प्राक्कथन
हिन्दी भारतीय समाज के उल्लास, सौन्दर्य, चिन्तन, मनन एवं भावधारा की भाषा है, साथ ही अन्तर्द्वन्द, संघर्ष, उपेक्षा, ग्लानि एवं पश्चाताप की भाषा है। कारगिल युद्ध में वीर जवानों का जयघोष इसी भाषा में हुआ था। उस समय अनेक पत्रपत्रिकाओं में भारतीय जनता के एकात्मभाव की प्रतिध्वनि हिन्दी भाषा में ही सुनाई पड़ी थी, काव्य लिखे गए थे, गीत गाए गए थे, सम्पादकीय एवं लेखों में भी भारतीय जवानों की शौर्यगाथा का वर्णन किया गया था। वैसे तो हिन्दी गद्य साहित्य में उपन्यास, कहानी, निबन्ध, आलोचना, नाटक एवं एकांकी पर्याप्त रूप से पल्लवित एवं पुष्पित हुए, लेकिन इनके अतिरिक्त अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं के पाश्चात्य साहित्य के सम्पर्क के परिणाम स्वरूप हिन्दी में अन्य बहुत सी गद्य विधाएं भी प्रसारित हुई यथा जीवनी, आत्मकथा, पत्र-साहित्य, गद्यकाव्य, रेखाचित्र, संस्मरण तथा रिपार्टाज आदि ये सब ऐसी ही नवीनतम प्रतिमान है, जिनका आधुनिक रूप नितान्त नवीनतम है। प्रस्तुत पुस्तक में सबसे प्रधान साहित्यिक घटना नवीनतम विधाएं है, इसीलिए उनसे सन्दर्भित प्रवृत्तियों का विश्लेषण, महत्वपूर्ण एवं अनुबन्धित रचनाएं, रचनाकारों का परिचय, एवं कालगत उपलब्धियों का यहाँ विस्तारपूर्वक विवेचन किया गया है। लेखिका ने गद्य के विविध प्रतिमानों को कई रूपों में विभक्त किया है यथा गद्य का विकास, साहित्य का स्वरूप, हिन्दी गद्य की नवीनतम विधाएं, गद्य की साहित्यिक विधाएं एवं सृजनात्मक लेखन आदि। यहाँ आधुनिक काल के नवीनतम, प्रतिमान क्रम पर प्रकाश डालना ही प्रस्तुत पुस्तक का उद्देश्य रहा है। हिन्दी साहित्य के विद्यार्थियों के लिए गद्य के नवीनतम आयामों का ज्ञान अत्यन्त आवश्यक है। यह पुस्तक बी.ए., एम.ए. पाठ्यक्रम के लिए सहायक सिद्ध होगी क्योंकि यहाँ मैंने अपनी कलम द्वारा हिन्दी जानने वाले बहुसंख्यक छात्र/छात्राओं तक ज्ञान का प्रकाश पहुँचाने का बुनियादी प्रयास करने की चेष्टा की है। हिन्दी गद्य साहित्य के आदि से अद्यतन विकास क्रम की यह नवीनतम प्रस्तुति साहित्यानुरागी अध्येताओं एवं छात्रों को विशाल हिन्दी परम्परा से परिचित कराने में अवश्य सहायक होगी। मेरे गुरुजनों के आशीष तथा निर्देश मेरे लिए पाथेय एवं आलोक रहे हैं। मैं उन विद्वानों का अपने तहेदिल से आभार प्रकट करती हूँ। जिन्होंने समय-2 मेरा मार्गदर्शन किया एवं मेरे लेखन कर्म को निरन्तर गतिशील बनाए रखने में पग-2 पर प्रोत्साहित किया। पुस्तक को और अधिक उपयोगी बनाने के लिए छात्रों एवं शिक्षकों के सुझावों का मैं स्वागत करूँगी।
लेखक परिचय
डॉ. अम्बिका उपाध्याय वर्तमान में के.पी.एस. कॉलेज मुंडेसी, मथुरा में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर निरन्तर कार्यरत है। इन्होंने पी.एच.डी., एम.ए. एजुकेशन, एम.ए. हिन्दी, बी.एड. आदि की उपाधियाँ प्राप्त की है। डॉ. अम्बिका अभी तक २० से अधिक राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार में अपने शोध-पत्र प्रस्तुत कर चुकी है तथा विभिन्न कार्यशालाओं में भाग ले चुकी है और उनके १५ से अधिक शोध-पत्र विभिन्न शोध जर्नल एवं शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित किये जा चुके हैं। डॉ. अम्बिका की आधुनिक हिन्दी कविता, नारी लेखिकाओं के प्रमुख हिन्दी उपान्यास (समीक्षात्मक अनुशीलन) जैसे विषयों पर पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। इनका उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में विकास व प्रगति करना, हिन्दी को भारतवर्ष की राष्ट्र भाषा का पूर्ण दर्जा दिलाना और समाज सेवा करना है।
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