फेंग शुई अपने परिवेश के साथ तादात्म्य रखते हुए जीने की प्राचीन चीनी कला है। हजारों वर्षों से चीनीवासी यह मानते आये हैं कि अगर वे अपने घरों व वस्तुओं को उचित जगह पर व्यवस्थित करके रखेंगे तो वे संतोषजनक, समृद्धिपूर्ण व खुशहाल जीवन बिता सकते हैं। निःसंदेह, इसमें एक सशक्त, स्थिर, प्यारभरा व सामंजस्य पूर्ण संबंध भी निहित है, क्योंकि बिना उसके हम न तो संतुष्ट रह सकते हैं, न खुश।
आपके जीवन में यह वास्तविकता बन जाये, यही इस पुस्तक का मूल उद्देश्य है। फेंग शुई आपको सही साथी को आकर्षित करने व चुनने में मदद कर सकती है तथा यह विद्यमान संबंध को पुनः जीवन प्रदान करने के योग्य भी आपको बना सकती है। आप चाहे जो भी हो, एक समृद्ध, पूर्णता प्रदान करने वाले संबंध को रखने का आपको अधिकार है।
ऐसे लोग हैं जिन्हें प्रगाढ़ संबंधों की आवश्यकता नहीं, पर ऐसे लोग कम ही होते हैं। डा जेम्स लाइंच ने लिखा था, "संयुक्त राष्ट्र में हुई अकाल मौतों से सम्बंधित समस्त आंकड़े यह दर्शाते हैं कि ऐसा मानव सहचारिता की कमी, चिरकालिक अकेलेपन, सामाजिक पृथकता व किसी प्रिय की अचानक मृत्यु के कारण होता है।" डा० लाइंच ने यह निष्कर्ष निकाला कि अकेलेपन को सभी मुख्य बीमारियों से जोड़ा जा सकता है लेकिन हृदय रोग का यह सबसे बड़ा कारण है, जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र में सबसे अधिक मृत्यु होती है। उन्होंने लिखा है, "हजारों लोग, टूटे दिल या अकेलेपन के कारण मर रहे हैं।
विश्व के विभिन्न हिस्सों के अनुसंधानकर्ताओं को भी इसी तरह के अनुभव हुए हैं। अकेले, विधवा, व तलाकशुदा लोग उन लोगों के बजाय जो दीर्घकालीन संबंध जीते हैं ज्यादा मात्रा में मरते हैं। परिणामतः जिन लोगों को हम प्यार करते हैं, उनका हमारे मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है और बदले में, हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी नाटकीय प्रभाव पड़ता है।
लोगों के शहरों में चले जाने के कारण, पिछले सौ वर्षों में अकेलापन बहुत अधिक मात्रा में बढ़ गया है। बीसवीं सदी के आरंभ में विश्व की करीब अस्सी प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती थी और अपने सारे पड़ोसियों से परिचित थी। अब एक सौ वर्ष बाद, विश्व की आधी से अधिक जनसंख्या नगरों व शहरों में रहती है, और फ्लैटों में रहने वाले लोगों में अपने निकटतम पड़ोसी का नाम तक न जानना आम बात' है।
मैं एक करोड़ लोगों के शहर में रहता हूं। इनमें से एक तिहाई घरों में सिर्फ एक ही व्यक्ति रहता है। वस्तुतः पश्चिमी देशों में प्रत्येक पांच वयस्कों में दो वयस्क अकेले हैं।' इनमें अनेक विवाहित थे, पर तलाक या अपने साथी की मृत्यु के कारण अकेले हो गये हैं। इनमें से कई लोगों ने अकेला रहना ही पसंद किया है और अपने निर्णय से खुश हैं। दूसरे, साथी की चाह रखते हैं और समय के साथ यह चाह तीव्र हो जाती है। दूसरे खराब या तनावपूर्ण पृष्ठभूमि को झेलने के कारण स्थायी संबंध रखने के विचार के बारे में सोचना भी नहीं चाहते।
पहले, जिन लोगों की शारीरिक समस्यायें होती थीं, वे अक्सर विवाह कर समस्या सुलझाने की कोशिश करते थे। इससे समस्या कम ही सुलझती थी और सभी को दुख व यातना झेलनी पड़ती थी। भाग्यवश, ऐसे लोग आजकल अकेले रहना पसंद करते हैं। संयोगवश, इस पुस्तक में निहित बातें, अपरम्पारिक संबंधों के लिए उपयोगी हैं। फेंग शूई पूर्णतया पक्षपात रहित है और पारम्परिक संबंधों तक ही सीमित नहीं है।
जैसा कि आप जानते हैं कि पांच वयस्कों में से प्रत्येक दो वयस्क स्थायी संबधों को क्यों नहीं बकरार रख पाते हैं। हमारा मतलब यह नहीं है कि अकेले रहना, या अपने अनुसार रहना गलत बात है। कई लोग अपने तरीके से जीने में पूर्णता व संतुष्टि पाते हैं। अग्रेजी गायक कलिफ रिचर्ड लिखता है: "मुझे अकेले रहने में मजा आता है।" एक तरह से. अकेले व्यक्तियों के पास विवाहितों की अपेक्षा बहुत सारे लोगों के साथ प्रगाढ़ता कायम करने के ज्यादा अवसर होते हैं।
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