हाऊ टू विन फ्रेंड्स एंड इन्फ्लुऐंस पीपल बेस्टसैलर पुस्तकों में से एक है। सफलता की ओर ले जाने वाली यह अपनी तरह की पहली और आज तक भी सर्वोत्तम कृति है। डेल कारनेगी के नाम का पर्याय बन चुकी इस रचना ने लेखक को विश्वविख्यात व्यक्तित्व बनाया। आज भी यह सबसे अधिक पढी जाने वाली किताब है। इससे लाखों पाठकों के जीवन को नई दिशा मिली। सरल, मनोरंजक शैली में डेल कारनेगी सुखद और समृद्ध जीवन पाने के कारगर तरीके बताते हैं।
पारिवारिक, सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में व्यवहारकुशल, सफल और लोकप्रिय बनने के अचूक उपायों का यह अद्भुत सन्दर्भ-ग्रन्थ है।
जन्म : नवम्बर 24, 1888 मेरीविले, मिसौरी।
मृत्यु : नवम्बर 1, 1955 (66 वर्ष आयु) फॉरेस्टर हिल्स, न्यूयॉर्क।
व्यवसाय : लेखक, व्याख्याता ।
प्रसिद्ध कृति : हाऊ टू विन फ्रेंड्स एंड इन्फ्लुएंस पीपल ।
पत्नी : 1. लॉलिटा बॉऊ कायरे (1927-1937)
2. डोरोथी प्राइस वेंडरवूल (1944-1955)
सन्तान : डोला डेल कारनेगी।
कारनेगी एक गरीब किसान का बेटा था। जेम्स विलियम कारनेगी और अमानदा ऐलिज़िबेथ हारविंसन का दूसरा बेटा। किशोरावस्था में प्रतिदिन प्रातः चार बजे उठकर गाय दुहता फिर वॉरेंस बर्ग में स्टेट टीचर्स कॉलेज में पढ़ने जाता। कॉलेज पास करने के बाद उसकी पहली नौकरी थी पशुपालकों को कोरेसपोडेंस कोर्स बेचना । उसके बाद 'आरमर एंड कम्पनी' के लिए सुअर का मांस, चर्बी, साबुन बेचने का काम किया।
इस काम में 500 डॉलर इकट्ठे करने के बाद 1911 में सेल्स का काम छोड़कर अपने जीवन के सपने को पूरा करने चल पड़ा। वह सपना था न्यूयॉर्क के दक्षिण पश्चिम में एक झील के किनारे बने ग्रीष्मकालीन शिक्षण एवं कला संस्थान Chavtavqua में लेक्चरर बनना। परन्तु वह सपना पूरा नहीं हुआ और वह जा बैठा 'अमेरिकन अकेडमी ऑफ ड्रमैटिक आर्ट्स न्यूयॉर्क' में। वहाँ भी एक अभिनेता के रूप में सफलता नहीं मिली, हालाँकि उसने पॉली सर्कस के एक रोड-शो में डा. हार्टले की भूमिका निभाई। प्रस्तुति समाप्त होने पर वह न्यूयॉर्क लौटा बेरोज़गार, साधनहीन, डेल 125 स्ट्रीट पर वाई. एम. सीए. में रहने लगा। वहीं रहते हुए उसके मन में विचार आया कि 'पब्लिक स्मोकिंग' पर भाषण दिए जाएँ। 'वाई. एम. सीए.' के मैनेजर को राजी किया। शर्त यह थी कि जितना धन प्राप्त होगा उसका 80 प्रतिशत संस्था को जाएगा। पहले सत्र में ही उसकी पाठ सामग्री समाप्त हो गई। इसलिए काम चलाने के लिए उसने छात्रों को एक विषय पर बोलने के लिए आमंत्रित किया। विषय था, 'उन्हें क्रोध क्यों आता है।' कारनेगी ने इस प्रयोग से एक नए तथ्य को खोज की। उसने देखा कि वक्ता, श्रोताओं के सामने निर्भीकता से बोल रहे हैं। 1912 में हुई इस शुरुआत से 'डेल कारनेगी कोर्स' का निरन्तर विकास होता गया। औसत अमरीकी नागरिक की आत्मविश्वास प्राप्त करने की इच्छा को कारनेगी ने तीव्र कर दिया था। 1914 में हर हफ्ते वह 500 डॉलर कमा रहा था, जो आज के 10 हज़ार डॉलर के बराबर थे। डेल कारनेगी ने उस समय के प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध व्यक्ति एनडू कारनेगी (डेल से कोई सम्बन्ध न था) के सरनेम के स्पैलिंग अपना लिए। उसको मौलिक सरनेम था 'Carnagey' उसे बदल कर 'Carnegie' रख लिया। यह शायद उसकी सबसे कुशल मार्कटिंग स्ट्रेटिजी थी। 1916 तक डेल ने इतना कमा लिया था कि कारनेगी हॉल को अपने लैक्चर के लिए किराये पर ले लिया हॉल ठसाठस भरा हुआ था।
डेल कारनेगी का पहला संकलन 1926 में प्रकाशित हुआ। उसका नाम था; 'पब्लिक स्पीकिंग प्रैक्टिकल कोर्स फॉर विज़नेस मैन'। बाद में इसका शीर्षक हुआ : पब्लिक स्पीकिंग एंड इंफ्लुएसिंग मैन इन बिज़नेस (1932)। उसकी शिखर रचना थी 'हाऊ टू विन फ्रेंड्स एंड इन्फ्येंस पीपल'। इसे साइमन एंड शुस्टर ने प्रकाशित किया। यह किताब बेस्ट सेलर थी। 1936 में पहला संस्करण छपा और कुछ महीनों में ही 17 संस्करण प्रकाशित हुए। कारनेगी की मृत्यु तक इसकी 50 लाख कॉपियाँ 31 भाषाओं में बिक चुकी थीं।
डेल कारनेगी की संस्था से 4,50,000 ग्रेजुएट पास कर चुके थे। पुस्तक में लिखा है कि डेल ने प्रौढ़ शिक्षा आन्दोलन में 1,50,000 व्याख्यान देकर भाग लिया। इसके अतिरिक्त प्रथम विश्वयुद्ध में अमरीकी सेना में भी काम किया।
1931 में डेल की पहली शादी टूटी और तलाक हुआ। नवम्बर 5, 1944 में 'टुलसा ओकलाहोमा' में डोरोथी प्राईस वेंडरपूल से विवाह किया। वह भी तलाकशुदा थी। वेंडरपूल की दो बेटियाँ थीं। पहली शादी से रोज़ मेरी और दूसरी से डोना डेल । कारनेगी की मृत्यु अपने घर फॉरेस्ट हिल्स न्यूयॉर्क में हुई। उसको वैल्टन, कासकाऊंटी मिसौरी सिमिट्री में दफनाया गया। 'डेल कारनेगी एंड एसोसियेरस इन्क', से छपी जीवनी में कहा गया है कि 'हॉजर्किस और युरेमिया नामक रोगों से एक नवम्बर, 1955 में उसका देहान्त हुआ। 2003 में एक अफवाह उड़ी कि उसने आत्महत्या की थी। यह भी कहा गया कि 'इरविंग ट्रैसलर' की मृत्यु के साथ यह भ्रामक विचार प्रचलित हुआ। 'डेल कारनेगी ट्रेनिंग' उनके सिद्धान्तों पर आधारित एक बिज़नेस प्रोग्राम है। 1912 में इसकी स्थापना हुई और अस्सी से अधिक देशों में इसकी शाखाएँ हैं। अस्सी लाख से अधिक लोगों ने यह ट्रेनिंग ली है! डेल कारनेगी के इस कोर्स में आपसी सम्बन्धों की दृढ़ता, तनाव से मुक्ति, ऑफिस या कार्यस्थल पर बदलती स्थितियों का सामना करने के लिए कई उपाय बताए जाते हैं। इसके अतिरिक्त दूसरे विषयों में संवादकला, समस्याओं का स्वनात्मक समाधान और नेतृत्व क्षमता आदि पर भी काम किया जाता है।
यह कोर्स निरन्तर सुधार के लिए पाँच बिन्दुओं पर आधारित है :
1. आत्मविश्वास को बढ़ाना।
2. जन-सम्पर्क की कला का विकास ।
3. संवाद-सम्प्रेषण कला का विकास ।
4. नेतृत्व-कला का विकास ।
5. तनाव कम करना और रवैया सुधारना।
"
Hindu (हिंदू धर्म) (13455)
Tantra (तन्त्र) (1002)
Vedas (वेद) (715)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2079)
Chaukhamba | चौखंबा (3184)
Jyotish (ज्योतिष) (1542)
Yoga (योग) (1154)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (724)
Sahitya (साहित्य) (24587)
History (इतिहास) (8951)
Philosophy (दर्शन) (3597)
Santvani (सन्त वाणी) (2619)
Vedanta (वेदांत) (115)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist