| Specifications |
| Publisher: National Book Trust India | |
| Author: श्रीलाल शुक्ल और प्रेम जनमेजय (Shri Lal Shukla and Prem Janmejaya) | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 263 | |
| Cover: Paperback | |
| 8.5 inch X 5.5 inch | |
| Weight 340 gm | |
| Edition: 2020 | |
| ISBN: 9788123720555 | |
| NZB342 |
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पुस्तक के विषय में
भारतेन्दु काल के पहले का हिन्दी साहित्य मूलत: कविता पर क्रेद्रित है। उसमे हास्य-व्यंग्य की स्फुट रचनाओं का सर्वथा अभाव नहीं है, पर यहाँ हास्य के स्रोत और स्वरूप उतने वैबिध्य पूर्ण तथा उन्मुक्त नहीं हैं जितने कि वे आधुनिक साहित्य पें पाए जाते हैं।
भारतेन्दु काल से लेकर आज तक के हिन्दी व्यंग्य साहित्य की गुणवक्ता के विकास का ग्राफ चकित करने वाला है। इस दीर्ध अंतराल में हिन्दी व्यंग्य के कई आयाम खुले। कई पीढ़ियों के प्रतिभा संपन् रचकारों ने अपने सृजन से इस विधा को पुष्ट किया। हिन्दी हास्य व्यंग्य का यह संकलन इस विकास यात्रा की बानगी। इस कालावधि के प्राय: सभी प्रमुख लेंखकों, हर पीढ़ी और रचनाधारा के वैविध्य का प्रतिनिधित्व हो सकें तथा पाठकों के सामने हिन्दी हास्य व्यंग्य की एक मुकम्मल तसवीर प्रस्तुत हो सकें-संपादकों ने इसका पूरा पूरा ध्यान रखा है। हिन्दी हास्य-व्यंग्य के विकासक्रम से परिचित होने के लिए हिन्दी हास्य व्यंग्य संकलन एक जरूरी पुस्तक है।
इसके संपादक श्रीलाल शुक्ल तथा प्रेम जनमेगय हिन्दी हास्य व्यंग्य के क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं। इनका रचनाकर्म अपनी पीढ़ी के अन्य रचनाकारों के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, परवर्ती रचाकारों के लिए भी इनकी दृष्टि और इनका शिल्प प्रेरणा-स्रोत का काम करता है।



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