कश्मीर एक ऐसा राज्य जिसके बारे में भारत का प्रत्येक व्यक्ति भलीभांति परिचित हैं क्योंकि भारत में विलय के साथ ही यह विवादित हो गया। अपने जन्म के साथ ही यह राज्य अखबारों, पत्रिकाओं, मीडिया तथा समाचार एजेन्सियों के लिए सबसे लोकप्रिय वाद-विवाद का विषय बन गया। वर्ष 1987 के बाद कश्मीर की खराब होती स्थिति ने इस मुद्दे को प्रमुखता प्रदान की। इसके पूर्व पाकिस्तान और चीन ने भी कश्मीर का न केवल भारतीयों के मनः मस्तिष्क पर एक समस्या ग्रस्त राज्य के रूप में चिन्हित किया अपितु कश्मीर समस्या का अन्तर्राष्ट्रीयकरण भी किया।
5 अगस्त, 2019 को जब केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए हटाने का अध्यादेश संसद के सामने प्रस्तुत किया तो आम भारतीय के मन में कश्मीर के प्रति जो धारणा थी कि इस समस्या को जल्द समाप्त नहीं किया जा सकता, वह राज्यसभा और लोकसभा द्वारा निष्प्रभावी कर दिया गया। जिस कश्मीर समस्या को लेकर हर भारतीय के मन में एक संशय था वह एका-एक समाप्त हो चला। निश्चित रूप से इसके लिए भारतीय सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति बधाई की पात्र है।
5 और 6 अगस्त 2019 को संसद की कार्यवाहियों को देख कर मेरे मन में भी इस विषय पर अध्ययन और चिंतन करने की इच्छा तीव्र हुई जिसका परिणाम यह हुआ कि उसी समय से मैने इस विषय पर पुस्तकों तथा संदर्भ ग्रंथों का संकलन प्रारम्भ किया। धीरे-धीरे इस विषय को जानने और समझने की जिज्ञासा दिन प्रतिदिन बढ़ती गयी। इसी बीच कोविड-19 संकट के चलते पूरी दुनिया में लाकडाउन हुआ और मुझे इस विषय पर लेखन का पर्याप्त समय मिला। इस रिक्त समय का प्रयोग करते हुए मैंने इस विषय पर लेखन आरम्भ किया जिसकी परिणति यह पुस्तक "कश्मीरः समस्या से समाधान की ओर" आपके समक्ष प्रस्तुत है।
इस पुस्तक के प्रणयन में मुझे जिन सुहृदजनों का सहयोग प्राप्त हुआ है उन सभी के प्रति आभार व्यक्त करना मेरा प्रमुख कर्तव्य है। सर्वप्रथम मैं, प्रो० राजेन्द्र प्रसाद, कुलपति, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, बिहार व प्रो० एल० जे० सिंह, पूर्व प्रति कुलपति, एच०एन०बी० विश्वविद्यालय, गढ़वाल को नमन करता हूँ जिनका शुभाशीष मुझे सदैव प्राप्त हुआ है।
इसी क्रम में डॉ० ए०के० शर्मा प्राचार्य, बरेली कॉलेज, बरेली, डॉ० एम०के० सिंह, एसो० प्रोफेसर, डॉ० एच०पी० श्रीवास्तव, एसो० प्रोफेसर, बरेली कॉलेज, बरेली, डॉ० हेमन्त कुमार पाण्डेय (विभागाध्यक्ष), डॉ० संजय कुमार, एसो० प्रोफेसर, रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग, मेरठ कॉलेज, मेरठ का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ जिनका सहयोग मुझे सदैव प्राप्त हुआ है।
मेरे विभाग के डॉ० पुष्पेन्द्र सिंह यादव, डॉ० पंकज कुमार वर्मा, डॉ० अमर सिंह व डॉ० विपिन शर्मा का आभार व्यक्त करता हूँ जिनका सहयोग एवं उत्साहवर्धन मुझे हमेशा प्राप्त होता रहता है।
मैं अपनी परम् पूज्य माता जी, श्रीमती प्रेमवती देवी, ताऊ जी श्री साहब सिंह, चाचा जी श्री रवेन्द्र सिंह, चाची जी श्रीमती गीता सिंह, पत्नी श्रीमती गीता रानी, पुत्र निखिल, पुत्री प्रज्ञा एवं सभी परिवारजनों के प्रति आभारी हूँ जिन्होंने समय-समय पर मेरा उत्साहवर्धन किया। उनके सहयोग को मैं कभी भुला नही पाऊँगा।
इस पुस्तक को तैयार करने में कॉन्वेक्स पब्लिशिंग सोल्यूशन, नई दिल्ली द्वारा टाईप सेटिंग तथा विशाल कौशिक प्रिंटर्स, शाहदरा, दिल्ली की भूमिका को सराहे बिना सब अधूरा है अतएवं उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूँ। जिनके सहयोग से कम समय में ही मेरे विचारों ने पुस्तक का रूप लिया है। यदि मुद्रण सम्बन्धी अशुद्धियाँ रह गई हो तो उसके लिए मैं क्षमा याची हूँ।
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