185-190 |
|
V. बीमारी और इलाज से जुड़ी छोटी-बड़ी समस्यायें |
|||
1 |
महत्त्वपूर्ण और महत्वहीन तकलीफें |
191-194 |
|
2 |
धड़कन, कमजोरी और घबराहट-मनोदशा की सूचक |
194-197 |
|
3 |
बेहोशी नौजवानों में कोई सीरियल बीमारी नहीं |
198-201 |
|
4 |
शरीर पर सूजन बड़ी बीमारी संकेत |
201-205 |
|
5 |
बड़ी बीमारी : कैंसर या ट्यूमर |
205-207 |
|
6 |
वयस्कों में जोड़ दर्द बुढ़ापे का एक लक्षण |
207-211 |
|
7 |
दवा और दवा में भी भेद समझना सबके हित की बात |
211-215 |
|
8 |
जाँच का खर्चा कैसे कम करें |
216-220 |
|
VI नजला, सर्दी, खाँसी, साँस की तकलीफें और उनका निदान |
|||
1 |
वंशानुगत बीमारियों से बचने के नुस्खे |
221-223 |
|
2 |
इस्नोफीलिया के अनेक रूप |
224-228 |
|
3 |
समस्या साँस की |
228-230 |