पुस्तक परिचय
इस सम्पूर्ण जगत में सूक्ष्म अथवा दीर्घ प्राणों और पौधे यह दो ही जीवित है, शेष समस्त वस्तुएँ अजीवितों की श्रेणी में आती हैं। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने वृक्षों के सम्बन्ध में अनेक दिव्य बातों का अथवा तथ्यों का वर्णन किया है, जो मानव के लिये सर्वथा कल्याणकारी हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथ पौधों के गुणगान से भरपूर हैं। उनमें कई तथ्य ऐसे भी हैं जो हमारी समझ से परे हैं, किन्तु उन सभी बातों में बहुत दम है। उदाहरण के लिये कहा गया है कि जिस व्यक्ति के घर में बिल्व का एक वृक्ष लगा होता है उसके यहाँ साक्षात् लक्ष्मी का वास रहता है अर्थात् उसके यहाँ अर्थ सम्बन्धी बाधा खड़ी नहीं होती। इसी प्रकार जिस घर की सीमा में पलाश, कंचन, अर्जुन, करंज एवं शूल युक्त पौधे होते हैं वहाँ शांति रहती है। इसी प्रकार घर की सीमा में बेर का वृक्ष होना परिवार के सदस्यों के बीच बैर उत्पन्न करता है, शत्रुता पैदा करता है। घर की सीमा में बबूल, खैर एवं बांझ अनार के वृक्ष होने से वहाँ के बच्चों को कष्ट उठाना पड़ता है। ऐसे घर में बच्चों को कई बीमारियाँ होती हैं। जिस घर की सीमा में निर्गुडी का वृक्ष होता है, वहाँ सुख-शांति बनी रहती है। उस घर में कोई असामान्य बाधा नहीं होती। इसीलिये इस पौधे को संभालू भी कहा गया है। कहा गया है कि घर में रेगिस्तानी पौधों का होना शत्रु बाधा, अशांति एवं धनहानि कारक होता है। कैक्टस के पौधे इसी श्रेणी में आते हैं। वृक्षों के रोपण के सम्बन्ध में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने घर से इतर दो बरगद के वृक्षों का रोपण करता है, उसके अनेक पापों का शमन होता है। आमलक वृक्ष को लगाने से व्यक्ति की जमीन सम्बन्धी परेशानियाँ दूर होती हैं, फिर उस व्यक्ति चमत्कारिक पत्तियां 7 यूँ तो वृक्षों के समस्त अवयव अर्थात् जड़, तना, पत्ती, फल, फूल इत्यादि सभी परम उपयोगी होते हैं, किन्तु मूल रूप से अधिकतर वृक्षों की जड़ एवं पत्तियाँ प्रधान रूप से परम उपयोगी होती हैं, क्योंकि किसी भी वृक्ष के मूल प्राण तत्व उसकी जड़ अथवा इसकी पत्तियों में होते हैं, शेष भाग इन प्राण तत्त्वों को नीचे से ऊपर पत्तियों तक ले जाने का कार्य करते हैं। जड़ें जमीन के अन्दर होती हैं, जबकि पत्तियाँ प्रकट रहती हैं, दिखाई देती हैं। पत्तियों से ही सबसे ज्यादा गैसों का उत्सर्जन एवं अवशोषण होता है अर्थात् पत्तियाँ ही कार्बन डाइऑक्साइड का शोषण करती हैं और पत्तियाँ ही ऑक्सीजन को उत्सर्जित करती हैं जिससे वातावरण प्राणवायु से भरा होता है। औषधि रूप से भी पत्तियों का बहुत ज्यादा महत्त्व होता है और न यह केवल औषधियां उपयोग हेतु होती हैं बल्कि इनसे अनेक दूसरे कार्य भी होते हैं। उदाहरण के तौर पर कुछ पत्तियों द्वारा हवन करने से घर की ऋणात्मक ऊर्जा समाप्त होती है एवं घर में सकारात्मक ऊर्जाओं का भण्डार भरने लगता है। पत्तियों के हवन से ग्रहों की शांति भी की जाती है। प्रस्तुत पुस्तक चमत्कारिक पत्तियाँ में विभिन्न वृक्षों की पत्तियों के बारे में प्रकाश डाला गया है। हालांकि उनके औषधीय महत्त्व पर अधिक प्रकाश डाला गया है। विज्ञ पाठक थोड़े में अधिक समझेंगे। मेरी यह रचना आपके लिये किस सीमा तक उपयोगी है, यह तो आप पर ही में छोड़ता हूँ, आप तय करें। हाँ पुस्तक के सम्बन्ध में आपके सुझाव एवं आलोचनाओं का मुझे इंतजार रहेगा।
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