इस धरती पर हमारे शरीर सहित सभी पदार्थ पंचमहाभूत से ही बने हैं। भारतीय महा ऋषियों ने अपने योग बल इस धरती में स्थित सभी वस्तुओं का ग्रह मंडल में स्थित ग्रहों के साथ क्या संबंध है, जानकार पूर्ण जानकारी हमें विभिन्न ढंग से प्रदान की है। उन्होंने सभी वस्तुओं को 9 भागों में बांट कर प्रत्येक वस्तु, वृक्ष, पक्षी, पशु, प्राणी, देवता, रंग और दिन का किस-किस ग्रह के साथ क्या-क्या संबंध है यह स्पष्ट किया है।
व्यक्ति के जन्म के समय जो ग्रह नीच स्थिति में होते हैं, उन्हें ठीक स्थिति में लाने का नाम ही ज्योतिष है। नीच ग्रहों की वस्तुओं के माध्यम से दान या जलप्रवाह से अथवा उच्च ग्रह के मित्र की वस्तुओं को उसके साथ मिलाकर, नीच ग्रह को उच्च यानी के अच्छा करने का उपाय करने का परामर्श दिया जाता है।
ज्योतिष को सरल और स्पष्ट भाषा में आप तक पहुंचाने का यह मेरा एक ओर प्रयास है। लाल किताब के ऊपर बहुत सारी किताबें छप चुकी है। मूल रूप से लाल किताब उर्दू भाषा में लिखी गई थी, जो समझने में थोड़ी सी मुश्किल थी। बहुत सारे लेखकों ने इसको हिंदी और अन्य भाषाओं में लिखा, जो काफी सराहनीय है।
इस पुस्तक को लिखने का मेरा मंतव्य यही है कि मैं इसको और भी सरल भाषा में लिख कर जन तक पहुंचा सकूं ताकि हर साधारण से साधारण व्यक्ति भी लाल किताब के इन सरल और सटीक उपायों का लाभ उठा सके। लाल किताब ज्योतिष के ज्ञान को सरल और साधारण तरीके से समझने के लिए आप मेरे द्वारा लिखित किताबें 1. 'लाल किताब (मूल व्याकरण, कुंडली भावों का महत्व एवं व्याख्या)', 2. लाल किताब- उपाय संजीवनी (लाल किताब के सरल उपाय बदलते युग की कसौटी पर)', 'लाल किताब वास्तु शास्त्र (घर/भवन को सही करें लाल किताब वास्तु अनुसार) अवश्य ही पढ़े, जिससे आपके ज्योतिष ज्ञान में बहुत ही ज्यादा वृद्धि होगी और इस चोथी किताब 'लाल किताब (वर्षफल नियम और व्याख्या)' को समझने में भी आसानी होगी।
यह किताब जो आपके सामने पेश की जा रही है, यह इस प्रयास का ही कदम है क्योंकि लाल किताब के उपायों का पूरा फायदा उठाने के लिए लाल किताब के वर्ष फल के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है। लाल किताब के अनुसार वर्ष फल हर जन्मदिन से बदल जाता है और उसी के अनुसार उपाय करने होते हैं। इस किताब में वर्षफल बनाने का पूरा तरीका और वर्षफल देखने का संपूर्ण ढंग बड़ी ही आसान भाषा में समझाया गया है। इसके अलावा इस किताब में कुंडली के त्रिक भावों के बारे में भी बहुत विस्तार से बताया गया है। कुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव को त्रिक भाव कहा जाता है।
किसी भी घर के स्वामी ग्रह का किसी अन्य घर में बैठे होने के कारण अच्छा या बुरा प्रभाव निश्चित रूप से पड़ता ही है, परंतु छठे, आठवें और बारहवें घरों के स्वामी ग्रहों का तो विशेष रूप से पड़ता है। इन तीनों घरों के ग्रह जातक के जीवन में अचानक ऐसी घटनाएं घटित करवा देते हैं, जिन्हें जातक केवल मूक दर्शक बनकर देखता ही रह जाता है। इस पुस्तक में वर्ष फल के साथ इन तीन घरों के विषय में भी गहन चिंतन किया जा रहा रहा है और साथ में उपाय भी दिए जा रहे हैं ताकि कोई भी व्यक्ति सरल उपाय करके जीवन में आने वाली विपदाओ और परेशानियों से अपने जीवन को मुक्त रख सके।
प्राचीन काल से ही किसी भी धार्मिक, पारिवारिक, सामाजिक कार्य करने से पहले देव पूजा आवश्यक समझी गई है। अगर हम थोड़ा गहन चिंतन करें तो हमें पता चलेगा की पूजा में प्रयोग होने वाली वस्तुएं जैसे कि जल या चावल, केसर या हल्दी, हरी दूब, गुड़ या मीठा, मौली यानी की रक्षा सूत्र, पान सुपारी, इलायची, नारियल, तिल या जौ इत्यादि वस्तुएं, विभिन्न ग्रहों से संबंधित होती हैं।
जब हम कोई भी पूजा पाठ करते हैं, तो हमारे माथे पर केसर का तिलक लगाकर चावल लगाए जाते हैं। केसर, बृहस्पति का और चावल चंद्रमा की वस्तु है। ऐसे में जातक को बृहस्पति और चंद्र की सहायता पहुंचाई जाती है और उसके हाथ की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा जाता है। रक्षा सूत्र में भी तीन रंग लाल, पीला और सफेद होते हैं। लाल रंग सूर्य या मंगल का, पीला बृहस्पति का और सफेद रंग, चंद्रमा का होता है। यह तीनों ग्रह आपस में परम मित्र है। कलावा बांधने के पीछे का उद्देश्य है के अमुक जातक की यह तीनों ग्रह रक्षा करें।
इन बातों से यह बात तो स्पष्ट हो ही जाती है कि जो लोग ज्योतिष पर विश्वास नहीं करते, वह कितने अंधेरे में रहते हैं और बड़े ज्ञान से दूर है। ज्योतिष एक वैज्ञानिक चिंतन है और इस पृथ्वी पर पंच महाभूत से निर्मित हर एक वस्तु का सम-समानुभूती के नियम के अनुसार हमारे शरीर के साथ अटूट और गहरा संबंध है।
कोई भी वैद्य, रोगी को जो दवाई देता है, वह भी यह देखकर ही देता है कि अमुक रोगी के शरीर में पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश इनमें से किस तत्व की कमी है या फिर कौन सा तत्व अधिक मात्रा में है। यदि कोई तत्व अधिक है तो उसे कम या नष्ट करने की दवा देता है और यदि कोई तत्व कम है तो उसको बढ़ाने की दवा देता है। ऐसे ही ज्योतिषी भी नीच ग्रह को उच्च करने हेतु ही उपाय करवाता है।
मेरी पुस्तकों को छाप कर पाठकों तक पहुंचाने के लिए मैं प्रकाशक अरुण पब्लिशिंग हाउस, चंडीगढ़ का हृदय से धन्यवाद करता हूं। उम्मीद है मेरे इस प्रयास को भी आप सभी पाठकों का भरपूर सहयोग और प्यार मिलेगा। ज्ञान के इस अथाह समंदर को समेटने में अगर कोई गलती हो जाए तो क्षमा प्रार्थी हूं।
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