नीरज पिछले कई सालों से मुंबई में रहकर लगातार फ़िल्मों में पटकथा, गीत और संवाद लिख रहे हैं। उनके लिखे गीतों को कला और संगीत प्रेमियों से खूब प्यार मिला है।
लिखने की अलग-अलग धाराओं में चलते हुए उन्हें किसी भी निष्कर्ष तक पहुँचने की कोई जल्दी नहीं हैं। मूलरूप से वो एक लेखक हैं, अपनी पूरी जिज्ञासा के साथ, खुद को अलग-अलग माध्यमों से अभिव्यक्त करते। उनका पहला उपन्यास, दूर आसमान में... इसी जिज्ञासा को एक नई दिशा देने में उठाया एक और कदम है।
यह नई भूमिका लिखने का अच्छा बहाना है कि आप लोगों से थोड़ी बात हो सके। सबसे पहले तो इस किताब को इतना प्यार देने के लिए बहुत शुक्रिया। जीवन की जिज्ञासा और उसके कई अंधेरों को लिखते हुए मैं एकदम अकेला था। और अब जब मुझे आप लोग यह बताते हैं कि इस कहानी में आपने अपने आप को देखा है तो मैं थोड़ी देर चुप हो जाता हूँ।
कई बार सोशल मीडिया पर आए आपके मैसेज को देखकर बड़ी देर तक देखता रहता हूँ। जब किताब लिखना शुरू किया था तो कहाँ पता था कि वो कौन लोग हैं जो इसे पढ़ेंगे। पर यह अच्छा लगता है कि इसे पढ़ने वाले आप लोग हैं। कहते हैं कि अगर कोई तुम्हारा कहा सुन लेता है तो उसमें सुन लेने वाले का बड़प्पन है। आपका यह बड़प्पन पाकर मैं ऐसे खुश हो जाता हूँ जैसे किसी दोस्त से मिल रहा हूँ। अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग वक़्त में रहते हुए पर एक से।
बहुत सारा शुक्रिया इस किताब को अपने जीवन में जगह देने के लिए। बहुत सारा शुक्रिया मुझे अपनी यात्रा का हिस्सा बनने के लिए।
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