इन पुस्तकों की विशेषता यह है कि इनमें हर गीत के साथ बजायी जाने वाली ताल का उल्लेख किया गया है। लय तथा ताल के अनुसार गीतों को विशेष रूप से लिखा गया है। कहरवा/दादरा/रूपक/झपताल पर आधारित गानों का संकलन समयबद्ध स्वरलिपि के अनुसार किया गया है।
प्रयाग संगीत समिति से तबला व सिन्धेसाईज़र में प्रभाकर किया। संगीत गायन में सीनिअर डिप्लोमा हासिल किया। अनेक रागों का अध्ययन किया। संगीत अध्ययन आज भी जारी है। इस बीच इन्टरनेट पर अपने ब्लॉग के माध्यम से इन्होंने संगीत को सरल तरीके से सीखने के लेख पोस्ट किये जो कि संगीत प्रेमियों द्वारा पसंद किये जा रहे हैं।
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