भारतीय डाक की व्यवस्था आज से लगभग 150 वर्ष पहले हुई। भारतीय डाक सेवा का संचालन भारत सरकार करती है। जहाँ ब्रिटिश भारत की डाक प्रणाली व्यापारिक हितों पर केन्द्रित थी वहीं आज भारतीय डाक प्रणाली आम आदमी की जरूरतों को ध्यान में रख कर की गई।
भारतीय डाक प्रणाली का जो उन्नत और परिष्कृत स्वरूप आज हमारे सामने है, वह सालों के लंबे सफर की देन है। अंग्रेज़ों ने 150 साल पहले अलग-अलग हिस्सों में अपने तरीके से चल रही डाक व्यवस्था को एक सूत्र में पिरोने की जो पहल की, उसने भारतीय डाक को एक नया रूप और रंग दिया। नियोजित विकास प्रक्रिया ने भारतीय डाक को दुनिया की सबसे बड़ी और बेहतरीन डाक प्रणाली बनाया है। राष्ट्र निर्माण में डाक विभाग ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है और इसकी उपयोगिता लगातार बनी हुई है। आम आदमी डाकघरों और डाकिया (पोस्टमैन) पर बहुत भरोसा करता है। तमाम उतार-चढ़ाव होने के बावजूद भी इतना जन विश्वास कोई और संस्था नहीं अर्जित कर सकी है। यह स्थिति कुछ सालों में नहीं बनी है बन्कि इसके पीछे बरसों का श्रम और सेवा छिपी है।
पुस्तक की रचना में कुछ लिखित व अलिखित स्रोतों से मदद ली गई है जिनके लेखकों व प्रकाशकों के प्रति में विनम्र आभार प्रकट करता हूँ। पुस्तक को त्रुटिहीन रखने का पूरा प्रयास किया गया है, पर यदि कोई त्रुटि रह गई हो तो उसके लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।
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