भारत की जनगणना 2011 दो चरणों में पूरी की गई 'मकानसूचीकरण और मकानों की गणना" और 'जनसंख्या की गणना'। मकानसूचीकरण और मकानों की गणना का उद्देश्य प्रत्येक भवन / जनगणना मकान की पहचान करना और उसके उपयोग का पता लगाना था ताकि जनसंख्या की गणना के लिए एक कार्यक्रम तैयार किया जा सके। भवन/जनगणना मकानों की पहचान के अलावा इसका उद्देश्य जनगणना मकान की संख्या और गुणवत्ता, उसमे उपलब्ध सुख-सुविधाओं और उन जनगणना मकानों में रह रहे परिवारों के पास उपलब्ध परिसंपत्तियों का पता लगाना था। इस कार्य के परिणाम इस पुस्तक में दिए गए है। जनगणना 2011 में आंकड़ा प्रयोक्ताओं की आवश्यकतानुसार कई नए सूचकांकों को जोड़ा गया है और विद्यमान सूचकांकों को परिवर्धित किया गया है। मकानसूचीकरण और मकान गणना कार्य में तैयार किए गए डाटा सेट में गुणात्मक सुधार लाया गया है। बड़ी संख्या में संकेतकों में अन्तर सारणीकरण के समायोजन के माध्यम से विषय-वस्तु का प्रसार किया गया है जो पूर्ण गणना आधारित है। हमें उम्मीद है कि इस पुस्तक में दिए गए आंकड़े हमारे देश के अरब से भी अधिक जनसमुदाय के जीवन की भौतिक गुणवत्ता को दर्शाएंगे और उसमें और सुधार लाने के लिये नियोजित हस्तक्षेप हेतु एक उपयोगी साधन के रूप में सहायता करेंगे।
इस अवसर पर मैं पश्चिम बंगाल सरकार को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस राष्ट्रीय कार्य को पूरा करने में अपना भरसक सहयोग दिया। हम उन, राज्य, जिला, उप-जिला और फील्ड स्तर के प्रत्येक कर्मचारियों की हार्दिक सराहना करते है जिन्होंने इस कार्य की सफलता के लिये पूरे मनोयोग से कार्य किया।
ये आंकड़े विशेष तौर पर तैयार की गई 35 कालम की मकानसूची अनुसूची के माध्यम से एकत्र किए गए थे तथा इसमें अधिकांशतः सभी प्रश्नों के उत्तरों के कोड दिए गए थे। इस प्रकाशन में एकत्रित और प्रस्तुत किए गए आंकड़े इक्कीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक के अन्त में राज्य के ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की रहन-सहन की स्थिति की झलक देंगे।
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