फेंग-शूई वास्तव में अपने पर्यावरण के साथ सामंजस्य पूर्ण ढंग से रहने की चीन की प्राचीन कला है। चीनवासियों और उनकी पड़ोसी सभ्यताओं की यह मान्यता थी कि हम अपने आस-पास की ऊर्जाओं का दोहन कर प्रसन्नता व सुंतष्टि और प्रचुरता का जीवन जी सकते हैं। हम में से ज्यादातर कम से कम आठ घंटे काम करते हुए गुजारते हैं तथा अपने कार्यस्थल के पर्यावरण को व्यवस्थित कर ऊर्जाओं का दोहन करना एक अच्छी बात होती है ताकि हम अपने व्यवसाय में प्रसन्न व सफल रहें।
एक प्रकार से सारे पूर्वी देशों में व्यापारी वर्ग प्रायः व्यापार में अतिरिक्त लाभ कमाने के उद्देश्य से फेंग-शूई के विद्वानों से सलाह-मशविरा लिया करते हैं। सिटी बैंक, चेस एशिया, मारगन बैंक, राथशिल्ड और वाल स्ट्रीट जरनल आदि कुछ ऐसी आर्थिक संस्थाएं हैं जो फेंग-शूई का उपयोग किया फरती है।
में उदाहरण के रूप में बहुत से ऐसे व्यक्तियों के नाम गिना सकता हूं जिन्होंने अपने कार्यस्थल के वातावरण में परिवर्तन कर और ज्यादा प्रसन्नता व सफलता प्राप्त की है। अपनी पुस्तक नौसिखियों के लिए फेंग शूई में मैंने अपने एक मित्र का उदाहरण दिया है जिसका व्यापार डूब रहा था मगर जब उसने फेंग शूई के उपायों द्वारा कुछ परिवर्तन किए तो उनके फलस्वरूप उसका व्यापार चमक उठा और वह आज अत्यंत धनी एवं सफलतम व्यक्ति है।
आज से कुछ वर्ष पूर्व एक हौजरी निर्माता ने मुझे अपनी फैक्टरी के मूल्यांकन के लिए बुलाया था। उस कंपनी के सम्मुख ऊंचे कर्मचारियों के पलायन, निरुत्साहिता तथा अधिकांश कर्मचारियों के बीमार पड़ने की समस्या थी। वैसे इन सब समस्याओं का कारण ज्ञात करना बड़ा आसान था क्योंकि फैक्टरी की छत का रंग गहरा भूरा था तथा वह कर्मचारियों पर अवसादकारी बल के समान था। विगत में इस कंपनी ने बड़ी तेजी से विकास किया था और उसी के परिणाम स्वरूप एक सीमित क्षेत्र में अत्यधिक मशीनें थीं। इस कारण तैयार माल को उस ज्यादा भरे स्थान से बाहर ले जाना समस्या जनक था।
तब कंपनी के मालिक ने पैकिंग का कार्य ज्यादा खुले स्थान-गोदाम में करना शुरू कर दिया तथा छत और दीवारों पर फिर से हल्का सुखद् रंग करवाया। साथ ही उसने घी के प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्थानों पर गमलों में लगे पौधे भी रखवा दिए।
इन परिवर्तनों का परिणाम विस्मयकारी था। कर्मचारियों का उत्साह बड़ी तेजी से बढ़ा, उत्पादन भी प्रचुर मात्रा में बढ़ गया तथा कर्मचारियों ने नई नौकारी खोजनी छोड़ दी क्योंकि वे वहां खुश अनुभव करने लगे थे।
मेरा एक परिचित छपाई की स्याही बनाने वाली कंपनी में सेल्समैन के रूप में कार्यरत था तथा तभी उसकी पदोन्नति सेल्स मेनजेर के रूप में की गई थी। इस पदोन्नति से वह अत्यंत प्रसन्न था, किन्तु नए पद पर प्रसन्न नहीं था। तब उसके आफिस का निरीक्षण करने के बाद मैंने उसे उसकी टेबल की दिशा बदलने की सलाह दी और वैसा करते ही वह स्वयं को पहले से ज्यादा प्रसन्न, उत्साह से भरा ज्यादा लाभकारी अनुभव करने लगा।
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