पुस्तक के बारे में
महाबलेश्वर के प्राकृतिक वातावरण में ओशों द्वारा संचालित ध्यान शिविर के दौरान हुए प्रवचनों व ध्यान प्रयोगों का संकलन है यह पुस्तक। शरीर, विचारों और भावों की एक-एक पर्त से ग्रंथियों को विलीन करने की कला समझाते हुए, ओशो हमें सम्रग स्वास्थ्य और संतुलन की ओर लिए चलते हैं।
पुस्तक के कुछ अन्य विषय-बिंदु:
सेक्स ऊर्जा का सृजानात्मक उपयोग कैसे करें?
क्रोध क्या है क्या है उसकी शक्ति?
अहंकार को किस शक्ति में बदलें ?
ज्ञानिक युग में अध्यात्म का क्या स्थान है?
आमंत्रण
सबसे पहले तो आपका स्वागत करूं-इसलिए कि परमात्मा में आपकी उत्सुकता हैं-इसलिए कि सामान्य जीवन के ऊपर एक साधक के जीवन में प्रवेश करने की आकांक्षा है-इसलिए कि संसार के अतिरिक्त सत्य को पाने की प्यास है।
सौभाग्य है उन लोगों का, जो सत्य के लिए प्यासे हो सकें। बहुत लोग पैदा होते हैं, बहुत कम लोग सत्य के लिए प्यासे हो पाते हैं । सत्य का मिलना तो बहुत बड़ा सौभाग्य है। सत्य की प्यास होना भी उतना ही बड़ा सौभाग्य है। सत्य न भी मिले, तो कोई हर्ज नहीं; लेकिन सत्य की प्यास ही पैदा न हो, तो बहुत बड़ा हर्ज है।
सत्य यदि न मिले, तो मैंने कहा, कोई हर्ज नहीं है । हमने चाहा था और हमने प्रयास किया था, हम श्रम किए थे और हमने आकांक्षा की थी, हमने संकल्प बांधा था और हमने जो हमसे बन सकता था, वह किया था । और यदि सत्य न मिले, तो कोई हर्ज नहीं; लेकिन सत्य की प्यास ही हममें पैदा न हो, तो जीवन बहुत दुर्भाग्य से भर जाता है ।
और मैं आपको यह भी कहूं कि सत्य को पा लेना उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना सत्य के लिए ठीक अर्थों में प्यासे हो जाना है । वह भी एक आनंद है । जो क्षुद्र के लिए प्यासा होता है, वह क्षुद्र को पाकर भी आनंद उपलब्ध नहीं करता । और जो विराट के लिए प्यासा होता है, वह उसे न भी पा सके, तो भी आनंद से भर जाता है ।
इसे पुन: दोहराऊं-जो क्षुद्र के लिए आकांक्षा करे, वह अगर क्षुद्र को पा भी ले, तो भी उसे कोई शांति और आनंद उपलब्ध नहीं होता है । और जो विराट की अभीप्सा से भर जाए, वह अगर विराट को उपलब्ध न भी हो सके, तो भी उसका जीवन आनंद से भर जाता है । जिन अर्थों में हम श्रेष्ठ की कामना करने लगते हैं, उन्ही अर्थों में हमारे भीतर कोई श्रेष्ठ पैदा होने लगता है।
कोई परमात्मा या कोई सत्य हमारे बाहर हमें उपलब्ध नहीं होगा, उसके बीज हमारे भीतर हैं और वे विकसित होंगे। लेकिन वे तभी विकसित होंगे जब प्यास की आग और प्यास की तपिश और प्यास की गर्मी हम पैदा कर सकें। मैं जितनी श्रेष्ठ की आकांक्षा करता हूं उतना ही मेरे मन के भीतर छिपे हुए वे बीज, जो विराट और श्रेष्ठ बन सकते है, वे कंपित होने लगते हैं और उनमें अंकुर आने की संभावना पैदा हो जाती है ।जब आपके भीतर कभी यह खयाल भी पैदा हो कि परमात्मा को पाना है, जब कभी यह खयाल भी पैदा हो कि शांति को और सत्य को उपलब्ध करना है, तो इस बात को स्मरण रखना कि आपके भीतर कोई बीज अंकुर होने को उत्सुक हो गया है। इस बात को स्मरण रखना कि आपके भीतर कोई दबी हुई आकांक्षा जाग रही है। इस बात को स्मरण रखना कि कुछ महत्वपूर्ण आदोलन आपके भीतर हो रहा है।
उस आदोलन को हमें सम्हालना होगा। उस आदोलन को सहारा देना होगा। क्योंकि बीज अकेला अंकुर बन जाए, इतना ही काफी नहीं है। और भी बहुत सी सुरक्षाएं जरूरी है । और बीज अंकुर बन जाए, इसके लिए बीज की क्षमता काफी नहीं है, और बहुत सी सुविधाएं भी जरूरी है। जमीन पर बहुत बीज पैदा होते हैं, लेकिन बहुत कम बीज वृक्ष बन पाते है । उनमें क्षमता थी, वे विकसित हो सकते थे । और एक-एक बीज में फिर करोड़ों-करोड़ों बीज लग सकते थे । एक छोटे से बीज मे इतनी शक्ति है कि एक पूरा जंगल उससे पैदा हो जाए । एक छोटे से बीज मे इतनी शक्ति है कि सारी जमीन पर पौधे उससे पैदा हो जाएं । लेकिन यह भी हो सकता है कि इतनी विराट क्षमता, इतनी विराट शक्ति का वह बीज नष्ट हो जाए और उसमें कुछ भी पैदा न हो।
एक बीज की यह क्षमता है, एक मनुष्य की तो क्षमता और भी बहुत ज्यादा है । एक बीज से इतना बड़ा, विराट विकास हो सकता है, एक पत्थर के छोटे-से टुकड़े से अगर अणु को विस्फोट कर लिया जाए तो महान ऊर्जा का जन्म होता है, बहुत शक्ति का जन्म होता है । मनुष्य की आत्मा और मनुष्य की चेतना का जो अणु है, अगर वह विकसित हो सके, अगर उसका विस्फोट हो सके, अगर उसका विकास हो सके, तो जिस शक्ति और ऊर्जा का जन्म होता है, उसी का नाम परमात्मा है। परमात्मा को हम कहीं पाते नहीं है, बल्कि अपने ही विस्फोट से, अपने ही विकास से जिस ऊर्जा को हम जन्म देते है, जिस शक्ति को, उस शक्ति का अनुभव परमात्मा है। उसकी प्यास आपमें है, इसलिए मैं स्वागत करता हूं।
अनुक्रम |
||
1 |
प्यास और संकल्प |
1 |
2 |
शरीर-शुद्धि के अंतरंग सूत्र |
15 |
3 |
चित्त-शक्तियों का रूपांतरण |
37 |
4 |
विचार-शुद्धि के सूत्र |
57 |
5 |
भाव-शुद्धि की कीमिया |
71 |
6 |
सम्यक रूपांतरण के सूत्र |
89 |
7 |
शुद्धि और शून्यता से समाधि फलित |
109 |
8 |
समाधि है द्वार |
123 |
9 |
आमंत्रण-एक कदम चलने का |
139 |
ओशो- एक परिचय |
153 |
|
ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट |
154 |
|
ओशो का हिंदी साहित्य |
157 |
|
अधिक जानकारी के लिए |
162 |

Item Code:
NZA890
Author:
ओशो (Osho)
Cover:
Paperback
Edition:
2012
Publisher:
Osho Media International
ISBN:
8901509037103
Language:
Hindi
Size:
8.5 inch X 5.5 inch
Pages:
166
Other Details:
Weight of the Book: 210gms
Price: $21.00 Shipping Free |
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