नम्र निवेदन
परम पूज्य स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराजके प्रवचनोंमेंसे कुछ विशेष प्रवचन मूलरूपमें प्रकाशित किये जा रहे हैं । इससे पूर्व भी स्वामीजी महाराजके प्रवचनोंकी कुछ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं । उन पुस्तकोंकी लोकप्रियतासे इस प्रकाशनमें उत्साह और प्रेरणा मिली है । फलस्वरूप प्रस्तुत पुस्तक आपके समक्ष है ।
पूज्य स्वामीजी महाराजके प्रवचन बड़े ही मार्मिक, हृदय स्पर्शी और गम्भीर होते हैं जिन्हें कल्याणकामी सत्संगी भाई, बहिन बड़ी सरलतासे समझ लेते हैं । भगवान् हमारे हैं, उनपर हमारा अधिकार है । संसारसे लोक व्यवहारकी दृष्टिसे हमारा इतना ही सम्बन्ध है कि हम उसकी यथाशक्ति सेवा कर दें । भगवत्प्राप्ति इसी जीवनमें सम्भव है और अत्यन्त सुलभ है । इन बातोंपर पूज्य स्वामीजी महाराज विशेष बल देते हैं ।
आशा है पाठकगण इस पुस्तकका अध्ययन व मनन करके पूरा पूरा लाभ उठायेंगे ।
विषय सूची |
||
1 |
परम शान्तिका उपाय |
5 |
2 |
प्रभुकी प्राप्ति साधनासे नहीं, केवल मान्यतासे |
11 |
3 |
अभिमान और अहंकारका त्याग सम्भव है |
16 |
4 |
पराधीनता और स्वाधीनता |
22 |
5 |
आवश्यकता और इच्छा |
28 |
6 |
बुद्धिके निश्चयकी महत्ता |
34 |
7 |
स्वभाव शुद्धि |
39 |
8 |
प्रत्येक परिस्थिति सदुपयोगके लिये |
43 |
9 |
श्रीमद्भगवद्गीताकी महिमा |
49 |
10 |
वास्तविक सम्बन्ध प्रभुसे |
53 |
11 |
अधिकार संसारपर नहीं, परमात्मापर |
58 |
12 |
अचिन्त्यका ध्यान |
63 |
13 |
करनेमें साव धानी, होनेमें प्रसन्नता |
66 |
14 |
गोरक्षा हमारा परम कर्तव्य |
73 |
15 |
मनकी खटपट कैसे मिटे |
78 |
16 |
संसार नहीं है और परमात्मा है |
85 |
17 |
माँ! |
89 |
नम्र निवेदन
परम पूज्य स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराजके प्रवचनोंमेंसे कुछ विशेष प्रवचन मूलरूपमें प्रकाशित किये जा रहे हैं । इससे पूर्व भी स्वामीजी महाराजके प्रवचनोंकी कुछ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं । उन पुस्तकोंकी लोकप्रियतासे इस प्रकाशनमें उत्साह और प्रेरणा मिली है । फलस्वरूप प्रस्तुत पुस्तक आपके समक्ष है ।
पूज्य स्वामीजी महाराजके प्रवचन बड़े ही मार्मिक, हृदय स्पर्शी और गम्भीर होते हैं जिन्हें कल्याणकामी सत्संगी भाई, बहिन बड़ी सरलतासे समझ लेते हैं । भगवान् हमारे हैं, उनपर हमारा अधिकार है । संसारसे लोक व्यवहारकी दृष्टिसे हमारा इतना ही सम्बन्ध है कि हम उसकी यथाशक्ति सेवा कर दें । भगवत्प्राप्ति इसी जीवनमें सम्भव है और अत्यन्त सुलभ है । इन बातोंपर पूज्य स्वामीजी महाराज विशेष बल देते हैं ।
आशा है पाठकगण इस पुस्तकका अध्ययन व मनन करके पूरा पूरा लाभ उठायेंगे ।
विषय सूची |
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1 |
परम शान्तिका उपाय |
5 |
2 |
प्रभुकी प्राप्ति साधनासे नहीं, केवल मान्यतासे |
11 |
3 |
अभिमान और अहंकारका त्याग सम्भव है |
16 |
4 |
पराधीनता और स्वाधीनता |
22 |
5 |
आवश्यकता और इच्छा |
28 |
6 |
बुद्धिके निश्चयकी महत्ता |
34 |
7 |
स्वभाव शुद्धि |
39 |
8 |
प्रत्येक परिस्थिति सदुपयोगके लिये |
43 |
9 |
श्रीमद्भगवद्गीताकी महिमा |
49 |
10 |
वास्तविक सम्बन्ध प्रभुसे |
53 |
11 |
अधिकार संसारपर नहीं, परमात्मापर |
58 |
12 |
अचिन्त्यका ध्यान |
63 |
13 |
करनेमें साव धानी, होनेमें प्रसन्नता |
66 |
14 |
गोरक्षा हमारा परम कर्तव्य |
73 |
15 |
मनकी खटपट कैसे मिटे |
78 |
16 |
संसार नहीं है और परमात्मा है |
85 |
17 |
माँ! |
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