प्राक्कथन
सोवियत् भूमि मैंने द्वितीय सोवियत् यात्रा से लौटकर 1938 लिखी थी । तीसरी यात्रा से लौटकर मैने सोवियत् की नई प्रगति और महान् विजय के संबन्ध में और सामग्री देकर सोवियत् भूमि के द्वितीय संस्करण को तैयार करने का निक्षय किया । इसी समय मैंने सोचा सोवियत् मध्य एसिया पर पृथक् पुस्तक लिखने की आवश्यकता है । 1917महाक्रान्ति से पूर्व सोवियत् मध्य एसिया की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक अवस्था वही थी जो कि हमारे देश की सदियों से रही है । सोवियत् मध्य एसिया राजनीतिक दृष्टि से जारशाही दासता के जूये के नीचे कराह रहा था । सामाजिक तौर से वह बहुत ही पिछड़ा भूखंड था । धर्मान्धता और मिथ्या विश्वासों का वहाँ अखंड साम्राज्य था । अविद्या का घना अंधकार वहॉ छाया हुआ था । स्त्रियाँ तो मानो मानव जाति का अंग थी ही नहीं ।पर्दा और निरक्षरता ही का अभिशाप उन पर नहीं था बल्कि ब्याह के नाम पर उनका खुला क्रय विक्रय होता था । और आर्थिक अवस्था के बारे में पूछना ही क्या है, जब कि वहाँ कृषि में सतयुग के हथियार काम में लाये जाते थे, और उद्योग धंदों के नाम पर तो युरोपीय सेठों का शोषण था मिलें कारखाने नाम मात्र के दो चार खुले थे । हाँ, हस्तशिल्प बुखारा समरकंद जैसे नगरों में कहीं कहीं सिसक रहा था ।
इस पुस्तक को पढ़ते वक्त पाठकों को अपने सामने भारत के भारतीय किसानों मजदूरों की गरीब नंगी भूखी मूर्तियाँ अवश्य सामने रखना चाहिये । सोवियत् क्रान्ति ने हमारी ही जैसी जनता पाई थी, और उसकी उसने काया पलट कर दी । कज़ाक, किर्गिज, उज्बेक, तुर्कमान और ताजिक जनता के लिये कल की कालरात्रि अतीत की बात हो गई, आज यह विश्व की उन्नत जातियों में सम्मिलित हैं । सदियों के पिछड़े दौड़ में आज वह हमें पीछे छोड़ आगे बढ गये । अपने पेट का सवाल क्या, अब तो वह दूसरे देशों को अन्न पै रहे हैं । उनके पर्वतों, रेगिस्तानों, झीलों और खेतों में छिपी अपार संपत्ति आधुनिक यत्रों और विज्ञान की सहायता तथा नर नारियों के परिश्रम से ऊपर निकालो जा रही है, जिससे वहाँ के ग्राम और नगर धन धान्य सम्पन्न होते जा रहे हैं। वर्षों नहीं महीनों नहीं दिनों और घंटों में वहाँ युगों का काम हो रहा है । इस पुस्तक को पढ़ते वक्त पाठक यदि अपने भारत की ओर समय समय पर दृष्टिपात करते जायँगे और अपने राष्ट्र के नवनिर्माण का संकल्प लेकर पुस्तक को हाथ से छोड़ेंगे, तभी मैं अपने श्रम को सफल समझूँगा ।
विषय सूची
१
कज़ाकस्तान प्रजातन्त्र
५
२
किर्गिज़िस्तान प्रजातन्त्र
४७
३
उज़बेकिस्तान प्रजातंत्र
७०
४
तुर्क़मानिस्तान प्रजातंत्र
१३५
ताजिकिस्तान प्रजातंत्र
१५७
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