पुस्तक परिचय
सांस्कृतिक स्वरूप से हमारा तात्पर्य.....
भारत की पहचान आध्यात्मिक राष्ट्र की है। अध्यात्म का व्यावहारिक स्वरूप संस्कृति है। इसलिए भारत में सब कुछ सांस्कृतिक है। अतः शिक्षा भी सांस्कृतिक है। परन्तु वर्तमान में भारत में दी जाने वाली शिक्षा का स्वरूप सांस्कृतिक नहीं भौतिक है। भारत में जीवन का भीतिक पक्ष सांस्कृतिक अधिष्ठान पर टिका हुआ है, जबकि पश्चिम में संस्कृति का आधार भी भौतिक ही है। इसलिए जीवन की प्रत्येक बात भारत और यूरोप में भिन्न-भिन्न प्रकार से व्याख्यायित होती है। यही कारण है कि भारत की वर्तमान शिक्षा का आधार भौतिक है। जबकि सनातन शिक्षा का आधार सांस्कृतिक है। वर्तमान भारत को पुनः सनातन भारत बनाना ही भारत का भारतीयकरण है। यह तभी सम्भव होगा जब शिक्षा के भौतिक स्वरूप को सांस्कृतिक स्वरूप में बदला जाएगा।
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