पुस्तक परिचय
पूत को चरखा द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी की बाल कविताओं का अनोखा संग्रह है, जिसमें उनकी बाल कविता के सारे रंग एक साथ देखने को मिल जाते हैं। जादुई लय वालो, सुरीली और मनमोहक बाल कविताओं की यह पुस्तक बच्चों के लिए किसी रंग-बिरंगे खिलौने की तरह ही है। वे इसे पाहगे भी, और साथ-साथ मस्ती में खेलेंगे और नाच-गाएँगे भी।
लेखक परिचय
द्वारिकाप्रसार माहेश्वरी (1916-1998) बच्चों से प्रेम करने वाले ऐसे विलक्षण बाल कवियों में से जिन्होंने अपना पूरा जीवन ही बच्चों के लिए समर्पित कर दिया। उनका विनम्र स्वभाव जऔर सरलता देखकर ही उन्हें 'बच्चों का गाँधी' कहा गया। बचपन में प्रकृति की अनूठी सदरता और गाँव के परंपरावादी परिवेश का माहेश्वरी जी के स्वभाव पर बहुत असर पड़ा। इसीलिए उनकी कविताएँ भी इतनी सीधी, सहज और बाल मन को छूने वाली हैं। बाल मन को भीतर बाहर से भिगोते हुए, वे उनमें जीवन के प्रति एक सहज आस्था पैदा करती हैं। इतना ही नहीं, ये कविताएँ बच्चों को भीतर से सरल बनने और सबको अपनाने की सीख भी देती है।
प्रकाश मनु (मूल नाम: चंद्रप्रकाश विग, जन्म 1950, शिकोहाबाद, उत्तर प्रदेश) जाने-माने लेखक और बाल साहित्यकार हैं। आपने प्रख्यात बाल पत्रिका नंदन में 25 वर्षों तक सहायक संपादक के पद पर कार्य किया। आपकी उल्लेखनीय कृतियाँ हैं यह जो दिल्ली है, कथा सकस और पापा के जाने के बाद (उपन्यास), मैंने किताबों से घर बनाया है, छूटता हुआ घर और चुनी हुई कविताएं (कविता संग्रह)। आपने देवेंद्र सत्यार्थी रचना-संचयन का संपादन किया है। इसके अतिरिक्त आपने बच्चों के लिए लगभग 200 महत्त्वपूर्ण कृतियों का सृजन किया है। आपको प्रथम गिरिजाकुमार माथुर स्मृति पुरस्कार तथा हिंदी अकादमी के साहित्यकार
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