तृषा गई एक बूंद से: My Thirst was Quenched by One Drop

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Item Code: NZA898
Author: Osho Rajneesh
Publisher: Osho Media International
Language: Hindi
Edition: 2014
ISBN: 9788172610920
Pages: 208
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 330 gm
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Book Description

पुस्तक के विषय में

ओशो कहते है अशांति को दूर करने की कोशिश मत करिए अशांति को समझिए और जीवन को बदलिए। और इसके साथ ही हमें जीवन को बदलने की यात्रा पर लिए चलते है इस पुस्तक में वे हमारे शरीर और मन के रहस्यों को खोलते है और आमंत्रित करते है हमें हमारे तीसेर आत्मा के तल पर।

पुस्तक के कुछ विषय-बिन्दु:

हम अशांत क्यों हैं?

सात चक्रों की साधना

संकल्प के प्रयोग

जागरण के तीन सूत्र

जीवन एक अभीप्सा है

मनुष्यता क्या है, मनुष्य क्या है?एक प्यास, एक पुकार, एक अभीप्सा। जीवन ही एक पुकार है। जीवन ही एक अभीप्सा है । जीवन ही एक आकांक्षा है ।लेकिन आकांक्षा नरक की भी हो सकती है और स्वर्ग की भी। पुकार अंधकार की भी हो सकती है और प्रकाश की भी। अभीप्सा सत्य की भी हो सकती है और असत्य की भी।

चाहे हमें शात हो और चाहे हमें ज्ञात न हो, अगर हमने अंधकार को पुकारा होगा, तो हम अशांत होते चले जाएंगे । अगर हमने असत्य को चाहा होगा, तो हम अशांत होते चले जाएंगे । अगर हमने गलत को चाहा होगा, तो शांत होना असंभव है । शांति छाया है-ठीक की चाह से पैदा होती है । सम्यक चाह से शांति पैदा होती है । एक बीज अंकुरित होना चाहता है । अंकुरित हो जाए तो आनंद से भर जाएगा, अंकुरित न हो पाए तो अशांत और पीड़ा अनुभव करेगा । सरिता सागर होना चाहती है । सागर तक पहुंच जाए असीम से मिल जाए, तो शांत हो जाएगी। न पहुंच पाए भटक जाए मरुस्थलों में, तो अशांत हो जाएगी, दुखी हो जाएगी, पीड़ित हो जाएगी।

किसी ऋषि ने गाया है : हे परमात्मा! अंधकार से आलोक की तरफ ले चल! मृत्यु से अमृत की तरफ । असत्य से सत्य की तरफ! वही सारी मनुष्यता के प्राणों की आकांक्षा भी है, वही पुकार है । और अगर हम जीवन में शांत होते चले जा रहे हों, तो समझना चाहिए कि हम उस पुकार की तरफ चल रहे है जो जीवन के गहरे से गहरे प्राणों में छिपी है। और अगर हम अशांत हो रहे हों, तो जानना चाहिए कि हम गलत दिशा में जा रहे हैं, उलटी दिशा में जा रहे हैं।

अशांति और शांति लक्ष्य नहीं हैं, केवल सूचक हैं, केवल लक्षण हैं। शांत मन खबर देता है इस बात की कि हम जिस दिशा में चल रहे हैं वही दिशा जीवन की दिशा है । अशांत मन खबर देता है इस बात की कि हम जहा चल रहे हैं वह जगह चलने की नहीं । हम जिस ओर जा रहे है वह जाने की मंजिल नहीं। हम जहां पहुंच रहे हैं वहां पहुंचने के लिए पैदा नहीं हुए अशांति और शांति लक्षण हैं- हमारे जीवन के विकास को सम्यक दिशा मिली है या असम्यक दिशा मिल गई है। शांति लक्ष्य नहीं है। और जो लोग शांति को सीधा ही लक्ष्य बना लेते है वे कभी भी शात नहीं हो पाते अशांति को भी मिटाना सीधा सभव नहीं है जो आदमी अशांति को ही मिटाने मे लग जाता है वह और भी अशांत होता चला जाता है अशांति सूचना है-जीवन उस दिशा मे जा रहा है जहा जाने के लिए वह पैदा नहीं हुआ है और शांति खबर है इस बात की कि हम चल पड़े उस मदिर की तरफ जो कि जीवन का लक्ष्य है।

एक आदमी को बुखार हे, शरीर उत्तप्त है, गरम है शरीर की गर्मी बीमारी नहीं है, शरीर की गर्मी केवल खबर है कि शरीर के भीतर कोई बीमारी है शरीर गर्म नही है तो खबर मिलती है कि शरीर के भीतर कोई बीमारी नही है गर्मी खुद बीमारी नही है, केवल बीमारी की खबर हे गर्मी का न होना भी स्वास्थ्य नहीं है, सिर्फ खबर है कि भीतर जीवन स्वस्थ दिशा मे चल रहा है और अगर कोई आदमी अपने शरीर के बुखार को जबरदस्ती ठंडा करने की कोशिश मे लग जाए, तो इससे बीमारी से मुक्त नहीं होगा, मर सकता है।

नही, शरीर का बुखार नही दूर करना पडता है। बुखार मित्र है, खबर देता है कि भीतर बीमारी है, बीमारी की खबर लाता है अगर शरीर उत्तप्त न हो और भीतर बीमारी बनी रहे, तो आदमी को पता ही नही चलेगा-कब बीमार हुआ, कब समाप्त हो गया । अशांति ज्वर है, बुखार है, गर्मी है, जो चित्त पर घिर जाती है और खबर देती है कि तुम प्राणो को वहा ले जा रहे हो, जहा नही ले जाना है शांति बुखार का चला जाना है और खबर है कि प्राण उस दिशा मे चलने लगे, जहाँ चलने के लिए पैदा हुए है।

 

अनुक्रम

तृषा गई एक बूंद से

1

शांति की खोज

11

2

सात चक्रों की साधना

41

3

संकल्प की कुंजी

36

4

सत्य की छाया है शांति

87

जीवन-सत्य की खोज

1

सत्य की खोज

113

2

परमात्मा की अनुभूति

133

3

जागरण के तीन सूत्र

157

4

अंतस आलोक की उपलब्धि

177

 

ओशो-एक परिचय

199

 

ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट

200

 

ओशो का हिंदी साहित्य

203

 

अधिक जानकारी के लिए

208

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