यह किताब हिंदी सिनेमा जगत के प्रतिष्ठित संगीत निर्देशकों की एक-एक प्रतिनिधि फ़िल्म के बहाने उनकी संगीतपरक वैचारिकी का दस्तावेज़ तैयार करती है। इसमें पंकज मलिक से लेकर भूपेन हजारिका तक, एक बड़ी संगीत परंपरा में फिल्मों के सतरंगे विस्तार पर बात की गई है। बीते दिनों के महान गायक के.एल. सहगल एवं अमीरबाई कर्नाटकी से लेकर सदाबहार उस्तादों मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर, किशोर कुमार, आशा भोंसले और अलका याज्ञनिक जैसी मशहूर हस्तियों के दिलचस्प प्रसंग पिरोए गए हैं।
समाज और सिनेमा के बीच आवाजाही में संगीत ने कैसे हमारी दिन ब दिन की जिंदगी को बदला, संवारा और रोचक बनाया है, हमसफ़र इसकी पड़ताल है। इसमें संगीतकारों एवं उनकी संगे-मील फ़िल्मों के बहाने संगीत-प्रधान फ़िल्मों की गंभीर आलोचना की गई है। सिनेमा के सुनहरे आंचल में टंके गीत और संगीत के चांद-सितारों की जगमगाहट देखने के लिए यह पुस्तक आपको आमंत्रित करती है।
यतीन्द्र मिश्र हिंदी कवि, संपादक, संगीत और सिनेमा अध्येता हैं। उनके अब तक चार कविता-संग्रह यदा-कदा, अयोध्या तथा अन्य कविताएं, ड्योढ़ी पर आलाप एवं विभास प्रकाशित हैं। शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी, नृत्यांगना सोनल मानसिंह एवं शहनाई उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ां पर हिंदी में प्रामाणिक पुस्तकें क्रमशः गिरिजा, देवप्रिया एवं सुर की बारादरी के साथ ही प्रदर्शनकारी कलाओं पर निबंधों की एक पुस्तक विस्मय का बखान भी प्रकाशित हुई हैं। वरिष्ठ कवि कुंवरनारायण पर एकाग्र संचयन कुंवरनारायणः संसार एवं उपस्थिति, अशोक वाजपेयी के गद्य का एक संचयन किस भूगोल में किस सपने में तथा अज्ञेय काव्य से एक चयन जितना तुम्हारा सच है संपादित किया है। कन्नड़ शैव कवयित्री अक्क महादेवी के वचनों का हिंदी में पुनर्लेखन भैरवी नाम से प्रकाशित हुआ है। इनके अतिरिक्त फिल्म निर्देशक एवं गीतकार गुलज़ार की कविताओं एवं गीतों के चयन क्रमशः यार जुलाहे तया मीलों से दिन नाम से संपादित हैं। गिरिजा का अंग्रेज़ी, यार जुलाहे का उर्दू तथा अयोध्या श्रृंखला कविताओं का जर्मन अनुवाद हुआ है। उन्हें रज़ा फाउंडेशन पुरस्कार, भारत भूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद युवा पुरस्कार, हेमंत स्मृति कविता सम्मान, राजीव गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, परंपरा ऋतुराज सम्मान सहित भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की कनिष्ठ शोघवृत्ति एवं सराय, नई दिल्ली की स्वतंत्र शोधवृत्ति मिली हैं। उस्ताद बिस्मिल्ला खां पर लिखा उनका एक निबंध एन. सी.ई.आर.टी. ने हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया है। साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों हेतु भारत के प्रमुख नगरों समेत अमेरिका, इंग्लैंड, मॉरीशस एवं अबुधावी की यात्राएं की हैं। अयोध्या में रहते हैं तथा समन्वय व सौहार्द के लिए विमला देवी फाउंडेशन न्यास के माध्यम से सांस्कृतिक गतिविधियां संचालित करते हैं।
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