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हार के बाद जीत है: Haar ke Baad Jeet Hai

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Specifications
Publisher: Transworld Publishers, Delhi
Author R. Pandey
Language: Hindi
Pages: 167
Cover: HARDCOVER
9x6 inch
Weight 340 gm
Edition: 2024
ISBN: 9789392733802
HBV298
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Book Description
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पुस्तक परिचय

बच्चे किसी भी समाज, देश और परिवार के भविष्य होते हैं। यदि उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है, उनकी गतिविधियों पर नजर नहीं रखी जाती है, उनके सर्वांगीण विकास और चहुँमुखी उन्नति के बारे में सोचा नहीं जाता है तो फिर किसी भी राष्ट्र, समाज और परिवार का विकास थम जाता है। आज का जो दौर है, बच्चों के लिए कई दृष्टि से सुरक्षित तथा उर्वरा नहीं है। अभिभावकों के पास भी समय का अभाव है। सच्चाई तो यह है कि उनके पास स्वयं के लिए भी समय नहीं है। वे जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन-रात काम में लगे रहते हैं और काम से छूटते हैं तो बस उन्हें आराम करने की ही सूझती है। इस व्यस्तता का सबसे खतरनाक परिणाम यह है कि आज बच्चों का शोषण घर में भी और बाहर भी हो रहा है तथा उनकी शिकायत कोई भी सुनने वाला नहीं है। यह पुस्तक बच्चों की विभिन्न समस्याओं का खुलासा करने के साथ-साथ उनका समाधान भी ढूँढ़ने में सफल रही है।

लेखक परिचय

नाम-आर. पांडेय। पिता का नाम : स्व. (श्री) श्याम नारायण पांडेय। शैक्षणिक योग्यता : बी. ए.। मूल निवास-ग्रा. रामपुर, पो. दिघार, (जि. बलिया (उ.प्र.)।

कार्यानुभव-गृहलक्ष्मी (महिला पत्रिका) का संपादन 1991-2000, गृहनंदनी (महिला पत्रिका) का संपादन 2007-2011

सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी सेवी सहस्राब्दी सम्मान (2000)

प्रकाशित कुछ सुप्रसिद्ध पुस्तकें

अपना विवाह बचाएँ, जल ही जीवन है, अधिकार से पहले कर्तव्य के प्रति जागरूक हों, पढ़ेगा इंडिया बढ़ेगा इंडिया, एक कदम स्वच्छता की ओर, क्या सब कुछ है पैसा, घर से भागता क्यों है बच्चा, अपना विवाह बनाएँ हसीन, आदमी बूढ़ा होना नहीं चाहता, आप भी अपने सपने पूरे कर सकते हैं, ऐसे कार्य जो बुद्धिमान लोग नहीं करते, बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाएँ, लक्ष्य, लोगों पर अपना प्रभाव कैसे डालें, कार्य में सफलता पाने के उपाय, विद्यार्थी और मानसिक शक्ति, लाभकारी और सार्थक संबंध मिनटों में बनाएँ, श्रेष्ठता हासिल करने वाली नई तकनीकें, मन को खूबसूरत बनाएँ और सफलता पाएँ, कैसे बनाएँ असंभव को संभव, अपनी क्षमताओं को पहचानिए, सफल बनाने वाली नई तकनीकें, सफल होने के 101 ज्ञान सूत्र, सफलता के 12 सरल मंत्र, राइट पर्सन से कहें दिल की बात, घरेलू विवाद : समस्याएँ और समाधान, हैप्पी मैरिड लाइफ के अनमोल सवाल-जवाब, आदमी क्यों करता है आत्महत्या, प्रॉब्लम सौल्व करने वाली कहानियाँ, आप भी गलत हो सकते हैं, महिलाओं में है दमा, लॉकडाउन की कहानियाँ आदि।

संप्रति-स्वतंत्र लेखन।

प्राक्कथन

बच्चों का भविष्य आज के आधुनिक दौर में मेरे विचार से और भी अधिक संकटों से घिर गया है। तरह-तरह की बीमारियों से जहाँ वे त्रस्त हैं, वहीं पर उनका नाना प्रकार से शोषण भी होने लगा है। बाहर तो उनका शोषण होता ही है, घर में भी उनका शोषण होता है। मेरी बात पर आश्चर्य आपको होगा लेकिन यही सचाई है।

बच्चों के अच्छे कार्यों के लिए शाबाशी न देना और गलत कार्यों के लिए प्रताड़ित करना, बच्चों की समस्याओं को न सुनना और आपस में लड़-झगड़कर या तलाक लेकर उनके लिए समस्याएँ उत्पन्न करना, वादे कर मुकर जाना और उनसे उनका वादा पूरा करवा लेना उनका शोषण करना ही तो है? इसी तरह से बच्चों का शोषण अनेक रूपों में होता है, यह अलग बात है कि हम बच्चों के साथ होने वाली ज्यादतियों की तरफ कोई ध्यान ही नहीं देते हैं। माता-पिता द्वारा मिलने वाली अनावश्यक डाँट-फटकार या दंड एक तरह का शोषण ही है।

साइकोलॉजिस्ट की सलाह है कि बच्चों के साथ बहुत ही संतुलित, सकारात्मक तथा उनके मिजाज के अनुकूल व्यवहार होना चाहिए। ऐसा व्यवहार होने पर बच्चों के मस्तिष्क का पोषण अच्छी तरह से होता है और जब उनके मस्तिष्क का पोषण बेहतर ढंग से होता है तो इसका सुन्दर प्रभाव उनके पूरे व्यक्तित्व पर भी पड़ता है और उनके सोचने-विचारने की शक्ति भी काफी उम्दा हो जाती है।

बच्चों का उन स्थितियों में सर्वाधिक शोषण होता है और वे सबसे अधिक दुःखी रहते हैं, जब उन्हें माँ सौतेली मिल जाती है या पिता सौतेला मिल जाता है। पिता सौतेला होता है, तो बच्चों का शोषण शारीरिक, मानसिक रूप से करने से बाज नहीं आता है। जानवरों में ऐसी प्रवृत्ति होती है कि वे अपने बच्चों को तो बर्दाश्त कर लेते हैं, लेकिन दूसरों के बच्चों को जान से ही मार डालते हैं। शेर यही तो करते हैं। जब एक शेर किसी अन्य शेर को मार कर झुंड पर अपना अधिकार स्थापित करता है, तो उस शेर से उत्पन्न बच्चों को जान से ही मार डालता है और स्वयं से उत्पन्न बच्चों के साथ उस झुंड की देखभाल करता है।

इस मामले में मनुष्य भी शेर की तरह ही है। सौतेला पिता दूसरे पुरुष से पैदा हुए बच्चों को मजबूरी में ही बर्दाश्त करता है और मौका मिलता है तो उन्हें खत्म करने से भी चूकता नहीं है, खत्म नहीं भी कर पाता है तो उन्हें आगे नहीं बढ़ने देता है। सौतेली माँ भी दूसरी औरत से उत्पन्न बच्चों को फूटी आँखों से भी देखना पसंद नहीं करती है। इन बच्चों का शोषण इस हद तक होता है कि उनका जीवन नरक बन कर रह जाता है।

बच्चों का शोषण स्कूल, कॉलेज में भी होता है। उनका शोषण दबंग बच्चे या फिर गलत विचारों वाले अध्यापक भी करते हैं। बच्चों का यौन शोषण घर में भी और घर के बाहर भी होता है। बच्चों का मानसिक शोषण भी होता है, शारीरिक शोषण भी होता है और यौन शोषण भी होता है। लड़कों की अपेक्षा लड़कियों के साथ अधिक ज्यादती घर में भी होती है और घर के बाहर तो होती ही है।

बच्चों को पोषक तत्त्वों से भरपूर भोजन बहुत ही कम घरों में मिलता है, जिससे बच्चों का मानसिक तथा शारीरिक विकास प्रभावित होता है। बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए पौष्टिक भोजन की व्यवस्था करना अभिभावक का कर्तव्य बनता है।

आज के बच्चे इंटरनेट की दुनिया में हैं और उनको स्मार्ट फोन भी आसानी से मिल ही जाता है, जिससे वे उन जानकारियों को भी जान जाते हैं, जो उनकी आयु के प्रतिकूल होती है और उनका गलत प्रभाव उनके कॅरियर और भविष्य पर पड़ता है। छोटे बच्चों को स्मार्ट फोन दें भी तो कम समय के लिए दें और अपनी निगरानी में ही उनको रखें। बड़े बच्चों को भी स्मार्ट फोन की सुविधा उपलब्ध कराते समय इस बात की सलाह उन्हें अवश्य ही दें कि इंटरनेट का इस्तेमाल तुम्हें अपने ज्ञान में वृद्धि के लिए ही करना है और एक निश्चित समय तक ही उन्हें फोन चलाने दें। क्योंकि अति किसी भी चीज की जानलेवा होती है और जब बच्चों को स्मार्ट फोन की लत लग जाती है, तो फिर वे किसी भी कार्य में रुचि लेना बिलकुल ही बन्द कर देते हैं और इस तरह से उनका शोषण स्मार्ट फोन करने लगता है। वीडियो गेम्स की लत जब बच्चों को लग जाती है तब तो वह किसी की भी नहीं सुनता है और उसका भविष्य अधर में लटक जाता है। मैं यदि कहूँ कि बच्चों का शोषण सजीव और निर्जीव दोनों ही चीजें कर रही हैं तो कोई गलत नहीं होगा। यदि अभिभावक बच्चों का सर्वांगीण विकास चाहते हैं और आधुनिक टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल होते देखना चाहते हैं तो बच्चों को उसके लिए सही ढंग से सुशिक्षित करना होगा।

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