पुस्तक परिचय
भारत के सबसे लोकप्रिय महाकाव्यों में से एक महाभारत की कथा, अनेक पीढ़ियों को आकर्षित करती रही है। वौर पांडवों और दुर्जेय कौरवों के बीच युद्ध की सदियों पुरानी इस गाया ने हमारी सामूहिक कल्पना पर अमिट छाप छोड़ी है। फिर भी, वीरता और स्खलनायकी की इन कथाओं के पीछे उलझी हुई मानवीय भावनाएं छिपी हैं, जो 'अच्छाई और बुराई' के विषय में हमारे विचारों को चुनौती देती हैं। क्या सदावारी, सदा ही दुष्ट लोगों पर विजय प्राप्त कर पाते हैं? क्या कौरव वास्तव में अंधकार के प्रतीक हैं जबकि पाडव धर्म के पक्षधर है? क्या अत में विजय, धर्म की होती है? द्वापर कथा में, सुदीप्तो भौमिक ने मानव स्वभाव की पेचीदगियों की गहराई में उतरकर पात्रों की विविधतापूर्ण मानसिकता की खोज की है और उनकी महत्वाकांक्षाओं और अभिलाषाओं को उजागर किया है। सुदीप्तो, हमें कुरुक्षेत्र से भी अधिक गंभीर एक अन्य युद्धभूमि पर इन पात्रों के निरंतर चल रहे आआंतरिक द्वयों के भीतर ले जाते हैं। इस कथा में द्रौपदी के चीरहरण के दौरान मौन बैठे युधिष्ठिर के विरुद्ध भीम के आक्रोश को और युद्ध में अपने प्रिय मित्र कर्ण को खो देने पर दुर्योधन के साथ उसके दुःख को महसूस कीजिए।। सुदीप्तो के बेहद लोकप्रिय पॉडकास्ट, जिसे 6.5 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया गया, पर आधारित यह किताब द्वापर कथा पढ़ने योग्य है। पाठकों की सुगमता के लिए द्वापर कथा की हानियों के हिन्दी संस्करण को दो भागों में प्रकाशित किया जा रहा है। महाभारत की कथा, इतनी आकर्षक, विचारोत्तेजक और जीवंत कभी नहीं रही।
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