पुस्तक परिचय
नवगीत' गीत-परंपरा की अभिनव कड़ी है। आज यह एक लोकप्रिय काव्य-विधा के रूप में प्रतिष्ठित है। यह कल्पना-बहुलता, मांसल सौंदर्य-प्रियता और कोरी बौद्धिकता से पृथक् जीवन के सुख-दुःख और आशा-आकांक्षा के अधिक निकट है। इसलिए यह अधिक स्वाभाविक और आत्मीय लगता है। निःसंदेह, नवगीत में परंपरा के पालन के साथ ही आधुनिक भाव-बोध और शिल्पगत नवीनता को आत्मसात करने की प्रवृत्ति है। कहना चाहिए कि यह आधुनिक बोध एवं विचार की दृष्टि से जितना मौलिक एवं वैविध्यपूर्ण है. उतना ही शिल्प-विधान की दृष्टि से नवीन व आकर्षक भी है। लोक-लय एवं अभिव्यक्ति की नयी प्रणालियों को ग्रहण करना इसकी अन्य विशेषताएं हैं। प्रस्तुत पुस्तक में लेखिका ने नवगीत के शिल्प-पक्ष पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए उसके कुछ महत्त्वपूर्ण अनछुए पहलुओं का सुंदर विवेचन किया है। आशा है, प्रस्तुत पुस्तक का हिंदी जगत् में अवश्य स्वागत होगा।
लेखक परिचय
नाम: अभीप्सा पटेल जन्म : ठाकुरदिया, रायगढ़ (छ.ग.) में शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय से एम. ए. (हिंदी), एम. फिल., पीएच.डी. एवं कत्थक (नृत्य) में डिप्लोमा (मुंबई) विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कविता आदि का नियमित प्रकाशन; राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी; तथा साहित्य के अतिरिक्त संगीत में विशेष रुचि। प्रकाशित पुस्तकें छायावाद: विचार और विश्लेषण (संपा.) हिंदी हाइकु : इतिहास और उपलब्धि (संपा.) छत्तीसगढ़ी और ओड़िया लोक-संस्कृति (संपा.) हाइकु मंजरी (संपा.) हिंदी नवगीत का शिल्प-विधान.
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