प्रयाग महाकुंभ मेला कुंभ मेले का सबसे हालिया आयोजन था, जो एक हिंदू तीर्थयात्रा उत्सव है जो सूर्य के चारों ओर बृहस्पति की पूर्ण परिक्रमा को चिह्नित करता है। यह 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत में त्रिवेणी संगम पर आयोजित किया गया था।
प्रयागराज में आयोजित होने वाला महाकुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा धर्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है। यह मेला गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम तट पर आयोजित होता है, जहाँ करोड़ों श्रद्धालु एकत्रा होकर आस्था, भक्ति और सनातन परंपरा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। महाकुंभ प्रत्येक 12 वर्षों में एक बार आयोजित होता है और इसकी गणना, खगोलीय गणनाओं एवं ज्योतिषीय योगों के आधर पर की जाती है। इसका आयोजन सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का केंद्र भी बनता है।
महाकुंभ मेला केवल एक स्नान पर्व नहीं है, बल्कि यह भारतीय धर्म, संस्कृति और संत परंपरा का विराट मंच है। विभिन्न अखाड़ों के संत, महात्मा, नागा साधु और तीर्थयात्री इसमें भाग लेते हैं और शाही स्नान की अद्भुत झलकियों से संपूर्ण वातावरण आध्यात्मिकता से ओतप्रोत हो उठता है। यहाँ कथा, प्रवचन, कीर्तन, योग शिविर और धार्मिक सभाएं आयोजित होती हैं, जिनमें जीवन के गूढ़ सत्य, धर्म के मार्ग और मोक्ष की प्राप्ति के उपदेश दिए जाते हैं।
प्रयाग महाकुंभ का महत्व केवल भारत तक सीमित नहीं, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारतीय आध्यात्मिक विरासत की प्रतिष्ठा को दर्शाता है।
यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था और आत्मशुद्धि का अवसर होता है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक समृद्धि, धार्मिक सहिष्णुता और जीवन दर्शन की व्यापकता को भी उजागर करता है। महाकुंभ मेला इस बात का प्रमाण है कि भारत की सांस्कृतिक परंपराएं आज भी जीवंत हैं और लोगों के जीवन में गहराई से जुड़ी हुई हैं।
प्रयागराज में वर्ष 2025 में आयोजित महाकुंभ मेला विश्व का सबसे विशाल आध्यात्मिक और धर्मिक आयोजन था। यह मेला त्रिवेणी संगम-गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र तट पर सम्पन्न हुआ, जहाँ करोड़ों श्रद्धालु मोक्ष की कामना से पुण्य स्नान किया। 2025 का कुंभ मेला आस्था, संस्कृति, संत परंपरा और सामाजिक एकता का प्रतीक बनेगा। शाही स्नान, साधु-संतों की उपस्थिति, आध्यात्मिक प्रवचन और धार्मिक आयोजन इसे विशेष बनाएंगे। यह मेला न केवल धार्मिक चेतना को जाग्रत करेगा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को विश्व के समक्ष गौरव से प्रस्तुत भी करेगा।
प्रयाग महाकुंभ मेला 2025 न केवल आस्था का महापर्व है, बल्कि यह भारतीय आध्यात्मिकता, संस्कृति और सनातन परंपरा का जीवंत संगम भी है। यह दुनिया का सबसे बड़ा जमावड़ा था, और 26 फरवरी को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 660 मिलियन (66 करोड़) से अधिक लोगों ने नदी में डुबकी लगाई थी, हालांकि यह संख्या बार-बार स्नान करने वालों द्वारा बढ़ाई गई दैनिक उपस्थितियों की संचयी गणना है। इस आयोजन ने 12 साल के कुंभ मेला चक्र के पूरा होने को चिह्नित किया और आधिकारिक तौर पर इसे 45 दिनों तक चलने वाला महाकुंभ मेला कहा गया।
कुंभ मेला कई शताब्दियों से आयोजित किया जाता रहा है, लेकिन इसकी शुरुआत की तारीख अज्ञात है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 2025 का आयोजन अद्वितीय था, क्योंकि नक्षत्रों का संरेखण 144 वर्षों में एक बार देखा गया था। प्रत्येक कुंभ मेले का स्थान बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा के ज्योतिषीय संरेखण द्वारा तय किया गया था। कुंभ मेले को यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के हिस्से के रूप में मान्यता दी गई थी।
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