पर्यटन के क्षेत्र में भारत एक गुलदस्ते की तरह है जिसमें विभिन्न रंगों के फूल सजे रहते है। इसी गुलदान का एक फूल है इंद्रधनुषी राजस्थान। हमें गर्व है कि वैश्विक पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान आज भारत में पाँचवें स्थान पर है। विदेशी सैलानियों की दृष्टि से जयपुर का पहला और उदयपुर का दूसरा स्थान आता है। यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भारत की 43 विरासत में से जयपुर का जंतर-मंतर, जयपुर की प्राचीन चारदीवारी, घाना राष्ट्रीय पक्षी उद्यान और पहाड़ी किले भारत की विश्व विरासत में शामिल किए गए हैं। पहाड़ी किलों में आमेर, चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, रणथंभौर और झालावाड़ का गागरोन किलें हैं। वैसे भी राजस्थान किलों, महलों और मंदिरों के लिए अपनी अलग पहचान बनाता है।
मरुधरा के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और जोधपुर के रेतीले टीले और इनसे जुड़े मनोरंजन लंबी कैमल सफारी, रात्रि में रेत के धोरों पर कैंप फायर, टेंट में रात गुजारने का आनंद, धोरों पर शाही अंदाज में लोक कलाकारों के संगीत और नृत्य का आनंद, सेंड ड्यून बास्क आदि का आनंद सैलानियों की पसंद बन गए हैं। राज्य में कई स्थानों पर हॉर्स सफारी, एलिफेंट सफारी और जीप सफारी तथा एडवेंचर स्पोर्ट्स का भी अपना मजा है।
भारत आने वाले पर्यटकों के लिए 'गोल्डन ट्रायंगल' का हिस्सा होने से भारत आने वाला हर तीसरा पर्यटक राजस्थान आता है। यह देश का प्रथम राज्य है जहाँ 35 वर्ष पूर्व 4 मार्च, 1989 को पर्यटन को उद्योग का दर्जा प्राप्त हुआ था, जिसके परिणाम स्वरूप पर्यटन के क्षेत्र में कई विरासत हेरिटेज होटल्स में तब्दील हो गई, आलीशान होटल्स, रिजॉर्ट, कैफेटेरिया, रेस्टोरेंट, भोजनालय, आथित्य, हस्तशिल्प शोरूम, टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी, पर्यटक स्थल के आस-पास फूड स्ट्रीट वेंडर्स, परिवहन आदि क्षेत्रों में पर्यटन सुविधाओं का कल्पनातीत विकास हुआ और लाखों लोगों को पर्यटन आधारित रोजगार सुलभ हुआ। राजस्थान में आधारभूत ढाँचे के तीव्र विकास ने भी पर्यटन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लग्जरी होटल्स और रिसोर्ट में आते ही पर्यटकों को लोक संगीत के साथ राजस्थानी परंपरा से स्वागत, कोल्ड ड्रिंक, हॉट ड्रिंक एवं हल्के अल्पाहार से आथित्य परंपरा का निर्वाहन करते हैं जिससे, 'पधारों म्हारे देस' के ध्येय वाक्य की झलक देखने को मिलती है।
पर्यटन विकास के लिए कुछ क्षेत्रों को मिलाकर पर्यटन सर्किट बनने से पर्यटन को पंख लगे। मुख्य पर्यटने सर्किट जयपुर, आमेर सर्किट, अलवर, सिलीसेढ़, सरिस्का सर्किट, भरतपुर, डीग, धौलपुर सर्किट, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, बाड़मेर, नागौर सर्किट, चुरू, झुंझुनू, सीकर सर्किट, माउंट आबू, सिरोही, पाली, जालौर सर्किट, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, नाथद्वारा, कुम्भलगढ़, जयसमन्द, डूंगरपुर सर्किट अजमेर, पुष्कर, मेड़ता, नागौर सर्किट, कोटा, बूँदी, झालावाड़ सर्किट एवं रणथम्भौर, टोंक सर्किट विकसित किए गए। पर्यटक इन सर्किट के आधार पर अपनी रुचि से योजना बनाकर राजस्थान भ्रमण पर आने लगे हैं। पैलेस ऑन व्हील्स लग्जरी ट्रेन विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन गई है।
वर्तमान संदर्भ में देखें तो देश में पर्यटन का रुझान समुद्री तटों, हिल स्टेशनों, विरासत स्थलों, अभयारण आदि की अपेक्षा 'धार्मिक पर्यटन' की और तेजी से बढ़ा है। इसका एक बड़ा कारण पिछले वर्षों में काशी विश्वनाथ, उज्जैन महाकाल, जगन्नाथपुरी, बद्रीनाथ जैसे बड़े-बड़े मंदिरों में कोरिडोर का विकास कर सुविधाओं का विस्तार किया गया। ऐतिहासिक अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से तो धार्मिक पर्यटन में अकल्पनीय बढ़ोतरी दर्ज हुई है। शिरडी के साईं बाबा, सिद्धि विनायक, शनि शिगनापुर, तिरुपति बालाजी, बाँके बिहारीजी, वैष्णो देवी, आदि कई बड़े जैन मंदिरों में लाखों की तादात में श्रद्धालु और पर्यटक जाते हैं। इसी संदर्भ में देखें तो राजस्थान में भी धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में खाटू श्याम जी, सालासर बालाजी, जीण माता, गोविंददेव जी, मोतीडूंगरी के गणेशजी, खोले के हनुमानजी, त्रिनेत्र गणेशजी, महावीरजी, मेंहदीपुर बालाजी, कैलादेवी, ब्रह्माजी, ख्वाजा साहब की दरगाह, श्रीनाथजी, सांवलिया सेठ, इकलिंगजी, केशरिया जी, रणकपुर और देलवाड़ा के जैन मंदिर, त्रिपुरा सुंदरी, बड़े मथुराधीशजी आदि प्रमुख धार्मिक स्थल हैं जिनसे श्रद्धा और आस्था की गंगा बहती है। ये आस्था धाम और तीर्थ विश्वव्यापी ख्याति लिए हैं। प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं के साथ-साथ देश-विदेश के सैलानी भी बड़ी संख्या में इन्हें देखने आते हैं। पहाड़ियों पर बने मंदिरों पर पहुँचने के लिए कई जगह रोपवे की सुविधा का विकास किया जा चुका हैं और कई जगह यह सुविधा उपलब्ध होगी।
यूँ तो चप्पे-चप्पे पर राजस्थान में पर्यटकों के लिए आकर्षण की कमी नहीं परंतु यहाँ की रंग-बिरंगी संस्कृति, उत्सव, मेले, वेशभूषा, विविध हस्तशिल्प, लज्जतदार खानपान सभी कुछ सैलानियों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। ये सब राजस्थान पर्यटन का एक बड़ा महत्वपूर्ण हिस्सा होने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार भी है। जितने पर्यटक उत्सव राजस्थान की शान है शायद उतने अन्य किसी राज्य में आयोजित होते हो। हमारे लोकगीत, लोक नृत्य और संगीत की धूम विदेशों तक है। आज राजस्थान के कई शहर अपने जादुई सम्मोहन से देश और दुनिया के लिए मैरिज डेस्टिनेशन बन गए हैं। फिल्मी पर्दे पर सदियों से राजस्थान चमक रहा है।
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