निरस्त्रीकरण विश्व के विनाशकारी तत्वों पर अंकुश लगाने का उत्तम साधन है। इसी को अपनाकर विश्व के प्रत्येक राष्ट्र अपनी-अपनी उत्तरोत्तर उन्नति करते रहे हैं। यदि कोई देश इस परम्परा का अनुयायी नहीं होता है तो उसकी सम्पूर्ण बौद्धिक क्षमता विकास की ओर न लग कर अन्य राष्ट्रों के विनाश की ओर चली जाती है। इसके साथ ही साथ वे अपने देश की भी क्षति करने में लग जाते हैं। इसके ज्वलन्त उदाहरण के रूप में वर्तमान समय में ईरान-ईराक युद्ध को लिया जा सकता है। इसमें अमेरिका के सम्मिलित होने से उसकी भी आर्थिक एवं मानवीय क्षति हुई है। इसी प्रकार भारत और पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध में दोनों ही देशों की आर्थिक एवं मानवीय क्षति हुई है। जिस बौद्धिक क्षमता को उपर्युक्त राष्ट्रों ने एक दूसरे के विनाश में लगाया, यदि उसी बौद्धिक क्षमता को ये दोनों राष्ट्र अपनी राष्ट्रीय उन्नति में लगाते तो राष्ट्रीय जन-जीवन कितना खुशहाल होता और उन राष्ट्रों का सर्वांगीण विकास हो सकता था। उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए आज भी निरस्त्रीकरण विश्व के सभी देशों के लिए अति आवश्यक हो गया है।
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