लेखक परिचय
आचार्य वैद्य ताराचन्द शर्मा एमडी र स्व. पं. रामदत्त वी शर्मा के सुपुत्र मूत्र निवासी बिसाऊ गुन्गुनू (रावस्यान) ने अपना आयुर्वेद आपन वैद्य मुरारी मिश्र जी एवं बैद्य रामकृष्ण शर्मा जी दण्ड के सानिध्य में कर्माभ्यास करते हुए आयुर्वेदाचार्य उपाधि प्राप्त की. १९६८ से १९७८ तक कयपुर एवं हरियाणा के विभिन्न महाविद्यालयों में अध्यापन कराते हुए पदार्थ विज्ञान, शरीर रचना विज्ञान आयुर्वेद का इतिहास एवं इव्यगुण विज्ञान आदि विषयों पर पुत्तकों का तेरान किया। १९८० में पंजाब विश्वविद्यालय पटियाला से एमडी आयुर्वेद की उपाधि प्राप्त कर दिल्ली के मूलबन्द हॉस्पिटल में वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी के पद पर पं हरिदत्त वी शास्त्री एवं श्री मुकुन्दीलाल जी द्विवेदी के सानिध्य में आयुर्वेद विश्वकोश तैयार किया जिसका एक भाग 'पन्चकर्म चिकित्सा विज्ञान" चौराम्बा से प्रकाशित हो चुका है। १९९५ में वैद्य शिवकुमार जी मित्र, पूर्व सलाहकार आयुर्वेद, भारत सरकार के निर्देशन में संकलन कार्य पूर्ण कर मूलबन्द से निवृत्ति लेकर १९९५ से मॉडल आई हॉस्पिटल, लावपतनगर में अधीक्षक आयुर्वेद विभाग के पद पर कार्य कर रहे है कर रहे हैं। साथ ही स्वतंत्र चिकित्सा भी कर रहे हैं।
आपके लेश लगभग २०० पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं तया अनेक सेमीनारों में शोधपत्र वाचन भी किये हैं। आप गिली के जाने-माने सिद्धाप्त नाही चिकित्सक हैं। आपकी ३५ पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं। आपने केन्द्रीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान संस्थान की पाँच पुस्तकों वैद्य मनोरमा, अभिनव चिन्तामणि, बृहत योग तरगिणी, रसमुन्जूषा, वैद्यक संग्रह का हिन्दी अनुवाद किया है। विगत ४० वर्षों से आप आयुर्वेद छात्रों में लेखक के रूप में प्रसिद्ध व्यक्तित्व के धनी हैं। आपको अनेक संस्थानों ने अनेक मानद उपाधियों, शताब्दी महर्षि, राजस्थान श्री. आयुर्वेद विश्व गौरव, आयुर्वेद महाप्रयाण प्रदान की है। वर्तमान में आप राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ, दिल्ली के राष्ट्रीय गुरु एवं महासम्मेलन के मंत्री है। आप दिल्ली के जाने-माने नाड़ी चिकित्सक हैं। राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ द्वारा आपको लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया है। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, सरिता विहार, दिल्ली द्वारा टीचर्स-डे पर सम्मान-पत्र दिया गया है एवं दिल्ली सरकार द्वारा "वरिष्ठ नागरिक सम्मान" से सम्मानित किया गया है।
प्राक्कथन
आयुर्वेद शास्त्र के अन्तर्गत मानव जीवन के प्रत्येक पहलू पर सारगर्भित प्रायोगिक ज्ञान का वर्णन किया गया है। आधुनिक काल में आयुर्वेद की विशेषताओं के कारण विश्व आज इसकी और आकृष्ट हो रहा है एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस पर अनुसंधान हेतु भारत में एक केन्द्र भी स्थापित किया जा चुका है।
जिस प्रकार आधुनिक चिकित्सा विज्ञान को पढ़ने या समझने के लिए आधारभूत विज्ञान (भौतिकी, रासायनिकी एवं जैविकी) का ज्ञान आवश्यक है। निरन्तर आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र को हृदयंगम करने के लिए पदार्थ विज्ञान का अध्ययन अपरिहार्य एवं सर्ववतोभावेन अनिवार्य है। पदार्थ विज्ञान का आधार दर्शन है। इस धरा पर अवतरित होते ही प्राणी सृष्टि को कौतूहल एवं जिज्ञासा के भाव से देखना प्रारम्भ कर देता है। सृष्टि का प्रयास जिस माध्यम से किया गया उसी को दर्शन कहते हैं। लोक एवं पुरुष के साम्य के आधार पर मानव ने शरीर के आभ्यन्तर विद्यमान अनेक रहस्यमय तत्वों को जानने एवं उनका यथावत् दर्शन करने के लिए आयुर्वेद का आश्रय लिया। दर्शन का प्रायोजन ज्ञान बोध है। विज्ञान एक स्थिर सिद्धान्त के आधार पर ही विकसित होता है और उसको यह सिद्धान्त दर्शन से प्राप्त होता है। षड् पदाथों का ज्ञान षड्दर्शन (आस्तिक) एवं अन्य दर्शनों द्वारा भी होता है। इसलिए इनका जान आवश्यक है।
इस ग्रंथ में सोलह अध्याय है जिनमें पाठ्यक्रम के सभी विषयों का समावेश कर दिया है। इनका यथा स्थान विवेचन किया गया है।
आचार्य वैद्य ताराचन्द शमां द्वारा ग्रन्थ का निर्माण परम चिन्तन एवं शास्वसम्मत दृष्टि के साथ निवद्ध किया है।
प्रस्तावना
आयुर्वेदीय पदार्थ विज्ञान एवं आयुर्वेद इतिहास के लेखन का मूल उद्देश्य यही रहा है कि विद्यार्थियों को उनके पाठ्य विषय पाठ्यक्रमानुसार एक जगह पढ़ने को मिल सके तथा आयुर्वेदतों एवं आयुर्वेद प्रेमियों को इतिहास विषयक इच्छित जानकारी सुविधा से प्राप्त हो सकें।
विद्यार्थियों की सुविधा के लिए जब-जब पाठ्यक्रम में परितर्वन एवं परिवर्धन को आवश्यकता होती हैं उसे प्रत्येक संस्करण में ध्यान रखा जाता है। प्रस्तुत संस्करण में भी आयोग द्वारा दिये नवीन पाठ्य विषयों को यथा स्थान सम्मिलित किया गया है।
पुस्तक के प्रस्तुत संस्करण का आमुख प्रो० वैद्य अभिमन्यु कुमार जी ने अपने अत्यन्त व्यस्त समय में से कुछ समय निकालकर लिखी है एतदर्थ उनका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। साथ ही वैद्य राकेश शर्मा जी ने नवीन संस्करण का प्राक्कथन लिखकर मेरे उत्साह की अभिवृद्धि की है अतः आपका विशेष आभारी हूँ।
पुस्तक के विषय चयन एवं प्रूफ रीडिंग में वैद्या वीना शर्मा, वैद्य मनोज कुमार, श्रीकेश वर्मा, वैद्य अभिजीत शर्मा ने विशेष सहयोग प्रदान किया एतदर्थ सभी धन्यवाद के पात्र है। श्री प्रेमचन्द ने पूर्ण विषय
को टकित कर पुस्तक रूप दिया अतः आपका भी विशेष धन्यवाद दिया जाना कैसे भूल सकता हूँ।
यद्यपि पुस्तक में पाठ्य विषयों के सभी बिन्दुओं पर प्रकाश डाला है तथापि यदि कोई विषय लेखन में रह गया है अथवा कोई त्रुटि हो तो पाठक अपने सुझाव अवश्य भेजें।
श्री जितेन्द्र पी. विज (ग्रुप चेयरमैन), श्री अंकित विज (ग्रुप प्रेसीडेंट), सुश्री रीतु शर्मा (डायरेक्टर कन्टेन्ट स्ट्रेटजी), श्रीमती सुनीता काटला (पी.ए. ग्रुप चेयरमैन एवं प्रकाशन प्रबंधक), डॉ. पिंकी चौहान (डिविलप्मन्ट एडीटर), श्रीमती सीमा डोगरा, श्री राजेश शर्मा, श्री सुमित कुमार, श्री दीप डोगरा और अन्य स्टाफ मैसर्स जे.पी. ब्रदर्स मेडिकल पब्लिसर्स, नई दिल्ली। इस पुस्तक को इनकी प्रेरणा, सहयोग, धैर्य एवं अथक परिश्रम के लिए मैं हृदय से धन्यवाद देता हूँ।
Acupuncture & Acupressure (197)
Gem Therapy (23)
Homeopathy (513)
Massage (22)
Naturopathy (429)
Original Texts (220)
Reiki (59)
Therapy & Treatment (171)
Tibetan Healing (131)
Yoga (43)
हिन्दी (1087)
Ayurveda (3168)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist