पुस्तक परिचय
टोने-टोटके क्रिया-साधन में सरल होते हुए भी तंत्र-शास्त्र में वर्णित क्रियाओं से सम्बन्धित हैं। लेखक ने प्राचीन तंत्र-मंत्र के ग्रंथों से टोने-टोटकों तथा चिकित्सा सम्बन्धी टोटकों को आयुर्वेदीय ग्रंथों से संग्रह किया है। इस प्रकार से अपनी समस्याओं का निदान तथा सिद्धि प्राप्त होने में सन्देह नहीं होना चाहिए। जरूरी यह है कि साधक इनको श्रद्धा और विश्वासपूर्वक विधि-अंनुसार प्रयोग में लाएँ।
भूमिका
'टोना टोटका' विषय तंत्र-शास्त्र के अन्तर्गत ही आता है। यह तंत्र-शास्त्र अथवा तंत्र-विद्या या तंत्र-विज्ञान कुछ भी कहें, इसके प्रयोग और इसकी तंत्र-क्रियाएँ वेदों के आधार पर हमारे जन-मानस के जीवन में उतारी गई हैं। हमारे चारों वेदों में विशेषतः अथर्ववेद और सामवेद में तंत्र-साधना के विषय में अनेकानेक मंत्र-तंत्र-यंत्रों के विषय में सूत्र उपलब्ध हैं। इसके पश्चात् वेदांग कहे जाने वाले उपनिषदों में तंत्र-विद्या का बहुत कुछ वर्णन मिलता है । इस प्रकार इस तंत्र विद्या को हम 'जादू' कहकर एक हल्का और बेकार का विषय बतायें और इसकी गरिमा, इसके महत्व और अन्य भारतीय विद्याओं के सामने इसकी आवश्यकता को निरर्थक मानें तो हम अपनी भारतीय संस्कृति, अपने भारतीय वाङमय की ही नहीं, अपनी प्राचीन सभ्यता का भी निरादर करेंगे। क्योंकि हमारी यह भारतीय संस्कृति वेदों के समय से ही विद्यमान है। ऋग्वेद तो समस्त संसार का सबसे प्राचीन ग्रंथ माना गया है। अन्य विद्याओं की भाँति तंत्र-शास्त्र विद्या भी हमारे भारत में ही नहीं, सुदूर विदेशों में भी जाकर वहाँ के जन-मानस में भारतीय सभ्यता की प्राचीनता का झण्डा गाड़ चुकी थी। भारत के समीपवर्ती देश, चीन, तिब्बत, थाईलैण्ड आदि देशों में बौद्ध संस्कृति के साथ हमारी तंत्र-विद्या का प्रयोग हो चुका था। हमारे वेदों की भाषा संस्कृत है और प्रारम्भ में ये वेद लिखित न होने से गुरु इनकी ऋचाओं को बोलकर अपने शिष्यों को याद कराते थे । इस प्रकार तंत्र शास्त्र की सभी बड़ी और महत्वपूर्ण पुस्तकें संस्कृत भाषा में लिखी जाती रही हैं। इसलिये तंत्र-मंत्र साधना दुरुह, दुसाध्य और क्लिष्ट होने से आत जनता में अन्य विद्याओं की भाँति ही प्रयुक्त न हो सकी । जिन-जिन विद्याओं का जैसे-जैसे संस्कृत से हिन्दी भाषा में रूपान्तर होता रहा, उनको अधिकारी विद्वानों द्वारा जनता में लाया जाता रहा है। तंत्र-शास्त्र को हिन्दी भाषा में छापा जरूर गया है किन्तु इसके प्रयोगों की साधना में एक तो अधिक समय लगता है। दूसरी बात यह है कि इसके मंत्रों के जप की संख्या इतनी अधिक होती है कि साधक इनको पूर्ण होने तक प्रतीक्षा नहीं कर पाता । तंत्र साधना अत्यधिक खर्चीली है, इनके लिए अलग-अलग अनुष्ठान समय की बन्दिशों के साथ होते हैं। इन सब बातों का विचार करके ही तांत्रिक विषय के योग्य मनीषियों ने जन-साधारण के लिए 'टोने-टोटकों' के रूप में इस विषय का सरलीकरण कर दिया है। टोने-टोटके क्रिया-साधन में सरल होते हुए भी तंत्र शास्त्र में वर्णित क्रियाओं से सम्बन्धित हैं। लेखक ने प्राचीन तंत्र-मंत्र के ग्रंथों से टोने-टोटकों तथा चिकित्सा सम्बन्धी टोटकों को आयुर्वेदीय ग्रंथों से संग्रह किया है। आवश्यकतानुसार गंडे-ताबीज के रूप में उपयोग करने का मशविरा भी देकर पुस्तक को और उपयोगी बना दिया गया है। इस प्रकार से अपनी समस्याओं का निदान तथा सिद्धि प्राप्त होने में सन्देह नहीं होना चाहिए । जरूरी यह है कि साधक इनको श्रद्धा और विश्वासपूर्वक विधि-अनुसार प्रयोग में लाए ।
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist