पैसा कमाने के तरीकों पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं, लेकिन मुझे लगता है कि यह किताब अनोखी है, क्योंकि यह समृद्धि के लिए आत्मिक मार्ग खोलती है। मैं चाहता हूँ कि पाठक यह जानें कि समृद्धि, जागरूकता की स्थिति है। चेतना अनंत है, इसलिए उसके उपहार भी अनंत हैं। यह प्राचीन सत्य है, जो भारत में योग प्रणाली के केंद्र में रहा है। योग की कक्षा में बताए जाने वाले अभ्यासों से कहीं ज़्यादा (जो इस किताब का हिस्सा नहीं है), योग के सत्य, जीवन में भौतिक संतुष्टि या धन सहित सभी प्रकार की संतुष्टियों में शामिल हैं। योग एक शानदार शब्द है और इसके अर्थ के पीछे छिपा हुआ नज़रिया इसी से भी अधिक शानदार है। संस्कृत में योग शब्द का अर्थ होता है जुड़ना या जोड़ना। अंग्रेज़ी शब्द योक इसी से लिया गया है, लेकिन जहाँ योक से बैलों पर जुए लगाकर खींची जाने वाली मध्ययुगीन गाड़ी की तस्वीर उभरती है, वहीं योग पूरी तरह से नई वास्तविकता उजागर करता है। इस वास्तविकता में जिन चीज़ों को हम आमतौर पर अलग रखने की सोचते हैं, वे एक साथ होती हैं।
दो सबसे बड़ी चीजें जिन्हें हम अलग रखते हैं, वे दो दुनियाएँ हैं जिनमें हम में से प्रत्येक व्यक्ति निवास करता है। एक दुनिया, जो 'बाहर' है, वह चीज़ों और दूसरे लोगों की भौतिक दुनिया है। दूसरी 'आत्मिक' दुनिया है, जहाँ मन लगातार सक्रिय रहता है, विचार और संवेदनाओं को जन्म देता रहता है। योग का उद्देश्य इन दोनों दुनियाओं को एक साथ लाना है। अगर आप ऐसा कर पाते हैं, तो आप खुश और कामयाब रहेंगे।
योग प्राचीन वैदिक संस्कृति से निकला था, जिसने सदियों तक भारतीय लोगों के जीवन का मार्गदर्शन किया है। इसमें धन को बाहर नहीं रखा गया है और यकीनन आध्यात्मिक आधार पर तो बिलकुल भी नहीं। अर्थ को जीवन की पहली उपलब्धि के रूप में देखा गया और संस्कृत में अर्थ का मतलब ही है 'संपत्ति'। योग के सिद्धांतों पर चलकर आप उस प्रकार का जीवन जी सकेंगे जैसा जीवन जीने के लिए आपका जन्म हुआ है यानी निरंतरता, समृद्धि और खुशी का जीवन और इस दौरान जीवन चलाने के लिए धन भी आपको हासिल होगा।
इससे आपको कुछ अंदाज़ा तो हो जाएगा कि योग का नज़रिया इतना शानदार क्यों है। गहराई से देखें तो योग का मतलब है आत्मज्ञान। मगर इस किताब के उद्देश्यों के लिए खुशी और कामयाबी हासिल करना पर्याप्त होगा, एक योग्य लक्ष्य जिसे योग आपकी कल्पना से कहीं ज़्यादा आसानी से, जल्दी और बिना किसी कष्ट के हासिल कर सकता है।
कठिन वास्तविकताओं को देखते हुए, विशेष रूप से संकट से भरे इस समय में, तो ज़्यादातर लोगों को 'धन प्राप्त होगा' वाले हिस्से को लेकर शक होगा। पैसा या धन वह सबसे बड़ी चिंता है, जो सर्वेक्षकों को लोगों की ज़िंदगी में देखने को मिलती है। ख़ुद-ब-खुद मिलने की तो छोड़ दें, धन का मतलब ही है कड़ी मेहनत और संघर्ष। जीवित रहने के लिए आपको धन चाहिए, फलने-फूलने के लिए तो और भी ज़्यादा धन चाहिए। फिर भी गैलप संगठन द्वारा एकलित किए आँकड़ों की मानें तो सबसे अमीर पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में केवल एक-तिहाई उत्तरदाताओं ने ही कहा कि वे संपन्न हैं।
पैसे की चिंता से मुक्त होने की कुंजी कड़ी मेहनत करना और दैनिक संघर्ष करते हुए स्वयं को उस दिन के लिए तैयार करना नहीं है, जब आप सेवानिवृत्त होकर सुरक्षा के एहसास के साथ आराम से अपना जीवन बिता पाएँगे। वह दिन, जो कभी पैंसठ साल की उम्र से जुड़ा था और अब उसकी सीमा को और आगे बढ़ा दिया गया है।
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