प्रकृति हमारी माँ, जननी है। हमारी समस्त विकृतियों के समाधान हमारे ही आस-पास की प्रकृति में विद्यमान हैं। आयुर्वेद की जीवन दायिनी जड़ी-बूटियों से निर्मित औषधियों की अमूल्य सम्पत्ति भी हमारे पास है। लेकिन सम्यक् ज्ञान के अभाव में हम इन का पूरा लाभ नहीं उठा पाते। इस पुस्तक में हमने अपने शोध एवं अनुभवों के आधार पर तथा प्राचीन ग्रंथों के आधार पर अनेक नुस्खों को लिखा और स्वयं अनुभूत प्रयोग किए, जो इस पुस्तक में संकलित हैं।
जैसा कि हम प्रायः देखते भी हैं कि वर्तमान में दवाइयों व चिकित्सा के खर्च का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। साधारण बीमारियों के इलाज में भी खर्चा बढ़ रहा है जबकि इन औषधियों से सदैव लाभ ही मिलता है। इसके अतिरिक्त बहुत कम व्यय में चिकित्सा हो सकती है। मुख्यतः साधारण रोगों जैसे सर्दी-जुकाम, खांसी, पेट रोग, सिर दर्द, चर्म रोग आदि में आयुर्वेदिक औषधियों से अति शीघ्र लाभ हो जाता है और खर्च भी कम होता है। एक उदाहरण-नेत्र बिन्दु का। यह आँख की दवा अमृत बिन्दु है। इसे आँख में डालने से आँखों में कैसी भी बीमारी क्यों न हो, ठीक हो जाती है। यह दवा गंगाजल में ही बनानी चाहिए। क्योंकि गंगाजल कभी खराब नहीं होता है। इस दवा के प्रयोग से चश्मा तक उतर जाता है। यह स्वानुभूत प्रयोग है। इस पुस्तक में इसी तरह की आयुर्वेदिक चिकित्सा-संबंधी विभिन्न नुस्खों की जानकारियां सरल व सुगम ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। साथ ही इनके उपयोग की सरल विधियां भी दी गई हैं।
पुस्तक 'औषधियों की अमूल्य सम्पत्ति' घर-घर के लिए उपयोगी होगी, ऐसा हमारा विश्वास है।
हमारे शरीर को निरोगी बनाए रखने में जिन साधनों के द्वारा रोगों के कारणभूत दोषों एवं शारीरिक विकृतियों का शमन किया जाता है उन्हें औषध कहते हैं। भारतीय चिकित्सा पद्धति में अनेक गुणकारी औषधियां हैं। हमारे अनेक प्राचीन ग्रंथों में विविध औषधियों का उल्लेख मिलता है। हम भारतीय इस मामले में सचमुच भाग्यशाली हैं कि प्रकृति ने भारत की धरती पर औषधीय गुण वाले पादपों व अन्य सामग्रियों का अकूत भंडार दिया है। जरूरत होती है सही औषधि और उसकी मात्रा के निर्धारण की। अतः सुयोग्य वैद्य मानव के स्वास्थ्य की रक्षार्थ अनेक उपयोगी औषधियों से अनेक नुस्खों का प्रयोग करता है ताकि व्यक्ति स्वस्थ रह सके। स्वास्थ्य का आधार यथा योग्य आहार-विहार एवं विवेकपूर्वक व्यवस्थित जीवन भी है। इसी परंपरा में वैद्य कमलावती जैन तथा डॉ. कला कासलीवाल ने प्रस्तुत पुस्तक में आयुर्वेद के विभिन्न अनुभूत नुस्खों का संकलन कर ऐसी जानकारी देने का प्रयास किया है जिससे घर बैठे ही विभिन्न रोगों का उपचार कर सकते हैं। इस पुस्तक में कुछ ऐसी ही जानकारियों का समावेश है।
ओशो ने कहा है-'ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आप फलां तरीके से स्वस्थ हैं और वो अमुक तरीके से। आप या तो स्वस्थ हैं या बीमार। बीमारियां पचास तरह की होती हैं, स्वास्थ्य एक ही प्रकार का होता है।' यह निर्विवाद सत्य है कि हम जीवन में तभी उन्नति, विकास कर सकेंगे जब हमारा तन-मन स्वस्थ और निरोग रहेगा। हम स्वस्थ व सुखी होंगे तो हमारा देश भी स्वस्थ, सुखी और समृद्धिशाली होगा।
पत्रिका प्रकाशन की स्वास्थ्य श्रृंखला में पुस्तक 'औषधियों की अमूल्य सम्पत्ति' में वर्णित प्रयोगों से अवश्य ही पाठक लाभान्वित होंगे, ऐसा हमारा विश्वास है।
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