'शंकर आनन्द'; मानव-प्रकृति की सूक्ष्मतम् अभिव्यंजनाओं के चितेरे गीतकार हैं। इनके गीत कभी तो मानवीय संवेदनाओं एवं उसके विरोधाभासों को स्वर देते हैं तो कभी एकदम से समस्त प्रकृतितत्त्व के साक्षी होकर अपने चिदानन्द स्वरूप की ओर भी इशारा करते हैं। उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में जन्मे डॉ० कृपाशंकर पाण्डेय 'शंकर आनन्द' की प्रारम्भिक और माध्यमिक शिक्षा उनके ग्राम्यांचल से तथा पीएचडी पर्यन्त समस्त उच्च शिक्षा इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रयागराज से हुई। परास्नातक में सर्वोच्च स्थान अर्जित करने पर इलाहावाद विश्वविद्यालय ने इन्हें स्वर्णपदक से विभूषित किया। वर्तमान में ये मुंगेर विश्वविद्यालय मुंगेर, विहार के संस्कृत विभाग में अध्यापनरत हैं। इनकी पूर्व प्रकाशित कृतियाँ 'पद चौरासी' तथा 'नकली ब्रह्मज्ञान' हैं।
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