हिन्दी जगत के लिए पश्चिम के विश्व विख्यात विचारकों की धरोहर इस अनुवाद में प्रस्तुत है। पिछली सदियों में अनेक सार्वभौमिक एवं मौलिक विचार मनीषियों द्वारा प्रस्तुत किए गए। अब तक हजारों मनीषियों ने विश्व-बंधुत्व एवं संपूर्ण मानव जाति के एक परिवार का सपना देखा है। आधुनिक विज्ञान की मदद से अब इस सपने को साकार करने के सभी साधन मानव के पास उपलब्ध हैं।
इस अनुवाद के माध्यम से हिन्दी जगत में प्राचीन मनीषियों के विचारों से पाठक अवगत होंगे। यूनानी जीवन-दर्शन एवं प्राचीन भारतीय जीवन-दर्शन में विश्व-बन्धुत्व एवं 'वसुधैव कुटुम्बकम्' का आश्चर्यजनक साम्य है। कितने ही स्थल इस अनुवाद में ऐसे मिलते हैं जहाँ भारतीय पाठक सहसा कह उठता है, "यही तो हमारे मनीषियों ने हजारों वर्ष पूर्व कहा था।
वास्तव में यही एक बड़ा लाभ अन्य देशों के विचारकों के अध्ययन से हमें मिलता है कि सतही भिन्नता के नीचे अंतराल में कितना साम्य, कितना मानवी दृष्टिकोण सदियों से मानव को प्रभावित करता रहा है। आधुनिक युग के संघर्ष एवं समस्याओं से निरन्तर जूझते हुए मानव के लिए एक हरित भूमि का सुख भी ऐसे अनुवादों में पाठक को मिलता है।
केवल अनुयायी न होकर आज तक संचित मानव धरोहर का सही उत्तराधिकारी होने का असीम सुख भी पाठकों को सहज ही मिलता है। भारतीय शिक्षा के विकास के लिए आवश्यक है कि हम स्वच्छन्द रूप से विचारों का आदान-प्रदान करें। संकुचित, क्षेत्रीय भावना से परे उठकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोचें। उच्च विचारों का स्वागत करें तो हमारा आत्म-विश्वास बढ़ेगा, कुण्ठाएँ दूर होंगी और अपनी समस्याओं से जूझने का उत्साह बढ़ेगा।
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