| Specifications |
| Publisher: MAHARISHI VED VIGYAN PRAKASHAN, DELHI | |
| Author Girish Chandra Verma | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 42 (Colour Illustrations) | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 28 cm x 21.5 cm | |
| Weight 130 gm | |
| Edition: 2024 | |
| HBL522 | |
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वेद संपूर्ण विश्व के आदि ग्रन्ध है. पूर्ण ज्ञान के भण्डार है. शुद्ध ज्ञान है. प्रकृति के संविधान है भारत की विश्व को अनुपम देन है। भारत वेद भूमि है. देव भूमि है. ज्ञान भूमि पुग्य भूमि है। यहां के ऋषि मुनियों और मनीषियों ने प्रकृति के नियमों तथा अखिल विश्व ब्रह्माण्ड को संचालित करने वारी महान सत्ता का अनुभव किया, आत्मसात किया और फिर जनमानस के लिये इसे लिपिबद्ध किया।
समय के प्रभाव से समाज में इस ज्ञान के प्रति जागृति सीमित होती चली गई और यह जीवनपरक विशुद्ध ज्ञान जनमानस से दूर होता गया। भारत के महान सपूत एवं संत परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी ने भारतीय शाश्वत पारम्परिक वैदिक विज्ञान को अत्यंत सरल भाषा में दिश्य के समक्ष प्रस्तुत कर इस ज्ञान का अखण्ड दीप प्रज्जवलित कर इसकी प्रकाशमय ज्योति से सारे विश्व को पूर्ण ज्ञान का प्रसाद दिया है।
परम पूज्य महर्षि जी के अनुसार ज्ञानम् चेतनायाम् निहितम् अर्थात् ज्ञान चेतना में निहित है।
तदानुसार उनकी प्रेरणा एवं दैवीय आशीर्वाद से भारत में महर्षि विद्या मंदिर विद्यालयों और अन्य शैक्षणिक सस्थानों की स्थापना की गई जहां विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ चेतना पर आधारित शिक्षा प्रदान की जाती है। इन विद्यालयों में महर्षि वेद विज्ञान पाठ्यक्रम का संचालन विभिन्न वैदिक ग्रंथों में उपलब्ध ज्ञान के आधार पर किया जाता है।
श्री गुरुदेव ब्रह्मानन्द सरस्वती जी की असीम कृपा एवं महर्षि जी के आशीर्वाद स्वरूप प्रेरणा से यह विचार आया कि वेद विज्ञान के पाठ्यक्रम को संकलित कर प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थियों के लिए कक्षावार पुस्तकों की रचना उनके बौद्धिक स्तर को ध्यान में रखते हुए की जाये जिससे कि उन्हें एक ही स्थान पर सुगमता से संपूर्ण ज्ञान उपलब्ध हो सके।
परम पूज्य महर्षि जी प्रदत्त ज्ञान को संकलित कर इस विचार को मूर्तरूप देने में श्री रंजन सिंह पटवारी भावातीत ध्यान सिद्धि प्रशासक, महर्षि शिक्षा संस्थान ने पूर्ण सहयोग प्रदान किया।
इस क्रम में प्रो भुवनेश शर्मा, कुलपति महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय तथा श्री विजय रान खरे, निदेशक, सचार एवं जनसंपर्क, महर्षि विद्या मंदिर विद्यालय समूह का मार्गदर्शन एवं योगदान सराहनीय रहा। पुस्तक की साज-सज्जा एवं टंकण हेतु हम श्री राहुल सनस वरिष्ठ ग्राफिक डिजाइनर, श्री राकेश श्रीवास्तव, ग्राफिक डिजाइनर एवं श्री कैलाश माझी व श्रीमती सरला त्यागी कंप्यूटर टाइपिस्ट के भी आभारी है।
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