Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.

रामपुर रज़ा लाइब्रेरी जरनल (द्वितीय अंक - 2010): Rampur Raza Library Journal (Second Issue - 2010)

$19.58
$29
10% + 25% off
Includes any tariffs and taxes
Express Shipping
Express Shipping
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Specifications
Publisher: Rampur Raza Library, Uttar Pradesh
Author Shah Abdus Salam
Language: Hindi
Pages: 191(Throughout Color and B/w Illustrations)
Cover: PAPERBACK
9x6 inch
Weight 398 gm
Edition: 2010
HBH305
Delivery and Return Policies
Ships in 1-3 days
Returns and Exchanges accepted within 7 days
Free Delivery
Easy Returns
Easy Returns
Return within 7 days of
order delivery.See T&Cs
1M+ Customers
1M+ Customers
Serving more than a
million customers worldwide.
25+ Years in Business
25+ Years in Business
A trustworthy name in Indian
art, fashion and literature.
Book Description
सम्पादकीय

रामपुर रजा लाइब्रेरी भारतवर्ष की उन अनेको लाइब्रेरियों में से एक है, जो कई शताब्दियों पुरानी है। यहाँ हमारी सांस्कृतिक धरोहर एवं शिक्षा का वह अनमोल खजाना है, जिससे हजारों व्यक्ति प्रतिवर्ष लाभान्वित होते हैं। इसकी बुनियाद 1774 ईसवी में रामपुर रियासत के प्रथम शासक नवाब फैजुल्ला खाँ ने रखवायी थी। वर्तमान समय में लाइब्रेरी में संग्रहित दुर्लभपाण्डुलिपियों, ऐतिहासिक दस्तावेज़, कैलीग्राफी के नमूने, पेन्टिंग, लघुचित्र एवम् अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकों का संग्रह हैं, उसका कुछ भाग रामपुर के नवाब द्वारा ही उपलब्ध कराया गया है।

चूँकि रामपुर के नवाब कला, संस्कृति एवं शिक्षा के पुरजोर समर्थक थे अतएव इनके विकास हेतु उन्होनें सभी सम्भव प्रयास किये। इसी कम को आगे बढ़ाने हेतु उन्होने कलाकारों, कवियों, खत्तातों को संरक्षण दिया और उनकी हर सम्भव सहायता की।

नवाब अहमद अली खाँ ने 1794-1840 तक रामपुर की रियासत पर शासन किया। उनके शासन काल में कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में रामपुर की उल्लेखनीय उन्नति हुई। इसी कम में नवाब अहमद अली खां के सुपुत्र नवाब मौ० सईद खाँ (1840-1855) ने लाइब्रेरी के संग्रह के लिए एक विशेष प्रकार का भवन निर्मित कराया। इस कार्य के लिए उन्होने एक अफगान प्रशिक्षु आगा युसूफ अली महवी को नियुक्त किया। जिन्होने इस कार्य में सहयोग देने के लिए प्रसिद्ध खत्तातों एवं कलाकारों को भारत के विभिन्न भागों से आमन्त्रित किया।

इन्होंने फारसी लिपि में एक मोहर बनवायी जो इस प्रकार है:-

"हस्तई मोहर बर कुतुब खाना वालिये रामपुर फ़ज़ाना।"

1268 हिजरी (1851-52 ई0)

01 अप्रैल 1855 में नवाब युसूफ अली खाँ ने उत्तराधिकारी की बागडोर संभाली। वह स्वयं उर्दू कविताओं को लिखने के शौकीन थे। वे उर्दू के मशहूद शायर मिर्जा गालिब के शागिर्द थे। उनके पास उर्दू कविताओं का एक विशाल संग्रह था। चूँकि उन्होंने अंग्रेजों को सुरक्षा प्रदान की थी इसलिए उनकी रियासत बरकरार रही।

1857 में भारत की आजादी के लिए होने वाले स्वतन्त्रता संग्राम के पश्चात् बड़ी संख्या में लेखक, शोधकर्ता एवं कवि रामपुर की रियासत में प्रविष्ट हुए और अन्ततः यहीं के स्थायी निवासी बन गए।

नवाब युसूफ अली के पुत्र नवाब कल्बे अली खाँ को दुर्लभपाण्डुलिपियों, पेन्टिंग्स एवं इस्लामिक कैलीग्राफी के नमूनों कों संग्रह करने में गहन रूचि थी। उन्हांने बहुत से लोगों को बहुमूल्य पुस्तको एवं पाण्डुलिपियों को खरीदने के लिए नियुक्त किया। 25 दिसम्बर 1872 में वे स्वयं भी 400 रिश्तेदारों एवं आलिमों के साथ हज यात्रा के लिये गये और अपने साथ बड़ी संख्या में पाण्डुलिपियों एवं पुस्तकों का संग्रह लेकर आए जिससे लाइब्रेरी के संग्रह में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गई।

इसके पश्चात् 1887-89 तक नवाब मुश्ताक अली खाँ रामपुर की गद्दी पर बैठे। इनके लगातार बीमार रहने के कारण जनरल अजीमुद्दीन खाँ ने 1887 ई0 में इस रियासत के महाप्रबन्धक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने लाइब्रेरी के विकास हेतु एक प्रबन्ध समिति का गठन किया और इसके लिये होने वाले समस्त व्यय को राज्य के बजट में सम्मिलित किया।

लाइब्रेरी के संग्रह हेतु एक नयी इमारत का निर्माण किया गया और 1893 ई0 में तोशाखाने से समस्त संग्रह को नये भवन में स्थानान्तरित कर दिया गया। उन्होंने लाइब्रेरी के संग्रह को देश-विदेश के सभी स्थानों के निवासी शोधकर्ताओं के प्रयोग करने हेतु आदेश पारित करवा दिया। साथ ही देश के अन्य भागों से आने वाले शिक्षाविदों एवं शोधकर्ताओं के लिए कुछ सुविधायें भी उपलब्ध करवायीं। जनरल अजीमुद्दीन खान की देखरेख में किला परिसर में पुस्तकालय हेतु एक नयी बिल्डिंग बनवायी गयी, बिल्डिंग का उद्घाटन नवाब हामिद अली खाँ ने किया।

नवाब हामिद अली खाँ 1889-1930 तक रामपुर रियासत की गद्दी को सुशोभित किया। शासन की बागडोर संभालने से पहले ही नवाब हामिद अली खाँ ने विश्व के अनेक भागों का भ्रमण किया। वह स्वयं उच्च शिक्षित व्यक्ति थे और उन्होंने रामपुर शहर में अनेक सुन्दर महल एवं राजकीय कार्यालयों का निर्माण कराया।

उन्होंने किला परिसर में एक अत्यन्त सुन्दर भवन "हामिद मन्जिल" के नाम से बनवाया। यह इन्डो-यूरोपियन शैली का एक उत्कृष्ट नमूना है। इसी हामिद मन्जिल में 1957 से रजा लाइब्रेरी को संचालित किया जा रहा है।

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question
By continuing, I agree to the Terms of Use and Privacy Policy
Book Categories