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साधु वासवानी (उनका जीवन और शिक्षाएं): Sadhu Vasvani (His Life and Teachings)

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Item Code: NZA804
Author: Dada J. P. Vaswani
Publisher: STERLING PUBLISHERS PVT. LTD.
Language: Hindi
Edition: 2005
ISBN: 9788120729025
Pages: 350
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 430 gm
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Book Description
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पुस्तक के विषय में

मानव योनि, मनुष्य के लिए ईश्वर का सब से सुंदर वरदान है। यदि एैसा है तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि एक संत का जीवन पूरी मानव जाति के लिए ईश्वर की सब से उमदा भेंट है; क्योंकि एैसे जीवन से प्रेम, शांति, विश्वास तथा कृपा की वह अनंत धारा बहती है जो हमें इस दुख भरे संसार में राहत और सहारा देती है। संतो के जीवन में प्रेम का वो जादू होता है कि उन के स्पर्श मात्र से ही हमारे हृदय और जीवन में परिवर्तन आ जाता है उन के पास वो शक्ति होती है जिस से वे साधारण लोगों को पाक और साफ बना कर ऊँचा उठा लेते हैं।

साधु वासवानी: उनका जीवनी और शिक्षाएं! आधुनिक काल के महान् संत साधु वासवानी की जीवनी है । इस जीवन की विशेषता यह है कि यह सीधी उन के महान शिष्य और उत्तराधिकारी दादा जे० पी० वासवानी की मधुर यादों से निकली है। इसलिए यह पुस्तक दोहरे आशीर्वाद से भरी है।

स्वर्ग इंतज़ार कर लेगा

साधु वासवाणीजी को कभी स्वर्ग के सुखों की चाह नहीं थी । उनकी, मुक्ति, मोक्ष, या जन्म मरण के चक्रों से मुक्त होने की कोई कामना नहीं किसीने उनसे जब पूछा था:- क्या मुक्ति से भी बढ़ कर कुछ और है? वे बोले :- मुझे मुक्ति नहीं चाहिए। मैं तो फिर फिर जन्म लेना चाहता हूँ ताकि दु:खियों और दर्द से कराहते लोगों के कुछ काम आ सकूँ । साधु वासवाणी हमें हमेशा उस संत की याद दिलाया करते हैं जिसने ईश्वरीय स्नेह के कारण मानवता की सेवा करने का व्रत ले लिया था। उनका जीवन सादगी और नि:स्वार्थ सेवा का उदाहरण था । वे असाधारण कार्यों को भी असाधारण बना देते थे।

उनका जीवन ऐसे ही स्नेहपूर्ण कार्यों के उदाहरणों से भरा हुआ है। उनके जीवन का दर्शन बहुत सरल था। प्रसन्नता प्राप्त करने की उनकी विधि थी :- पहले दूसरों को प्रसन्न करो, तो तुम स्वयं प्रसन्न हो जाओगे। उनका संपूर्ण जीवन साक्षी है कि ईश्वर स्वयं उनके रूप में मानव स्वरूप धारण करके आये थे।

आज भी उनके चित्र हमें नई प्रेरणा से भर देते हैं । उनकी आत्मीय पवित्र रोशनी हमें दिव्य आशाओं से भर देती है। वे मनुष्य के रूप में स्वयं ईश्वर थे।

दादा. जे. पी. वासवानी के सादी के संस्मरण, उनके गुरू के चरनों में ऐसे श्रद्धा सुभन हैं जो लाखों दिलों को इसकी पवित्र सुगंध से महकायेगें।

 

विषय सूची

1

मुझे दादा कहो

1

2

क्या वह मेरा भाई नहीं है?

4

3

उठ जाग मुसाफिर भोर भई!

5

4

चल अकेला

6

5

भाग्यवान परिवार

7

6

सब के प्रति करुणा

13

7

अपहरण

14

8

जैसी करनी वैसी भरनी

15

9

शिवरात्री का मेला

16

10

गुरू नानक की भक्ति

17

11

मैं भूखा रहूंगा

19

12

दृढ़ता का परिचय

21

13

अपने दिल के दाग कैसे धोऊंगा?

22

14

प्रथम संयोग

23

15

प्रार्थना की शक्ति

24

16

दृढ़ संकल्प

25

17

एक नया अभियान

26

18

गुरू का आदर

28

19

आदर्श विद्यार्थी

29

20

नज़रबंद

30

21

सच्चाई पहले, दर्जा पीछे

32

22

पितृशोक

33

23

गरीब के दर्द में पूरी रात बेचैन रहे

34

24

गुरू का प्रभाव

35

25

अग्नि परीक्षा

37

26

एक कुशल वक्ता का उदय

39

27

एक विलक्षण विद्यार्थी

41

28

तरुण प्रोफेसर

43

29

ब्रह्मचर्य व्रत की प्रतिज्ञा

44

30

माँ के सपने

46

31

मैं एक पथिक हूँ

48

32

दक्षिणेश्वर मंदिर में दिन अनुभूति

49

33

गुरू के श्री चरणों में

51

34

प्रोफेसर अब शिष्य बना

53

35

तिलक का कलकत्ता में आगमन

55

36

प्रतापचंद्र मुज़मदर का प्रभाव

57

37

रविन्द्रनाथ टैगोर के साथ

59

38

अल्लाह का आसरा

61

39

छुटकारा

62

40

सच्चा आनंद

65

41

कराची का फायदा

67

42

एक विशेष आमंत्रण

68

43

चट्टान की तरह दृढ़

69

44

दूसरी प्रतिज्ञा

71

45

मैं आप के पास आत्मा का प्राचीन संदेश लाया हूं

73

46

एक क्रांतिकारी मशाल

75

47

एकता से निर्माण

77

48

उद्दोष

79

49

धर्म का रहस्य

81

50

स्वयं को समर्पित करो

82

51

विश्वास की जीत

84

52

अहंकार से मुक्ति

85

53

बहुत अच्छा

86

54

माँ ने मांगी मच्छली

87

55

माँ क्या मैं आपका सेवक नहीं हूँ?

90

56

कूच बिहार और पटियाला में

92

57

प्रिंसिपल का यात्रा भत्ता

95

58

माता की अंतिम सेवा

96

59

मुक्ताकाश

98

60

भिक्षु वासवानी

100

61

एक अलौकिक देश भक्त

101

62

नव भारत के शिल्पी

103

63

एक फकीर की दूर दृष्टि

105

64

युवा केंद्र

108

65

शक्ति आश्रम

109

66

शादी का प्रस्ताव

112

67

सखी सत्संग

114

68

एक अलौकिक शिष्या

119

69

अप्रत्यक्ष ईश्वर में छिपा जीवन

125

70

उच्च आदर्श

129

71

भाग्यशाली समय

130

72

अछूतों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है

131

73

मीरा आदोलन का जन्म

133

74

आत्मा के गीत

140

75

मीरा की समाधि पर

143

76

एक विशेष मेहमान

145

77

एमरेल्ड द्वीप पर

147

78

अनुराधापुर और कोलंबो में

149

79

नये विश्व में नारी का स्थान

151

80

सखी भंडार

153

81

मित्र चिंतक और मार्ग दर्शक

155

82

आपका सामान कहाँ है?

157

83

मुखिया की समस्या

159

84

बोझ उठाने वाला

160

85

अपराधियों के बीच

161

86

गणतंत्र अमर रहे

163

87

मुझ पर दया करो

164

88

सत्य की राह

165

89

अकेली डगर

167

90

वे सब को क्षमा करते थे

168

91

आज का पापी कल संत भी हो सकता है

170

92

फोटो एक धोखा

172

93

प्रेम करना उनका स्वभाव था

174

94

मुझे लगा मैं माँ हूँ

176

95

एक स्वीकृति

178

96

सब से गहरी वेदना

180

97

भीतर जाओ

181

98

सब कुछ एक ऋण है

182

99

रक्षक

183

100

नवयुवक की दुर्दशा

184

101

सब से ज्यादा खुशी का क्षण

185

102

जन्मदिन का संदेश

187

103

गीता का सूक्ष्म ज्ञान

189

104

दरिद्र नारायण

192

105

साधु-बाबा के आश्रम में

193

106

ऋषि दयानंद

196

107

भारत का संदेश

198

108

भागवत रत्न साधुवासवानी

202

109

जमशेदपुर

204

110

युवक जो प्रभु के दर्शन करना चाहता था

207

111

विधवा का दान

209

112

वह तुम्हारे साथ है

210

113

विनित ही धन्य हैं

212

114

पंडित मालवीयजी से मुलाकात

214

115

शिक्षा में हिन्दू आदर्श

217

116

रामकृष्ण मिशन में

220

117

योग संदेश का अर्थ

222

118

मानवता की आशा

223

119

लालच से बचने का मार्ग

224

120

पशु भी प्राणी हैं

225

121

एक मजदूर के अतिथि

226

122

स्नेह का स्तंभ

227

123

गुरूदेव के साथ एक दिन

228

124

स्वर्ग और नर्क

237

125

पीर पराई जाने रे

239

126

साधुत्व की परिभाषा

241

127

महान दाता

242

128

शाह लतीफ़ की मज़ार पर

244

129

अभय

246

130

फैसले की रात

248

131

दरवेश दादा

251

132

पुणे कर्म भूमि बना

253

133

पुणे में सत्संग

255

134

अंतर की आवाज सुनना चाहो तो बहरे हो जाओ

257

135

मेरा कोई शत्रु नहीं

258

136

सेवा का फल

259

137

कहां है आपका घर

260

138

प्रेम का चमत्कार

262

139

करुणा का सागर

263

140

निर्दोष क्यों कष्ट झेलते हैं?

265

141

वृक्षों का मंदिर

269

142

बुरा मत देखो

272

143

दोहरा धोखा

273

144

तुम्हें कितना मांस चाहिए?

274

145

शक्ति आप के भीतर है

276

146

प्यार का जादू

278

147

सच्ची महानता

280

148

एक भिखारिन

281

149

पवित्र मानवीयता

283

150

मोची को जूते सीने दो

284

151

क्या चोर तुम्हारा भाई नहीं है?

286

152

बच्चों की संगति

288

153

मेरी जीवन गाथा

298

154

यदि मेरी लाख जुबानें होतीं

290

155

दीन बंधु

292

156

मेरी कोई जाति नहीं

294

157

शुक्र है शुक्र!

296

158

एक सुंदर सपना

298

159

होली के रंग

301

160

एक ऐतिहासिक मिलन

303

161

रुको सहर होने को है ।

305

162

सब में एक ही रब का प्रकाश

308

163

राहत देने वाली परछाईं

310

164

उनके जीवन की आकांक्षा

313

165

ईश्वर यहं। है

315

166

जीवन द्वारा साक्षी

317

167

मित्रहीनों के मित्र

318

168

जीवन सेवा को समर्पित

322

169

दो दिन के मेहमान

323

170

नित्य मुक्त

324

171

साधु वासवानी अभी भी जीवित हैं?

325

172

तलाश

333

**Contents and Sample Pages**
















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