डॉ. रचना चौहान मूलतः जिला मुरैना, मध्य प्रदेश की प्रतिष्ठित होम्योपैथिक चिकित्सक हैं। एक विचारशील एवं चिंतक पृष्ठभूमि के परिवार से संबंधित होने के कारण चिकित्सा के साथ-साथ लेखन शिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता के गुण स्वतः मुखरित होते चले गए। आप लगभग दो दशक से विद्यालय के संचालन एवं प्रधानाध्यापक के दायित्व के निर्वहन के साथ संवेदनशील लेखिका के रूप में भी सक्रिय हैं। आप विभिन्न संगठनों एवं प्रकल्पों के माध्यम से समाज को संगठित करने की दिशा में प्रयासरत है। आप महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा इन तीन सूत्रीय बीज मंत्र के माध्यम से समाज को गति प्रदान कर रही हैं। डॉ रचना चौहान का लेखन भारत के प्राचीन वैभव के साथ वर्तमान परिदृश्य के मध्य सेतु स्थापित करने का कार्य करता है।
जब लेखिका डॉ. रचना चौहान ने इस पुस्तक को लिखने का संकल्प लिया, तब उसके मन में एक ही भावना होगी-अपने इतिहास की उस महान स्त्री को श्रद्धांजलि देना, जिन्होंने केवल राज्य नहीं चलाया, बल्कि धर्म, नीति, न्याय और लोक कल्याण का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया, जो आज भी प्रेरणा देता है। देवी अहिल्याबाई होल्कर का जीवन एक गूढ़ अध्याय है, जिसमें नारीत्व की गरिमा, शासन की कुशलता और मानवीय संवेदनाओं का अद्भुत संगम है।
यह पुस्तक एक साधारण ऐतिहासिक विवरण ही नहीं है। यह एक आत्मीय यात्रा है-एक लेखिका की। उन पदचिन्हों पर चलने की कोशिश, जो अहिल्याबाई ने अपने कर्मपथ पर छोड़े। लेखिका ने उनके जीवन को केवल एक शासिका की दृष्टि से नहीं देखा, बल्कि एक वैचारिक, मार्गदर्शक और भारत की सांस्कृक्तिक आत्मा की संवाहिका के रूप में समझने का प्रयास किया है।
पुस्तक की शुरुआत उस क्षण से होती है, जब एक साधारण बालिका के जीवन में भविष्य की प्रशासिका बनने की नींव रखी जाती है। यह केवल भाग्य नहीं था, बल्कि शिक्षा, संस्कार और अंतर्ज्ञान का मेल था, जिसने उन्हें समय को कसौटी पर खरा उतारा। जीवन की कठिन परिस्थितियों में, पति और पुत्र के निधन के बाद, उन्होंने न केवल स्वयं को संभाला, बल्कि सम्पूर्ण राज्य की बागडोर अपने हाथों में लेकर इतिहास की दिशा बदल दो। लेखिका ने अपने अध्ययन में विशेष रूप से यह देखा कि कैसे अहिल्याबाई ने महेश्वर को न केवल प्रशासनिक केन्द्र बनाया, बल्कि एक सांस्कृक्तिक धरोहर में परिवर्तित किया। वहां की वास्तुकला, व्यापारिक नीतियाँ, और सामाजिक व्यवस्था आज भी उनके कुशल नेतृत्व की गवाही देती हैं।
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