| Specifications |
| Publisher: Bharatiya Jnanpith, New Delhi | |
| Author Vibhav Sagar | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 151 | |
| Cover: HARDCOVER | |
| 9.00x6.00 inch | |
| Weight 410 gm | |
| Edition: 2018 | |
| ISBN: 9789387919174 | |
| HBX966 |
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प्रस्तुत समग्र रचनाएं स्वान्तः सुखाय रची गयीं, किन्तु आज बहुजन हिताय के उद्देश्य से प्रकाशित हो रहीं हैं। कृति आपके मंत्रपूत कर-कमलों में है, अब निर्णय आप पर निर्भर है, आप इस 'भक्तिभारती' से कितनी कर्म निर्जरा करते हैं? कितना आनंद ले कर पढ़ते हैं? पर इतना अवश्य कहा जा सकता है, आप कोई भी काव्य जितनी बार पढ़ेंगे, उतना आनंद मिलेगा, जितना आनंद मिलेगा उतनी ही कर्म निर्जरा होगी। जितनी कर्म निर्जरा होगी उतनी ही शीघ्र मुक्ति प्राप्त होगी, सूक्ति सिद्ध होगी, 'भक्ति मुक्ति दायिनी'।
प्रस्तुत कृति भक्ति भारती में देवशास्त्र गुरु की आराधना में निःसृत बारहवर्षीय भक्ति रचनाओं का अभूतपूर्व संकलन है। यदि दर्शन विशुद्धि के साथ इन भक्ति रचनाओं को पढ़ा जाये तो यह बोधि समाधि परिणाम शुद्धि तथा स्वात्मोपलब्धि के साथ-साथ तीर्थङ्कर प्रकृति बंधनी होगी। "यह रचना मेरे शुभ भावों को रचने के लिए है।" इस परम मंगल भावना को हृदय में प्रतिष्ठित कर प्रत्येक रचनाएँ पूजा की तरह प्रतिदिन अनेक बार पढ़ें।
परम पूज्य गणाचार्य गुरुदेव विरागसागरजी महाराज का वरद हस्तावलंबन इन रचनाओं में वरदान सिद्ध हुआ। अतएव गुरुभक्ति पूर्वक गुरुपाद पद्मों में कोटिशः नमोऽस्तु ......।
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