प्रस्तुत पुस्तक में क्या है?
तनावमुक्त कैसे हों? तनाव-व्यवस्थापन के मनोवैज्ञानिक, यौगिक उपाय-सुख-समाधान-आनंद, जीवन में, कैरने प्राप्त करें?
मानसिक स्वास्थ्य, समग्र स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए सुलभ यौगिक उपाय मानसिक विकारों पर मनोवैज्ञानिक, यौगिक उपाय निराशा - द्वंद्व से निपटने के प्रभावी यौगिक उपाय मनोशारीरिक शक्ति व क्षमता के लिए प्रकार, क्रिया योग, ध्यान व प्रार्थना व्यावहारिक विधियाँ प्रभावी अभ्यास के लिए प्रश्र – संचय योग एवं मानसिक स्वास्थ्य स्वास्थ्य जीवन की एक मार्गदर्शिका
''स्वस्ति वचन''
योग तथा मानसिक स्वास्थ्य'' एक लोकप्रिय विषय के रूप में सम्प्रति यौगिक संस्थानों में मान्यता प्राप्त कर रहा है। स्वामी कुवलयानंदजी ने ११२४ में ही, अपने लेखों के माध्यम से, योग के मानसिक व आध्यात्मिक पक्ष का महत्व स्पष्ट कर दिया था । कैवल्यधाम के योग महाविद्यालय में ''योग तथा मानसिक स्वास्थ्य'' इस विषय को प्रारंभिक वर्षों से ही पढ़ाया जाता रहा है ।अंग्रेजी में लेखक की पाठ्यपुस्तक ''Yoga & Mental Health & Beyond" कैवल्यधाम समिति ने प्रकाशित की है। हिंदी में शुद्ध यौगिक परम्परा से प्रेरित ऐसी कोई पाठयपुस्तक उपलब्ध नहीं थी जो सरल, सुगम पद्धति से विषय के साथ न्याय कर सके । लेखक का प्रस्तुत प्रयास इस दृष्टि से सराहनीय तथा अभिनंदनीय है । पुस्तक में न केवल विषयवस्तु का ऊहापोह प्रभावपूर्ण है, अपितु योग का अनुभवात्मक-आध्यात्मिक आयाम भी पूर्ण प्रामाणिकता व वस्तुनिष्ठता से प्रस्तुत किया गया है। विद्यार्थी, साधक तथा जिज्ञासु पाठक पुस्तक का स्वागत करेंगे, ऐसा विश्वास है।
प्रकाशकीय
स्वामी कुवलयानंदजी एक महान योग साधक तथा विचारक थे । योगविज्ञान के मानसिक व आध्यात्मिक आयाम का महत्व सर्व प्रथम स्वामीजी ने ही उद्घोषित किया था । कैवल्यधाम योग महाविद्यालय में ' 'योग तथा मानसिक स्वास्थ्य' ' विषय को सम्मिलित करने में स्वामीजी की ही प्रेरणा रही ।
प्राचार्य भोगल द्वारा लेखनबद्ध यह पुस्तक आधुनिक समाज की सामयिक आवश्यकता की पूर्ति करती है । विषयवस्तु का निरूपण प्रभावी है जो हिंदी के पाठकों को ध्यान में रखकर किया गया है। आज के वातावरण में जबकि मानवीय मूल्य विस्मृत से हो गए हैं तथा यौगिक प्रक्रियाओं के आधारभूत सिद्धांतों को प्राय: नजरअंदाज क्यिा जाता रहा है, प्रस्तुत पुस्तक अपना एक्? विशेष महत्व रखती है।
पाठ्यपुस्तक के रुप में इस कार्य को अवश्य सराहा जाएगा यह तो निश्चित है ही । साथ ही, अपने ढग की पुस्तक होने के कारण सर्वसाधारण पाठक भी इसे पसंद करेंगे, ऐसा विश्वास है ।
लेखक की अपनी लंबी अवधि के यौगिक अनुसंधान तथा अध्यापन का अनुभव पुस्तक के पन्नों में बखूबी परिलक्षित होता है । भाषा विज्ञान-निष्ठ होते हुए भी सरल तथा स्पष्ट है। '' तनाव'' तथा ''समायोजन'' जैसे सामयिक विषयों को व्यावहारिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है । मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में योग को समझने की दिशा में प्रस्तुत प्रयास सराहनीय है । योग साधक के लिए भी यह पुस्तक उपयुक्त सिद्ध होगी ऐसा ''यौगिक जीवनशैली'' तथा ''ध्यान साधना'' जैसे विषयों की प्रभावी प्रस्तुति के आधार पर कहा जा सकता है। योग का अनुभवात्मक पक्ष पुस्तक में पूर्ण स्पष्टता से प्रस्तुत किया गया है जो योग साधक के लिए अत्यत उपयुक्त सिद्ध होगा ।
यह विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है कि सकता है कि भोगल जी का प्रस्तुत प्रयास न केवल योग के क्षेत्र में एक्? महत्वपूर्ण योगदान होगा, अपितु हिंदी साहित्य में भी उसे उचित स्थान प्राप्त हतो ।
लेखक का प्राक्कथन
अपने दो दशकों के यौगिक अध्यापन काल में लेखक ने यह विडंबना अनुभव की है कि आम तौर पर केवल सुशिक्षित वर्ग ही योग का दार्शनिक पक्ष जानने का प्रयास करता है । यह तथ्य भी विचारणीय है कि हिंदी भाषा में यौगिक साहित्य उस विपुलता व सहजता से उपलब्ध नहीं है, जितना कि अंग्रेजी भाषा में । परतु अब चित्र बदल रहा है । यह उत्साहवर्धक है कि अब ऐसे साक्षर भी, जो किसी कारणवश औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रहे हैं, योग का दार्शनिक तथा मनोवैज्ञानिक पक्ष जानना चाहते हैं । प्रस्तुत पुस्तक, सरल हिंदी में इसी उद्देश्य को सामने रखकर लिखी गई है । विद्यार्थियों की सुविधा के लिए एक प्रश्न-सचय भी दिया गया है, ताकि विषयवस्तु सुस्पष्ट, सुगम हो । परिचयात्मक होने के कारण प्रस्तुत पुस्तक में कतिपय यौगिक संकल्पनाओं का गहन तथा समुचित विवेचन संभव नहीं था । सुधी पाठक, उस दृष्टि से अपनी जिज्ञासाओं के परिप्रेक्ष्य में, लेखक का "Yoga & Mental Health & Beyond'' यह अंग्रेजी ग्रथ देख सकते हैं । पुस्तका को सुगम तथा व्यवहार्य बनाए रखने का हर सभव प्रयास किया गया है। मानसिक स्वास्थ्य की पाश्चात्य सकल्पना तथा '' समग्र स्वास्थ्य'' का यौगिक परिप्रेक्ष्य यथा सभव वस्तुनिष्ठता से प्रस्तुत किया गया है, ताकि पाठकगण योग के वास्तविक स्वरुप को, बिना किसी पूर्वाग्रह के, जानने के अपने प्रयास के साथ साथ स्वास्थ्य का सर्वंकष स्वरुप भी भलीभांति समझ सकें तथा इस प्रकार योग को अपने जीवन में समुचित स्थान दे सकें। 'ओंकार' ''ध्यान'', ''यौगिक जीवन शैली'' तथा'' तनाव पर यौगिक उपाय'' इत्यादि संकल्पनाओं की, इसी दृष्टिकोण से, विस्तृत चर्चा की गई है।
प्रस्तुत पुस्तक में क्या है?
तनावमुक्त कैसे हों? तनाव-व्यवस्थापन के मनोवैज्ञानिक, यौगिक उपाय-सुख-समाधान-आनंद, जीवन में, कैरने प्राप्त करें?
मानसिक स्वास्थ्य, समग्र स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए सुलभ यौगिक उपाय मानसिक विकारों पर मनोवैज्ञानिक, यौगिक उपाय निराशा - द्वंद्व से निपटने के प्रभावी यौगिक उपाय मनोशारीरिक शक्ति व क्षमता के लिए प्रकार, क्रिया योग, ध्यान व प्रार्थना व्यावहारिक विधियाँ प्रभावी अभ्यास के लिए प्रश्र – संचय योग एवं मानसिक स्वास्थ्य स्वास्थ्य जीवन की एक मार्गदर्शिका
''स्वस्ति वचन''
योग तथा मानसिक स्वास्थ्य'' एक लोकप्रिय विषय के रूप में सम्प्रति यौगिक संस्थानों में मान्यता प्राप्त कर रहा है। स्वामी कुवलयानंदजी ने ११२४ में ही, अपने लेखों के माध्यम से, योग के मानसिक व आध्यात्मिक पक्ष का महत्व स्पष्ट कर दिया था । कैवल्यधाम के योग महाविद्यालय में ''योग तथा मानसिक स्वास्थ्य'' इस विषय को प्रारंभिक वर्षों से ही पढ़ाया जाता रहा है ।अंग्रेजी में लेखक की पाठ्यपुस्तक ''Yoga & Mental Health & Beyond" कैवल्यधाम समिति ने प्रकाशित की है। हिंदी में शुद्ध यौगिक परम्परा से प्रेरित ऐसी कोई पाठयपुस्तक उपलब्ध नहीं थी जो सरल, सुगम पद्धति से विषय के साथ न्याय कर सके । लेखक का प्रस्तुत प्रयास इस दृष्टि से सराहनीय तथा अभिनंदनीय है । पुस्तक में न केवल विषयवस्तु का ऊहापोह प्रभावपूर्ण है, अपितु योग का अनुभवात्मक-आध्यात्मिक आयाम भी पूर्ण प्रामाणिकता व वस्तुनिष्ठता से प्रस्तुत किया गया है। विद्यार्थी, साधक तथा जिज्ञासु पाठक पुस्तक का स्वागत करेंगे, ऐसा विश्वास है।
प्रकाशकीय
स्वामी कुवलयानंदजी एक महान योग साधक तथा विचारक थे । योगविज्ञान के मानसिक व आध्यात्मिक आयाम का महत्व सर्व प्रथम स्वामीजी ने ही उद्घोषित किया था । कैवल्यधाम योग महाविद्यालय में ' 'योग तथा मानसिक स्वास्थ्य' ' विषय को सम्मिलित करने में स्वामीजी की ही प्रेरणा रही ।
प्राचार्य भोगल द्वारा लेखनबद्ध यह पुस्तक आधुनिक समाज की सामयिक आवश्यकता की पूर्ति करती है । विषयवस्तु का निरूपण प्रभावी है जो हिंदी के पाठकों को ध्यान में रखकर किया गया है। आज के वातावरण में जबकि मानवीय मूल्य विस्मृत से हो गए हैं तथा यौगिक प्रक्रियाओं के आधारभूत सिद्धांतों को प्राय: नजरअंदाज क्यिा जाता रहा है, प्रस्तुत पुस्तक अपना एक्? विशेष महत्व रखती है।
पाठ्यपुस्तक के रुप में इस कार्य को अवश्य सराहा जाएगा यह तो निश्चित है ही । साथ ही, अपने ढग की पुस्तक होने के कारण सर्वसाधारण पाठक भी इसे पसंद करेंगे, ऐसा विश्वास है ।
लेखक की अपनी लंबी अवधि के यौगिक अनुसंधान तथा अध्यापन का अनुभव पुस्तक के पन्नों में बखूबी परिलक्षित होता है । भाषा विज्ञान-निष्ठ होते हुए भी सरल तथा स्पष्ट है। '' तनाव'' तथा ''समायोजन'' जैसे सामयिक विषयों को व्यावहारिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है । मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में योग को समझने की दिशा में प्रस्तुत प्रयास सराहनीय है । योग साधक के लिए भी यह पुस्तक उपयुक्त सिद्ध होगी ऐसा ''यौगिक जीवनशैली'' तथा ''ध्यान साधना'' जैसे विषयों की प्रभावी प्रस्तुति के आधार पर कहा जा सकता है। योग का अनुभवात्मक पक्ष पुस्तक में पूर्ण स्पष्टता से प्रस्तुत किया गया है जो योग साधक के लिए अत्यत उपयुक्त सिद्ध होगा ।
यह विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है कि सकता है कि भोगल जी का प्रस्तुत प्रयास न केवल योग के क्षेत्र में एक्? महत्वपूर्ण योगदान होगा, अपितु हिंदी साहित्य में भी उसे उचित स्थान प्राप्त हतो ।
लेखक का प्राक्कथन
अपने दो दशकों के यौगिक अध्यापन काल में लेखक ने यह विडंबना अनुभव की है कि आम तौर पर केवल सुशिक्षित वर्ग ही योग का दार्शनिक पक्ष जानने का प्रयास करता है । यह तथ्य भी विचारणीय है कि हिंदी भाषा में यौगिक साहित्य उस विपुलता व सहजता से उपलब्ध नहीं है, जितना कि अंग्रेजी भाषा में । परतु अब चित्र बदल रहा है । यह उत्साहवर्धक है कि अब ऐसे साक्षर भी, जो किसी कारणवश औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रहे हैं, योग का दार्शनिक तथा मनोवैज्ञानिक पक्ष जानना चाहते हैं । प्रस्तुत पुस्तक, सरल हिंदी में इसी उद्देश्य को सामने रखकर लिखी गई है । विद्यार्थियों की सुविधा के लिए एक प्रश्न-सचय भी दिया गया है, ताकि विषयवस्तु सुस्पष्ट, सुगम हो । परिचयात्मक होने के कारण प्रस्तुत पुस्तक में कतिपय यौगिक संकल्पनाओं का गहन तथा समुचित विवेचन संभव नहीं था । सुधी पाठक, उस दृष्टि से अपनी जिज्ञासाओं के परिप्रेक्ष्य में, लेखक का "Yoga & Mental Health & Beyond'' यह अंग्रेजी ग्रथ देख सकते हैं । पुस्तका को सुगम तथा व्यवहार्य बनाए रखने का हर सभव प्रयास किया गया है। मानसिक स्वास्थ्य की पाश्चात्य सकल्पना तथा '' समग्र स्वास्थ्य'' का यौगिक परिप्रेक्ष्य यथा सभव वस्तुनिष्ठता से प्रस्तुत किया गया है, ताकि पाठकगण योग के वास्तविक स्वरुप को, बिना किसी पूर्वाग्रह के, जानने के अपने प्रयास के साथ साथ स्वास्थ्य का सर्वंकष स्वरुप भी भलीभांति समझ सकें तथा इस प्रकार योग को अपने जीवन में समुचित स्थान दे सकें। 'ओंकार' ''ध्यान'', ''यौगिक जीवन शैली'' तथा'' तनाव पर यौगिक उपाय'' इत्यादि संकल्पनाओं की, इसी दृष्टिकोण से, विस्तृत चर्चा की गई है।