भारतवर्ष का इतिहास अनेक महान नारियों के उज्ज्वल चरित्रों से जगमगा रहा है। शील, साहस, पराक्रम, वीरता, त्याग, भक्ति, कला, विज्ञान, विद्वता सहित जीवन का कोई ऐसा पक्ष नहीं जिसमें किसी महान नारी का आदर्श चरित्र हमें गौरवान्वित और श्रद्धावनत न कर रहा हो। ऐसी ही महान नारी रत्नों की मालिका में देवी अहिल्याबाई होलकर एक ऐसी महामणि के रूप में विद्यमान हैं जिनके यश की चमकार तीन सौ वर्षों के बाद भी धूमिल नहीं है। अहिल्याबाई का जीवन चरित्र न केवल सदियों से लोक में श्रद्धा जगाने वाला है अपितु उनका जीवन चरित्र साधारण मनुष्यों को भी असाधारण काम करने की संभावना के लिए प्रेरणा देता है। सही अर्थों में व्यक्तित्व विकास की इच्छा रखने वाले हर मनुष्य को देवी अहिल्या का चरित्र अवश्य पढ़ना चाहिए। अहिल्याबाई एक साधारण बालिका के लोकमाता बनने की हित मानवीय प्रयत्नों की यह सफल महागाथा है।
प्रस्तुत पुस्तक में ऐतिहासिक तथ्यों के आश्रय से इस महान देवी के चरित्र को साहित्यिक स्वरूप से प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है। कृति का पूर्वार्द्ध मुख्य रूप से बच्चों के लिए उनके बाल चरित्र को रोचक व प्रेरक बनाने के लिए कथा संवाद शैली में लिखा है। जहाँ इतिहास मौन है, वहाँ विषय को आगे बढ़ाने के लिए कथाकार के विशेषाधिकार के रूप में सुसंगत कल्पना का भी आश्रय लिया गया है। उत्तरार्द्ध में उनके महनीय कार्यों को उपलब्ध ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर लिखा गया है। लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन पर अनेक विद्वानों, साहित्यकारों व इतिहासकारों ने लेखनी चलाई है उन सबको प्रणाम करते हुए माँ अहिल्या के चरणों में यह एक अकिंचन- सी भावांजलि है। विश्वास है, यह बाल पाठकों को विशेष रुचिकर व प्रेरणादायक होगी।
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