लेखक परिचय
सी. राधाकृष्णन (जन्म: 15 फरवरी, 1939, केरल के मलप्पुरम जिले के तिरूर तालुके के चम्रवट्टम गाँव में) मलयालम के बहुचर्चित एवं बहुप्रशंसित साहित्यकार। साहित्य की लगभग सभी विधाओं में लेखन। उपन्यास, कहानी, नाटक, कविता, बालसाहित्य, निबन्ध जैसी विधाओं में अब तक 78 (अठहत्तर) कृतियाँ प्रकाशित। 'मुन्ये परक्कुन्न पक्षिकल' (आगे उड़नेवाले पक्षी), 'कर पिलरुं कालं (दिल को चीरता काल), 'एल्लां माय्क्कुन्न कटल्लू' (सब को मिटाता सागर), 'तीक्कटल् कटंजु तिरुमधुरं (अग्नि सागर मंथन से प्राप्त अमृत), सुकृतं (सुकृत) आदि आपकी उल्लेखनीय कृतियाँ हैं। केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, वयलार पुरस्कार, वलत्तोल पुरस्कार, मूर्तिदेवी पुरस्कार, एपुत्तच्छन पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से विभूषित।
पुस्तक परिचय
अग्निसागर से अमृत मलयालम भाषा के जनक माने जानेवाले सोलहवीं शती के कविवर तुंचत्तु एपुत्तच्छन के जीवन वृत्त और सूजन वैभव को केन्द्र बनाकर विरचित औपन्यासिक कृति है यह। तत्कालीन समाज, जन-जीवन, इतिहास और संस्कृक्ति के सूक्ष्म एवं गहन अनुसन्धानपरक अध्ययन, मनन, चिंतन और मंथन के परिणाम स्वरूप यह अमृतोपम साहित्यिक उपलब्धि हासिल हुई है। विशिष्ट संवेदना और अनोखी शिल्प-संरचना से अभिमण्डित यह कृक्ति मात्र मलयालम साहित्य की ही नहीं बल्कि भारतीय साहित्य की ही अनूठी उपलब्धि है। केरल की संस्कृति के जल बिंदु में भारतीय संस्कृति का महा-सागर ही इस कृक्ति में प्रतिबिंबित हो उठता है।
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