Look Inside

जगजीत चित्रा सिंह की ग़ज़ले: Ghazals of Jagjit-Chitra Singh (With Notation)

Best Seller
FREE Delivery
Express Shipping
$27
$36
(25% off)
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: HAA234
Publisher: Sangeet Karyalaya Hathras
Author: देवकी नंदन धवन: (Devki Nandan Dhawan)
Language: Hindi
Edition: 2003
ISBN: 815805794x
Pages: 196
Cover: Paperback
Other Details 9.0 inch X 6.0 inch
Weight 230 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description
<html> <head> <meta http-equiv=Content-Type content="text/html; charset=windows-1252"> <meta name=Generator content="Microsoft Word 12 (filtered)"> <style> <!-- /* Font Definitions */ @font-face {font-family:Mangal; panose-1:2 4 5 3 5 2 3 3 2 2;} @font-face {font-family:"Cambria Math"; panose-1:2 4 5 3 5 4 6 3 2 4;} @font-face {font-family:Cambria; panose-1:2 4 5 3 5 4 6 3 2 4;} @font-face {font-family:Calibri; panose-1:2 15 5 2 2 2 4 3 2 4;} /* Style Definitions */ p.MsoNormal, li.MsoNormal, div.MsoNormal {margin-top:0cm; margin-right:0cm; margin-bottom:10.0pt; margin-left:0cm; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraph, li.MsoListParagraph, div.MsoListParagraph {margin-top:0cm; margin-right:0cm; margin-bottom:10.0pt; margin-left:36.0pt; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraphCxSpFirst, li.MsoListParagraphCxSpFirst, div.MsoListParagraphCxSpFirst {margin-top:0cm; margin-right:0cm; margin-bottom:0cm; margin-left:36.0pt; margin-bottom:.0001pt; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraphCxSpMiddle, li.MsoListParagraphCxSpMiddle, div.MsoListParagraphCxSpMiddle {margin-top:0cm; margin-right:0cm; margin-bottom:0cm; margin-left:36.0pt; margin-bottom:.0001pt; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraphCxSpLast, li.MsoListParagraphCxSpLast, div.MsoListParagraphCxSpLast {margin-top:0cm; margin-right:0cm; margin-bottom:10.0pt; margin-left:36.0pt; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} .MsoPapDefault {margin-bottom:10.0pt; line-height:115%;} @page WordSection1 {size:612.0pt 792.0pt; margin:72.0pt 72.0pt 72.0pt 72.0pt;} div.WordSection1 {page:WordSection1;} --> </style> </head> <body lang=EN-GB>

भूमिका

किसी ज़माने में गज़ल की गायकी रईसों की हवेली और तवायफों के कोठों तक कैद थी, लेकिन जब संगीत के विविध पक्ष रेडियो और ग्रामोफोन रिकार्डों के माध्यम से आम जनता तक पहुँचने लगे, तो मनोरंजन का साधन संगीत दुनिया में तेजी से फैलने लगा ।

भारत में मुशायरों की परम्परा तो तभी से चल रही थी, जब से मुगल आए लेकिन सोलहवीं शताब्दी से गज़ल की ऐसी महफिलों का दौर भी शुरू हो गया जिसने गज़ल को संगीत का लिबास पहनाकर और खूबसूरत बना दिया । अनेक भारतीय तथा पाकिस्तानी गायकों ने गज़ल गायकी को तेजी से लोकप्रिय बनाया और ऐसी गज़लों का निर्माण होने लगा, जो संगीत की दृष्टि से मोहक तथा मार्मिक हों।

गज़ल गायकी के लम्बे सफर में जगजीत सिंह और उनकी गायिका पत्नी चित्रासिह ने जब पारम्परिक गज़ल गायकी से हटकर शास्त्रीय आधार पर अपनी गज़लों को प्रस्तुत किया, तो इस क्षेत्र में उनका स्थान बहुत ऊँचा उठ गया । शब्द और स्वरों के सच्चे लगाव तथा संगीत की बारीकियों को जगजीत चित्रासिंह ने बड़ी खूबसूरती से पेश किया । यही कारण था कि वे गज़ल गायकों की भीड़ में जल्दी ही शीर्ष स्थान पर पहुँच गए । आज गज़ल गायकी लोकप्रिय होने के साथ साथ समाज का एक ऐसा अग बन गई है, जिसे फैशन की तरह अधिक इस्तेमाल किया जाने लगा है। इसीलिए अब गजलें प्राय गीतनुमा गजलें बन गई हैं। हिन्दी उर्दू के इस मिलन को भाई बहिन का मिलन समझा जा सकता है। दो पंक्तियों में हृदय के भाव को स्पष्ट कर देना हिन्दी के दोहों और उर्दू के शेरों की ऐसी विशेषता है, जो संसार की किसी अन्य काव्य शैली में नही मिलती ।

स्वर और शब्द की अदायगी में जगजीत चित्रासिह की गाई हुई गजलें बेजोड़ हें। ऐसी गज़लों में से महत्त्वपूर्ण और लोकप्रिय गजलें चुनकर स्वरांकन सहित इस पुस्तक में प्रस्तुत की जा रही हैं। श्री देवकीनन्दन धवन ने परिश्रमपूर्वक इनका स्वरांकन किया है ताकि गायकों की अदायगी को हूबहू उतारा जा सके। ये अमर हैं और अमर रहेंगी, इसी आशा के साथ इनका प्रकाशन किया जा रहा है। प्रख्यात उर्दू शायर खुमार बाराबंकवी के अनुसार जब तक इंसान हँसना रोना जानता रहेगा, तबतक गज़ल भी जिन्दा रहेगी । हम उन सभी शायरों के प्रति कृतज्ञ हैं, जिनकी रचनाओं को इस पुस्तक में स्थान दिया गया है ।

 

अनुक्रम

1

हँसके बोला करो, बुलाया करो

1

2

शायद मैं जिन्दगी की सहर लेके आ गया

4

3

बाद मुद्दत उन्हें देखकर यूँ लगा

6

4

किया है प्यार जिसे हमने ज़िंदगी की तरह

9

5

सदमा तो है मुझे भी कि तुझसे जुदा हूँ मैं

11

6

परेशाँ रात सारी है, सितारो तुम तो सो जाओ

14

7

झूठी सच्ची आस पे जीना कब तक आखिर

17

8

ये करें और वो करें, ऐसा करें वैसा करें

19

9

हज़ारों खाहिशें ऐसी कि हर खाहिश पे दम निकले

22

10

० ये कैसी मुहब्बत कहीं के फसाने

25

11

दिल ही तो है न संगो खिश्त

29

12

आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक

31

13

दिन गुजर गया एतबार में

34

14

पत्थर के खुदा पत्थर के सनम, पत्थर के ही इनसां पाए हैं

39

15

शायद आ जाएगा साकी को तरस, अबके बरस

42

16

एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी

46

17

तुमने दिल की बात कह दी आज ये अच्छा हुआ

48

18

शाम से आँख में नमी सी है

50

19

आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ

54

20

कुछ न कुछ तो जरूर होना

61

21

हम तो यूँ अपनी जिन्दगी से मिले

64

22

मैंने दिल से कहा, ऐ दीवाने बता

69

23

अपने चेहरे से जो जाहिर है छुपाएँ कैसे

71

24

गुलशन की फकत फूलों से नहीं

73

25

मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम

76

26

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो

80

27

मौसम को इशारों से बुला क्यों नहीं लेते

84

28

खामोशी खुद अपनी सदा हो

86

29

अपने होठों पर सजाना चाहता हूँ

89

30

तुझसे मिलने की सजा देंगे तेरे शहर के लोग

93

31

इक ब्रराहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है

97

32

ये जो जिन्दगी की किताब है

100

33

कोई दोस्त है न रक़ीब है

102

34

सरकती जाए है रुख से नकाब आहिस्ता आहिस्ता

108

35

कल चौदवीं की रात थी, शब भर रहा चर्चा तेरा

108

36

जवानी के हीले हया के बहाने

113

37

या तो मिट जाइये या मिटा दीजिये

120

38

फोन कहता है मुहब्बत की जुबाँ होती है

126

39

जब किसी से कोई गिला रखना

132

40

० मैं भूल जाऊँ तुम्हें अब यही मुनासिब है

135

41

सुनते हैं कि मिल जाती है हर चीज़ दुआ से

139

42

बेसबब बात बढ़ाने की जरूरत क्या है

146

43

गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला

150

44

बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं

153

45

आए हैं समझाने लोग

156

46

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है

159

47

क् उम्र जलवों में बसर हो, ये जरूरी तो नहीं

164

48

बात निकलेगी तो फिर तलक जाएगी

171

49

मुँह की बात सुने हर दिल के दर्द को जाने कौन

174

50

तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है

177

 

 

</body> </html> **Contents and Sample Pages**










Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy