लेखक परिचय
मीर 'अनीस' मीर 'अनीस' का नाम बबर अली था, लेकिन जिस नाम से उन्होंने ख्याति प्राप्त की, वह उनका तखल्लुस (उपनाम) 'अनीस' है। 'अनीस' का जन्म फ़ैज़ाबाद (उ.प्र.) में साहित्यिक रुचिवाले एक पढ़े-लिखे घराने में हुआ था। लेकिन बाद में वे अपने पिता के साथ लखनऊ चले गये और आजीवन वहीं रहे। 'अनीस' ने शुरू में कुछ ग़ज़लें भी लिखी थीं, मगर अपने पिता मीर ख़लीक के कहने पर उन्होंने मर्सिये को ही अपना काव्य-क्षेत्र बनाया और उर्दू शायरी को बुलन्दियों तक पहुँचाया। मीर 'अनीस' का सन् 1874 में लखनऊ में देहान्त हुआ।
पुस्तक परिचय
करुणा और दर्द के धनी महाकवि अनीस : श्रेष्ठ रचनाएँ कर्बला की घटना इतिहास की ऐसी दुखद घटना है जिसकी याद लगभग साढ़े तेरह सौ वर्षों से सारी दुनिया के मुसलमानों के दिलों में बसी है। भारत सहित दुनिया भर के मानवता के पुजारी हुसैन के बेजोड़ बलिदान को अपने-अपने ढंग से मनाते हैं। कर्बला की घटना ही महाकवि 'अनीस' के काव्य की पृष्ठभूमि है। ऐतिहासिक घटनाओं को महाकवि ने कल्पना के नेत्रों से देखकर मर्सियों में ऐसे जीते-जागते रंग भरे हैं और उनको इस ढंग से पेश किया है कि हम भी अपने ख़यालों में मानो वही घटनाएँ देखने लगते हैं और उनसे प्रभावित होते हैं। इस पुस्तक में उर्दू के महान् कवि 'अनीस' के श्रेष्ठ मर्सिये, सलाम और रुबाइयाँ संगृहीत हैं, हिन्दी पाठकों के लिए पहली बार। ये मर्सिये स्वयं 'अनीस' के मुख से लाखों लोगों ने सुने थे और अब वर्षों से हजारों घरों में हर साल मुहर्रम के महीने में पढ़े और सुने जाते हैं। प्रस्तुत है पाठकों के लिए इस महत्त्वपूर्ण कृति का नया संस्करण।
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